"जिन लोगों को typhoid या chickenpox या इस तरह की बीमारियां हो जाती है, उनके ऊपर menstrual cycle वाली लड़कियों की परछाई भी नहीं पड़नी चाहिए"- ये कहा एक लड़की ने जो मुझसे छोटी है. "जब उससे पूछा क्यों, तो उसका जवाब था ये बीमारियां देवी की होती है और हमारे घर में ये ही मानते है." वह 21 साल की लड़की अपनी सोच को बदलने को भी तैयार नहीं थी, क्योंकि उसकी मां ने उसे ऐसा सब कुछ समझाया होगा.
कब बदलेगी माहवारी से जुड़ी सोच
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ये सिर्फ एक उदाहरण है हमारे देश में periods को लेकर लोगों कि सोच का. छोटी छोटी लड़कियों के दिमाग में इस कदर डाल दी गई है ये बात. कहते है लड़कियां माहवारी के समय में अपवित्र हो जाती है कि उनकी परछाई किसी बीमार व्यक्ति को और बीमार कर देगी. बेहद गुस्सा और शर्म आती है जब इस तरह की बातें आज भी सुनाने मिले तो.
जिस देश में (Navratri 2023) नवरात्रि देवियों को celebrate करने का त्यौहार है, जिस देश में मां को सबसे ऊपर का दर्जा दिया गया है, उसी देश में इस तरह की सोच? हर देवी खुद एक महिला है, मां है, पत्नी है... और उनके नाम पर इस तरह की बचकानी बातें?
चितपुर में menstrual theme पर सजाया पंडाल
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बस इन्ही सब धारणाओं को तोड़ने और अपवित्र सोच को पवित्र बनाने के लिए कलकत्ता के चितरपुर में Rabindranath Tagore के ancestral home जोरासांको में एक बेहद अनोखा दुर्गा पूजा पंडाल सजाया गया है. अनोखा और unique इसीलिए क्योंकि इसकी theme है menstruation.
हैरानी वाली कोई बात नहीं! लेकिन हां उन लोगों को ज़रूर इससे परेशानी हो सकती है जो अपनी सोच को गलत मानने को तैयार ही नहीं. यह पंडाल उस हर व्यक्ति की सोच पर करारा जवाब है जो एक महिला को periods के समय में अछूत मानने लगता है.
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मंदिरों में उनकी entry बंद कर दी जाती है, kitchen में उनको आने को मना कर दिया जाता है. उनके बर्तन अलग, उनके बिस्तर अलग, यहाँ तक की उनके साथ व्यव्हार भी अलग! एक (menstrual hygiene) प्राकृतिक प्रक्रिया, जिसे खुद भगवान ने हमें दिया उसी से दूर रखते है हमें periods में.
लोगों की बेतुकी सोच पर करारा जवाव है ये पंडाल
जितनी देवियों को पूजते है उन सबको भी (Menstrual cycle) माहवारी की प्रक्रिया होती है. क्योंकि वे महिलाएं है और ये समझना कोई मुश्किल बात नहीं है कि इस दुनिया की हर महिला माहवारी से गुज़रती है, लेकिन फिर भी ये भेदभाव सच में शर्मनाक है. बस इसी taboo को तोड़ने के लिए और लोगों की घटिया सोच को जड़ से उखाड़ कर फैकने के लिए इस theme से सजाया गया है दुर्जा पूजा पंडाल को.
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20 से 24 october तक चलने वाले इस त्यौहार पर चितपुर में आपको महिलाओं की, stained sanitary pads की और menstruation cycle को depict करती paintings देखने मिलेंगी. यह सोच को बदलने का और त्यौहार मनाने का बेहद अनोखा तरीका है. माहवारी से जुड़ी सोच को बदलने की सख्त ज़रूरत है और ये पंडाल उस दिशा में एक बहुत बड़ा कदम साबित होगा.
Womanhood एक वरदान है जो इस धरती पर ज़िंदगी लाता है, अगर उसे ही नहीं मनाया गया तो किस बात की शान रह जाएगी लोगों की. पंचार पाली दुर्गा कमेटी अपनी 84वी दुर्गा पूजा को महिलाओं के नाम करने की पूरी तैयार कर चुका है. भारत देश इतना rich culture है, लेकिन फिर भी विचार इतने छोटे? (Women empowerment) महिला सशक्तिकरण देश में तभी मुमकिन है जब हम लड़कियों को कोई दूसरे गृह का प्राणी ना समझकर normal समझा जाएगा!