फाइनेंशियल इंक्लूशन के लिए डिजिटल साक्षरता ज़रूरी

महिलाओं के फाइनेंशियल इन्क्लूशन को आसान बनाने के लिए गैर-लाभकारी संस्थाओं, वित्तीय संस्थानों, नीति निर्माताओं और यहां तक ​​कि पतियों और घरवालों को भी मिलकर काम करने की ज़रुरत है. फाइनेंशिययल सेवाओं तक पहुंचने के लिए डिजिटल साक्षरता अहम है. 

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मिस्बाह
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भारत में महिलाओं का फाइनेंशियल इन्क्लूशन (Women's financial inclusion) चिंता का विषय है क्योंकि पांच में से एक महिला के पास बैंक खाते तक पहुंच नहीं है. प्रधानमंत्री जन धन योजना (Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana PMJDY) जैसी पहल ने प्रगति की है, लेकिन बाधाएं अब भी हैं. इन कमियों को दूर करने के लिए, महिला विश्व बैंकिंग (Women’s World Banking) महिला-केंद्रित उत्पादों और सेवाओं को शुरू करने के लिए फाइनेंशियल स्टेकहोल्डर्स के साथ सहयोग करती है. 

WWB (Women's World Banking) की सीईओ मैरी एलेन इस्केंडेरियन और दक्षिण एशिया के लिए WWB की क्षेत्रीय प्रमुख कल्पना अजयन ने भारत की प्रगति और भविष्य के लिए ज़रूरी कदम उठाये.

महिलाओं के फाइनेंशियल इन्क्लूशन के लिए, WWB ने किया जन धन प्लस शुरू

भारत ने डिजिटल बुनियादी ढांचे में प्रगति की है, जो आधार, पीएमजेडीवाई खातों और यूपीआई के ज़रिये दिखाई देती है. लेकिन, आज भी स्मार्टफोन तक महिलाओं की पहुंच कम है. महिलाओं के वित्तीय समावेशन में सुधार के लिए, WWB ने जन धन प्लस (Jan Dhan Plus) जैसे बचत ऑप्शन्स शुरू किए हैं, जो महिलाओं को बचत करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. वित्तीय क्षेत्र में  एजेंटों के रूप में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ाना ज़रूरी है. स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की सभी महिलाओं का लोन भुगतान का डेटा उनकी पहचान करने के लिए ज़रूरी है.

ऋण तक पहुंच भी फाइनेंशियल इन्क्लूशन का ज़रूरी पहलू है. क्रेडिट बॉडीज (credit bodies) के साथ सहयोग करते हुए, WWB महिला  उद्यमियों के लिए लोन तक पहुंच को आसान बनाने के तरीके तलाश रहा है. कई महिलाओं में क्रेडिट से जुड़ी सही जानकारी की कमी है. क्रेडिट इकोसिस्टम में महिलाओं की मौजूदगी बढ़ाने के लिए उनके ऋण और पुनर्भुगतान रिकॉर्ड को क्रेडिट ब्यूरो के साथ पंजीकृत करने का विचार है.

फाइनेंशिययल सेवाओं तक पहुंचने के लिए डिजिटल साक्षरता है अहम 

महिलाओं के फाइनेंशियल इन्क्लूशन को आसान बनाने के लिए गैर-लाभकारी संस्थाओं, वित्तीय संस्थानों, नीति निर्माताओं और यहां तक ​​कि पतियों और घरवालों को भी मिलकर काम करने की ज़रुरत है (Women-centric products and services). फाइनेंशिययल सेवाओं तक पहुंचने के लिए डिजिटल साक्षरता (digital literacy) अहम है. 

महामारी के आर्थिक संकट ने महिलाओं के वित्तीय समावेशन को काफी प्रभावित किया है. ग्रामीण और शहरी महिलाओं की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर उत्पाद डिज़ाइन करना होंगे. वित्तीय समावेशन से न केवल महिलाओं को आर्थिक आज़ादी हासिल होगी, बल्कि देश का सामाजिक और आर्थिक विकास भी मुमकिन हो सकेगा.

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