प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के बाद भी महाराष्ट्र (Maharashtra) की सिन्नर तालुका में बसे लोगों के सामने खेती से जुड़ी कई चुनौतियां थी. क्लाइमेट चेंज (climate change impact on farming) की वजह से बंजर होती ज़मीन और पानी की कमी से सूखते खेतों ने किसानों के जीवन को मुश्किल बना दिया. लेकिन, सिन्नर की महिलाओं ने, सामाजिक बंदिशों के बावजूद, प्रकृति और अपनी ताकत को पहचाना. ज़रिया बनी एक ऐसी प्रतियोगिता जिसमें अब तक सिर्फ पुरुष ही नज़र आते थे.
चुनौतियों को दूर करने का ज़रिया बना Paani Foundation
महिला सशक्तिकरण (women empowerment) के लिए किये गए सामूहिक प्रयास में महिलाओं ने न सिर्फ हिस्सा लिया बल्कि जीत भी हासिल की. अपनी सामूहिक शक्ति से पूरे महाराष्ट्र (Maharashtra) का दिल जीतने वाली ये महिलाएं, श्री गुरुदेव दत्त शेतकरी गट (Shri Gurudevdutt Shetkari Gat) का हिस्सा है.
अलग-अलग खेतों में काम कर रहीं इन महिलाओं को श्री गुरुदेव दत्त शेतकरी गट के रूप में एक करने का काम किया पानी फाउंडेशन (Paani Foundation) ने. सूखी, बंजर ज़मीन को हरा भरा बनाने के पीछे पानी फाउंडेशन का निरंतर प्रयास है (Paani Foundation work in India). इस प्रयास को शक्ति मिली इन गांवों में रह रहे हज़ारों लोगों से.
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मुश्किल परिस्थियों से जूझ रहीं मानेगांव की सिन्नर तालुका से आने वाली महिलाओं को पानी फाउंडेशन द्वारा आयोजित सत्यमेव जयते फार्मर कप (Satyamev Jayate Farmer Cup) में उम्मीद की किरण नज़र आई.
पानी फाउंडेशन का 'सत्यमेव जयते फार्मर कप' नवाचार को कर रहा प्रेरित
ग्रुप फार्मिंग (group farming), वित्तीय साक्षरता (financial inclusion), और प्राकृतिक कीट प्रबंधन (natural pest management) की दिशा में काम कर रहे पानी फाउंडेशन (about Paani Foundation in Hindi) ने रविवार विचार (Ravivar vichar) को बताया कि फार्मर कप (Farmer Cup) एक ऐसी पहल है जो किसानों को साथ आकर सस्टेनेबल कृषि (sustainable farming) की राह में आने वाली चुनौतियों का समाधान ढूंढने का मौका देती है.
पानी फाउंडेशन का मिशन (Paani Foundation mission) सामाजिक एकता को बढ़ावा देकर, टेक्नॉलोजी (technology) और स्मार्ट समाधानों (smart solutions in agriculture) के ज़रिये सूखा मुक्त और समृद्ध महाराष्ट्र (Drought free Maharashtra) बनाना है.
फार्मर कप (about Farmer cup in Hindi) में हिस्सा लेने से पहले ये महिलायें 3 दिन की रेसिडेंशियल ट्रेनिंग (residential training by Paani foundation) में गई. खेत में काम कर रहे सख्त हाथों ने कलम उठाई और ट्रेनिंग में सस्टेनेबल फार्मिंग (sustainable agriculture), ग्रुप फार्मिंग, और फाइनेंशियल मैनेजमेंट (lessons on financial management) से जुड़ी सिखाई गई हर बात को नोट किया.
एक बार फिर स्टूडेंट बन नई बातें जानी और समझा कि साझा प्रयासों से कृषि के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है (Advantages of Collective Farming). कम लागत में प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के तरीके सीखे (Improve Farming Productivity).
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ट्रेनिंग से घर लौटते समय, बस में ही इन महिलाओं ने ठान लिया, 'फार्मर कप 2022 तो हम ही जीतेंगे'. श्री गुरुदेव दत्त फार्मर ग्रुप का साथ, खेती के ज़रिए सपने पूरे करने का फैसला और जीतने का जज़्बा था... फिर भला जीतने से कौन रोक सकता था.
