ओडिशा (Odisha) से शादी होकर झारखंड (Jharkhand) आई Jamuna Tudu के घर के सामने एक-एक पेड़ रोज कट जाता. धीरे-धीरे गांव के पेड़ कट गए और सब तरफ उजाड़ हो गया. पेड़ों और प्रकृति से प्रेम करने वाली जमुना को पेड़ कटने का दर्द सहन नहीं हुआ. ससुराल वालों ने भी समझा दिया कि पेड़ काटने वाले माफिया (Mafiya) बहुत खतरनाक हैं. फिर भी जमुना को जंगल बचाने की धुन सवार थी.
झारखंड में जमुना ने ज़िद से बदला नज़ारा
प्रकृति ने हमें जीना सिखाया. हमें हर पल सांसें दी.जंगल और पेड़ यदि कट गए तो हमारी जिंदगी ही नहीं बचेगी. इन जंगल के माफियों से डरो मत. इन्हें सबक सिखाएंगे. उठाओ लाठी और चल पड़ो.इस आवाज़ के साथ पहले पांच और फिर पचास और पांच सौ और फिर यह सिलसिला थमा नहीं....पांच हजार के बाद दस हजार महिलाओं ने लाठियां उठा लीं. ये आवाज़ थी झारखंड के छोटे गांव मुतुरखम (Muturkham) की बहू जमुना टुडू की.
जमुना टुडू की इस सोच और ज़िद से शुरू हुई छोटी सी शुरुआत ने झारखंड में मिसाल कायम की. यहां न केवल जंगल खड़ा कर दिया बल्कि जंगल के माफियों को खदेड़ दिया. लगभग 14 सालों में जमुना के काम को भारत सरकार ने सराहा और पद्मश्री (Padmashri) ने नवाज़ा. इसके पहले भी उनको कई पुरस्कार मिले. आज लेडी फैंटम (Lady Fantom) के रूप में पहचान रखने वाली जमुना की बहादुरी की के किस्से सुनाए जा रहे.
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झारखंड के मुतुरखम गांव में वन माफिया (Forest Mafiya) ने जंगल उजाड़ दिए. हजारों पेड़ की तस्करी करते रहे. यहां से गुजरने वाली ट्रेनों में ये कीमती लकड़ियां(Timber) लाद कर भेज देते. इतना खौफ कि गांव वालों में माफियाओं का सामना करने की हिम्मत नहीं थी. इस आतंक का पता होने के बाद भी जमुना ने ज़िद पकड़ ली.
अपनी कहानी बताती हुई जमुना कहती हैं - "पिता के घर से मुझे पेड़ों और प्रकृति से प्रेम था. यहां शुरू में पेड़ देख कर अच्छा लगा. घर के आसपास हरियाली थी. पर ये ज्यादा दिन नहीं रही. सारे पेड़ काट दिए. कोई विरोध नहीं कर सका.मैंने महिलाओं से बात की. शुरू में केवल पांच महिलाएं ही तैयार हुईं.पेड़ काटना रोका तो घर पर माफियाओं ने तलवारों से हमला कर दिया.मैंने ठान लिया अब माफियाओं को खदेड़ कर रहूंगी."
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गांव के आसपास जंगल में महिलाओं को देख लकड़ी माफियों ने धमकी दी. लेकिन जमुना की टीम बढ़ती गई. जमुना की हिम्मत देख वन विभाग का अमला और फिर प्रशासन ने भी साथ दिया. वन सुरक्षा समिति बनाई. दस हजार लोगों की सेना के आगे आखिर जंगल माफियाओं ने घुटने तक दिए.जमुना आगे बताती है - "हमने कटे हुए पेड़ों की जगह नए पौधे लगाना शुरू किए.उनकी रखवाली की. हमारी महिला साथियों ने अलग-अलग इलाके में मोर्चा संभाला. और अब ये पौधे अब हमारे जंगल हैं. मेरे सारे पुरस्कार इस प्रकृति और जंगल को समर्पित हैं. जंगल और नदियों को बचाने के लिए समाज के हर व्यक्ति को आगे आना होगा. "
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पर्यावरण के लिए पैदल से पद्मश्री तक किया सफर
झारखंड में जमुना टुडू की वजह से सवा सौ एकड़ में घना जंगल खड़ा है. हजारों पेड़ झूम रहे. 2019 में जमुना को देश का सर्वोच्च चौथा बड़ा सम्मान पद्मश्री President Ramnath Kovind के हाथों मिला. इसके पहले गॉडफ्रे फिलिप्स राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, women transforming India जैसे पुरस्कार भी मिल चुके हैं. झारखंड की इस बहू ने Environment Conservation को लेकर उन महिलाओं को संदेश दिया जो जीने की इच्छा रखती हैं और हिम्मत नहीं जुटा पा रही.