देश में महिला सशक्तिकरण और स्वावलंबन तेजी से बढ़ा रही है हमारी सरकार. परियोजनाओं और प्लांस, जो देश के हर राज्य में तैयार किये जा रहे है, वह साबित कर रहे है कि महिलाओं की बढ़ोतरी को राज्यों और केंद्र सरकार ने अपनी प्रार्थमिकता बनाया है.
डाबर बढ़ा रहा है महिला सशक्तिकरण के नए कदम
सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि देश में बहुत सी कंपनियां भी है जो CSR Activities से महिलाओं और ग्रामीण लोगों का विकास करने में कोई कमी नहीं छोड़ती. FMCG companies हो, service based companies हो, product based companies हो या कोई और कॉर्पोरेशन, सभी corporate social responsibilities (CSR) से जुड़े काम करते है.
भारत की ayurvedic medicine और natural healthcare कंपनी डाबर भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को हर सुविधा पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. साथ ही देश की महिला का विकास भी उनकी प्रार्थमिकता में से एक है. Fiscal year 2021 में Dabur ने अपनी CSR activities पर 28.71 करोड़ का खर्च किया. ग्रामीण महिलाओं के साथ देश को आगे बढ़ाने की इस पहल में Dabur ने ऐसे बहुत से initiatives शुरू किये है जो आज महिलाओं और ग्रामीण परिवारों को सशक्त कर रहे है.
700 से 7 कदम
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'700 से 7 कदम' डाबर की महिला-केंद्रित पहल अभियान का हिस्सा है, जिसमें Dabur India ग्रामीण भारत में महिलाओं को शौचालय तक आसान पहुंच प्रदान कर उनकी गरिमा की रक्षा करना चाहता है. 2015-16 के दौरान, डाबर ने ग्रामीण क्षेत्रों में 1,048 घरेलू शौचालयों और 2016 में 1,200 घरेलू शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य पूरा किया. यह plan सरकार के 'स्वच्छ भारत मिशन' की घोषणा से पहले शुरू किया गया था.
महिलाओं का financial और skill development है डाबर की नयी पहल
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महिलाओं में साक्षरता बढ़ाने के लिए बहनो की पाठशाला नाम के साक्षरता केंद्र चलाए जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के कौशल विकास के लिए बद्दी, उत्तर प्रदेश में उन्हें समर्पित पांच कौशल विकास केंद्र भी चलाए जा रहे हैं. इसके अलावा, डाबर 'नारी शक्ति केंद्र' नाम के अपने आजीविका और कौशल विकास केंद्रों पर कपड़े काटने और सिलाई, ब्यूटीशियन प्रशिक्षण और हस्तशिल्प से जुड़े प्रशिक्षण प्रदान करते हैं.
SHG बनाकर डाबर बढ़ा रहा है महिला सशक्तिकरण के नए कदम
2022 में डाबर ने ग्रामीण महिलाओं को अपने पैरों पर मज़बूती से खड़ा करने के लिए दो ज़रूरी pillars (शिक्षा और वित्तीय स्थिरता) पर ज़ोर देने की ठानी. इसीलिए उन्होंने स्वयं सहायता समूहों (Self help group) की स्थापना कर गरीब महिलाओं को उनकी क्षमता का एहसास करने का फैलसा किया था.
इस तरह की पहलों में सरकार और कंपनियों को और कदम उठाने की आवश्यकता है. देश की हर महिला को आत्मनिर्भर बनाने की सरकार की सोच तभी कामियाब होगी जब dabur जैसी और भी बड़ी कंपनियां CSR एक्टिविटीज़ में अपना योगदान बढ़ाएंगी.