शोभाताई भालेराव ने दिया तालुका लेवल फार्मर कप जीतने का हौसला
तालुका लेवल विजेता की घोषणा हुई. पुरुषों के गटों के बीच से शोभाताई (Shobhatai) 30 महिलाओं के गट (women's group) को लीड करती हुई स्टेज पर आईं और अभिनेता आमिर खान (Aamir Khan Paani Foundation founder) के हाथों अवॉर्ड लिया.
यह जीत सिर्फ उनके गट की नहीं, पुरुष प्रधान कृषि क्षेत्र (male dominated field of agriculture) में अपनी पहचान बनाने का हौसला रखने वाली हर महिला किसान (women in farming) की थी.
अवॉर्ड चाहे गट को मिला, पर जीत पूरी तालुका की हुई. असल मायनों में देखा जाये तो इस प्रतियोगिता (Paani Foundation projects) में भाग लेने वाली हर तालुका, हर गांव जीता. ट्रेनिंग में मिली सीख और ग्रुप फार्मिंग के तरीकों (group farming methods) ने आत्मनिर्भर बनने और सामूहिक खेती (collective farming) की बेहतर तकनीकों (farming techniques) को अपनाने के लिए प्रेरित किया.
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जिसने समूह को जोड़े रखा और महिलाओं को सामाजिक बंदिशों की परवाह किये बिना जीत का हौसला जगाया, वह नाम था शोभाताई भालेराव- श्री गुरुदेव दत्त फार्मर ग्रुप की ऊर्जा (farmer cup success story).
गट की सदस्य दिपाली सोनोवणे बताती है, "जब हमारे गट का नाम लिया गया, विश्वास ही नहीं हुआ कि हम जीत गए हैं. हम तो बस घर और खेत तक ही सीमित थे. पर, भालेराव मैडम ने हमें हिम्मत दी और हम तालुका स्तर का अवॉर्ड जीत पाए."
शोभाताई ने अनुभवों से सीखी सशक्तिकरण की अहमियत
शोभाताई भालेराव ने दूसरी महिलाओं को सशक्त करने का लक्ष्य बनाया, जिसकी हिम्मत उन्हें अपने अनुभवों से मिली. उनके माहेर (मायके) में खेती की जाती थी. समय कुछ इस तरह बदला कि सभी खेत बिक गए और उनके पिता दूसरों के खेतों में मज़दूरी करने के लिए मजबूर हो गए.
आई (मां) खर्चों में हाथ बटाने के लिए बीढ़ी बनाने लगी. बस जो काम ना रुकने दिया, वह था बच्चों की पढ़ाई. भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के नाते शोभाताई ने सब करीब से देखा. इन परिस्थितियों ने उन्हें दूसरों का दर्द समझना सिखाया.
फार्मर कप 2022 का तालुका लेवल अवॉर्ड जीतने के बाद, ये कहानी वही नहीं थमी. फार्मर कप 2023 -24 (Farmer Cup 2023-24) की तैयारियां ज़ोर-शोर से चल रही हैं. इस बार उत्साह दोगुना है और महिलाओं की संख्या भी. रणरागिनी कहलाने वाली शोभाताई तीन नए ग्रुप्स से जुड़ी करीब 70 महिलाओं को फार्मर कप के लिए तैयार कर रही है.
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शोभाताई भावुक होते हुए कहती है, "आज इस गांव में मेरी कोई ज़मीन नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि मैं मूल रूप से यहीं की हूं."
किसान की बेटी शोभाताई आज टीचर है. पिछले साल उन्होंने किसान महिलाओं को इकट्ठा किया और मानेगांव (Manegaon) के खेतों को लहलहाने में किसानों का हाथ थामा. शोभाताई के इन प्रयासों से न सिर्फ़ इन महिलाओं की आर्थिक आज़ादी (financial freedom) का सपना पूरा हुआ, पर उनके बच्चों और परिवारों का भी विकास मुमकिन हो सका.
भालेराव कहती है, "इस सफलता का क्रेडिट महिलाएं मुझे देती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. यह सब महिलाओं के आत्मविश्वास और सपोर्ट की वजह से मुमकिन हो सका. वरना, भालेराव मैडम अकेले कुछ नहीं कर पाती."