कृषि फार्मों पर बीज उत्पादन के ज़रिये आत्मनिर्भरता का रास्ता हुआ आसान

बिहार सरकार ने कृषि फार्मों पर बीज उत्पादन की योजना बनाई है, जिसमें मोटे अनाज, मसूर और तिल के बीजों की खेती को बढ़ावा देने का फैसला लिया. निजी और सरकारी दोनों तरह की एजेंसियों को इसमें भागीदारी करने का मौका मिलेगा, जैसे कि self help group, FPO.

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मिस्बाह
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बिहार (Bihar) में किसानों की उन्नति पर ध्यान देते हुए अहम कदम उठाया गया. बिहार के किसानों को आसानी से उपज और आमदनी बढ़ाने का मौका मिलेगा. अब वह अपनी फसलों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज प्राप्त कर सकेंगे. 

10 कृषि फार्मों पर निजी एजेंसियां करेंगी बीज उत्पादन

बिहार सरकार ने कृषि फार्मों पर बीज उत्पादन (seed production) की योजना बनाई है, जिसमें मोटे अनाज, मसूर, और तिल के बीजों की खेती को बढ़ावा देने का फैसला लिया गया है. इसके तहत, 10 कृषि फार्मों पर निजी एजेंसियों को बीज उत्पादन करने का मौका दिया गया है, जिससे किसानों को बेहतर बीज मिल सकेंगे.

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इस कदम का लक्ष्य बिहार के  किसानों को उनकी फसलों के लिए सशक्त और उच्च गुणवत्ता वाले बीज तक पहुंच प्रदान करना है. इसके अलावा, निजी और सरकारी दोनों तरह की एजेंसियों को इसमें भागीदारी करने का मौका मिलेगा, जैसे कि स्वयं सहायता समूह (self help group), जीविका समूह, और किसान उत्पादक समूह (FPO). इससे किसानों को न सिर्फ उच्च गुणवत्ता वाले बीज मिलेंगे, बल्कि उनका आर्थिक सशक्तिकरण (economic empowerment) भी मुमकिन होगा.

70% उत्पादन अपने हिसाब से बेचने का मिलेगा अधिकार 

कृषि निदेशक आलोक रंजन घोष ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए बताया कि इस कार्यक्रम के तहत बीज उत्पादन के लिए आवेदन मांगे गए हैं. यह मौका सरकारी और निजी बीज एजेंसियों के लिए है, जिनमें बीएयू, केविके, बिसा, और आईसीएआर जैसे संगठन शामिल हो सकते हैं.

इस नई पहल के तहत, कृषि फार्मों को फसल कटने के बाद 70% उत्पादन अपने हिसाब से बेचने का अधिकार होगा, जबकि 30% बीज को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बिहार राज्य बीज निगम को देना होगा. इसके साथ ही, संतोषजनक उत्पादन करने पर बीज उत्पादन की अवधि को बढ़ाया जा सकता है, जिससे किसानों को और अधिक लाभ हो सकेगा.

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इस पहल से बिहार के किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और उत्पादन बढ़ेगा. इसके साथ ही, बिहार कृषि सेक्टर को सुधारने का मौका भी मिलेगा, जिससे राज्य की कृषि उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो सकेगी. कृषि (agriculture) को आज भी पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता है. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को उच्च गुणवत्ता वाले बीज तक पहुंच, कृषि में उन्नति करने और आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगी. 

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