Naxalites धमकियों के बीच धुंआधार वोटिंग बनी मिसाल

लोकसभा 2024 के चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाना निर्वाचन आयोग और राजनीतिक दलों के लिए चुनौती बना हुआ है.बावजूद नक्लसियों की धमकियों के बीच भी धुंआधार वोटिंग मिसाल बन गई. 

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Naxalites धमकियों के बीच धुंआधार वोटिंग बनी मिसाल

बालाघाट जिले में मतदान के लिए कतार में लगी हुईं निडर महिलाएं(Image: Ravivar Vichar)

MP के Naxalites प्रभावित इलाके में बसे छोटे से गांव धीरी मुरुम, दुगलई एक बार फिर सुर्ख़ियों में है.सामान्य तौर पर इन गांव में कोई जाना नहीं चाहता.बावजूद जिला निर्वाचन आयोग और  आजीविका मिशन के प्रयास रंग लाए और बिना डरे लोगों ने वोटिंग की. यहां 73.45 % मतदान हुआ.            

निडर महिलाओं ने दिखाई लोकतंत्र की रोशनी 

MP के सबसे संवेदनशील नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में महिलाओं ने कमाल कर दिया. 
नक्सल प्रभावित इलाकों में कुछ निडर महिलाओं ने लोकतंत्र को नई उम्मीद और रोशनी दिखाई. अभी तक हुए दो चरणों के मतदान प्रतिशत ने सभी को चिंता में डाल दिया वहीं बालाघाट जिले के लांजी जैसे नक्सल प्रभावित ब्लॉक में भी 72.41 प्रतिशत वोट डले. बीहड़ जंगल में बसे धीरी मुरुम जैसे गांव में self help group की महिलाओं ने SVEEP Plan के जरिए आसपास के इलाकों में वोटिंग करवाई.
लांजी के BM Rajaram Parte और ABM Suneeta Chandne बताते हैं-"हमें ख़ुशी है कि नक्सल प्रभावित इलाकों के साथ ख़ुर्शीटोला के धीरी मुरुम  गांव में भी वोटिंग हुई.यहां  SHG की सदस्यों ने मतदान के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया."

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दुगलई गांव की महिला वोटर्स जहां इनकी बदौलत 100 फीसदी मतदान हुआ (Image: Ravivar Vichar) 

बालाघाट में धीरी मुरुम गांव में पहली बार स्वयं सहायता समूह का गठन हुआ.यहां पहुंचने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा और चार पुलिस चौकियों से निकलना पड़ता है. 

Tribal Community में भी 100 फीसदी मतदान 

सबसे बड़ी बात यह है कि बेगा जैसे tribal community की महिलाओं ने भी voting की. दुगलई गांव में 100 प्रतिशत तक रिकॉर्ड मतदान हुआ.एक या दो गांव के booth पर नक्सलियों की धमकी का असर जरूर  देखने को मिला.एक जगह 22 वोटर्स और एक जगह मतदान के लिए लोग नहीं पहुंचे. 
बालाघाट के जंगल और नक्सल प्रभावित इलाकों में हालात यह रहे कि कलेक्टर DM IAS Dr.Girish Mishra और SP IPS Sameer Saurabh ने हेलीकॉप्टर से कई सेंटर्स और गांवों का दौरा किया.जबकि फील्ड में जिला पंचायत ZP CEO R.S.Ranada ने कवर कर प्रतिशत को बढ़ाने में मदद की.

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हेलीकॉप्टर से नक्सल इलाके का दौरा करते हुए कलेक्टर और एसपी (Image: Ravivar Vichar)

Balaghat के कलेक्टर DM IAS Dr.Girish Mishra कहते हैं-"जिले में कई इलाके naxal प्रभावित हैं.हमने चुनौती को स्वीकार कर SVEEP प्लान,काउंसलिंग कर मतदाताओं के मन का भय दूर किया. voting का महत्व समझाया.ख़ुशी है जिले में शानदार वोटिंग हुई."

बालाघाट के मतदाता उन मतदाताओं के लिए प्रेरणा हैं जो  कई कारणों और भीषण गर्मी का हवाला देकर मतदाता घर से निकलने से कतरा रहे.

Ravivar Vichar ऐसे समूह और महिलाओं की पहल का समर्थन करता है जो नक्सल प्रभावित इलाकों में भी लोकतंत्र को मजबूती देने कतार में खड़ी रही.उम्मीद की जाना चाहिए  शेष बची मतदान प्रक्रिया के लिए  वोटर्स  बालाघाट से सीखेंगे.

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