कच्छ के मुंद्रा में अडानी ग्रुप ने 25 साल पहले जो सफर शुरू किया था, वह आज सफलता का नया आयाम छू रहा है. 1998 में, एक MT नाम के एक जहाज को लॉन्च किया और ALPHA 2 को मुंद्रा हार्बर पर डॉक किया. इस शुरुआत ने वहसफ लता हासिल की जिसकी उम्मीद भी नहीं की थी. मुंद्रा पोर्ट जो कभी एक सामान्य मेरीटाइम आउटपोस्ट हुआ करता था, वह आज ग्लोबल ट्रेडिंग हब है.
Image Credits: GeoTV
1996 में हुई अडानी फाउंडेशन की शुरुआत
मुंद्रा पोर्ट, भारत के समुंदरी व्यापार का मुख्य द्वार है. पिछले 25 वर्षों में, इसने राज्य और राष्ट्रीय खजाने में 2.25 लाख करोड़ का योगदान किया है और 7.5 करोड़ दिनों का रोजगार सृजन किया है.
लेकिन मुंद्रा पोर्ट की सफलता इन आंकड़ों के परे है. यहां समृद्धि को सिर्फ टनों में नहीं, बल्कि समुदायों की मुस्कानों में भी मापा जाता है. 1996 में, अडानी फाउंडेशन (Adani Foundation) की शुरुआत गौतम अडानी (Gautam Adani) और डॉ. प्रीति अडानी (Preeti Adani) ने समाज की भलाई के मिशन के साथ की.
Image Credits: GeoTV
मुंद्रा में बसे गांवों में जाकर स्थानीय नेताओं से बातचीत कर ज़मीनी स्तर की समस्याओं को समझा. आज, अडानी फाउंडेशन मुंद्रा के 61 गांवों में 3.5 मिलियन लोगों के जीवनों को छू रहा है.
600 से ज़्यादा वंचित छात्रों को मिल रही मुफ्त शिक्षा
शिक्षा की अहमियत को पहचानते हुए अडानी विद्या मंदिर भद्रेश्वर और अडानी पब्लिक स्कूल शुरू किये गए. हर साल, अडानी विद्या मंदिर भद्रेश्वर के 600 से ज़्यादा वंचित छात्र मुफ्त शिक्षा, यूनिफॉर्म और भोजन पाते हैं. ये संस्थान न सिर्फ ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि अच्छे मूल्यों और जीवन कौशल को भी विकसित करते हैं.
Image Credits: GeoTV
80 हज़ार लोगों तक पहुंच रही स्वास्थ्य सेवा
उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने के लिए मोबाइल स्वास्थ्य सेवा इकाइयां, ग्रामीण क्लीनिक और अडानी अस्पताल शुरू किया. 25 गांवों और 7 मछुआरों की बस्तियों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच रही है. इससे हर साल 80 हज़ार से ज़्यादा लोग प्रभावित हो रहे हैं.
Image Credits: GeoTV
SHG के ज़रिये सस्टेनेबल लाइवलीहुड को मिल रहा बढ़ावा
सस्टेनेबल लाइवलीहुड (sustainable livelihood) को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूहों (self help groups), कृषि पहलों और पशुपालन कार्यक्रमों का समर्थन किया जाता है. इसके ज़रिये 15 हज़ार से ज़्यादा लोगों को सशक्त बनाया जाता है. स्थानीय कारीगरों और किसानों का समर्थन कर न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जाता है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण भी मुमकिन हो पाता है.
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए मैंग्रोव वनीकरण (mangrove afforestation) जैसी परियोजनाओं को लागू किया जाता है, जिसमें लगभग 6 हज़ार हेक्टेयर को कवर किया गया है और 17.5 मिलियन से ज़्यादा पेड़ लगाए गए हैं.
Image Credits: GeoTV
मुंद्रा सिर्फ एक पोर्ट से कहीं ज़्यादा है. यह सहयोग, सहानुभूति और उज्जवल भविष्य के लिए साझा प्रयासों की शक्ति का प्रमाण है. अडानी फाउंडेशन इस बात का उदाहरण है कैसे समर्थन के ज़रिये समुदायों को सशक्त बनाया जा सकता है.