एक लड़की सड़क पर अकेले निकलने में आज भी डरती है. कुछ हो गया तो? दिन तो फिर भी ठीक है... रात में तो घर वाले ही मना कर देंगे कि कोई ज़रूरत नहीं है जाने की. आज भी घर के बाहर लड़कियां सुरक्षित महसूस (Women empowerment) नहीं करती! ऐसा भी नहीं है कि वो घर में महफ़ूज़ है... घर में भी ऐसे बहुत से लोग मिल जाते है जो बुरी नज़र डालते है उसपर.
महिलाओं के ख़िलाफ हो रहे crimes को रोकना है ज़रूरी
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चाहे घर हो या बाहर, वो कही भी खुलकर जी ही नहीं पाती. बची-कूची कसर घर वाले पूरी कर देते है, जब अपनी आवाज़ दबाने को बोलते है और चुपचाप सहन करने की सलाह देते है. महिलाओं से संबंधित सामाजिक मुद्दे आज की दुनिया में एक प्रमुख और गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं. बात सिर्फ crimes की ही नहीं है. चाहे बात वेतन की हो, अवसरों की हो या प्रतिनिधित्व की, हर चीज़ में असमानता और परेशानी (domestic abuse of women) का सामना करना पड़ता है हम महिलाओं को.
घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और लिंग आधारित भेदभाव (Crime against women) जैसे मुद्दे भी सामने आते रहते है, जो महिलाओं की शारीरिक और भावनात्मक health को प्रभावित करते हैं. डर, कलंक और समर्थन प्रणालियों की कमी के कारण ये मुद्दे अक्सर रिपोर्ट नहीं किए जाते हैं.
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कोलकाता का अद्भुत दुर्गा पूजा पंडाल
बस इसी बात को सबके सामने लाने के लिए कोलकाता में एक दुर्गा पंडाल सजाया गया जो महिलाओं के खिलाफ़ हो रहे crimes की theme पर based था. इस पंडाल में ये बात सबके सामने लाने की कोशिश की गयी थी कि एक महिला देवी का रूप है फिर भी उसे इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बात सिर्फ इतनी सी है कि एक महिला को पूजने की बजाए अगर उसकी इज़्ज़त करना शुरू कर देंगे और उसे कोई object समझने की बजाए इंसान समझने लगेंगे तो भी उनके लिए ये दुनिया सुरक्षित हो जाएगी.