अब मोबाइल पर टाइम पास नहीं, बैंकिंग कर रही दीदियां !

गांव की महिलाएं मोबाइल पर बैंकिंग और घर की सारी जरूरतें पूरी करना सीख रहीं. आजीविका मिशन से जुड़ीं इन महिलाओं को और अधिक परफेक्ट करने के लिए वित्तीय साक्षरता ट्रेनिंग दी जा रही.

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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महू ब्लॉक के हरसौला में एबीएम आरती सिंह समूह की महिलाओं की काउंसलिंग करते हुए (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

गांव की महिलाएं अब मोबाइल पर सिर्फ रिश्तेदारों या फ़िल्मी हीरो-हीरोइन के फोटो नहीं देख रही, ये अब इस मोबाइल पर बैंकिंग और घर की सारी जरूरतें पूरी करना सीख रहीं. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) से जुड़ीं इन महिलाओं को और अधिक परफेक्ट करने के लिए वित्तीय साक्षरता ट्रेनिंग दी जा रही. मध्यप्रदेश के सभी जिलों के साथ इंदौर (Indore) के 25 गांव को चुन कर यहां ट्रेनिंग दी जा रही. 

इंदौर के महू ब्लॉक (Mhow Block) के शिवनगर (Shivnagar) गांव में चल रही ट्रेनिंग को लेकर असिस्टेंट ब्लॉक ऑफिसर (ABM) आरती सिंह कहती हैं -"स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने के बाद उनकी वित्तीय साक्षरता (Financial Literacy) की ट्रेनिंग (Training) बहुत जरुरी थी. आखिर कमाया हुआ पैसा वह कहां और कैसे खर्च करे. इस समय 12 गांव में ट्रेनिंग चल रही, जिसमें अभी तक 800 महिलाएं ट्रेनिंग ले चुकीं हैं."

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महू ब्लॉक के शिवनगर  में ट्रेनिंग लेती एसएचजी की महिलाएं (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

शिवनगर में ट्रेनिंग ले रही कई महिलाएं अब ट्रेंड हो गईं. ट्रेनी निर्मला बताती है -" ट्रेनिंग में ई-बेकिंग (E-Banking) से कई तरह से हमारी बैंक में जमा पैसे के निकालने और जमा करने का तरीका सीख गए. अब बैंक के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे." इस सेंटर पर रोज 60 से अधिक महिलाएं ट्रेनिंग ले रहीं. 

फाइनेंशियल लिट्रेसी (Financial Literacy) के लिए एफसीआरपी (FCRP) नेहा पटेल यहां महिलाओं को सीखा रहीं हैं. नेहा बताती हैं -" महिलाओं को ई-बेकिंग समझने में शुरू में दिक्क्त हुई. लेकिन अब उनमें उत्साह देखा जा सकता है. ये बैंक में पैसा जमा करना, निकालना, किसी ओर के खाते में जमा करना जैसे ट्रांजेक्शन   सीख गईं. इस काम में भी ये आत्मनिर्भर बन गई." 

प्रदेश के साथ इंदौर जिले के सभी ब्लॉक में ये ट्रेनिंग चल रही.

महू के शिवनगर की बैंक सखी (Bank Sakhi) नेहा बुंदेड़ बताती है-" जरूरी होने के बाद भी कई महिला सदस्य बैंक जाने से कतराती थीं. ई-बैंकिंग और फाइनेंशियल लिट्रेसी का महत्व समझ आने के बाद समूह की महिलाओं को पैसा का ट्रांजेक्शन समझ आ गया. 

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महू ब्लॉक के हरसौला में एबीएम आरती सिंह समूह की महिलाओं की काउंसलिंग करते हुए (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

जिले के दूधिया (Dudhia) में भी ट्रेनिंग में 70 से अधिक महिलाएं हिस्सा रोज़ ले रहीं. यहां ट्रेनिंग दे रही बीसीए (BCA)  रिंकु कौशल और एफसीआरपी मोनिका का कहना है -"छोटे-छोटे लेनदेन के लिए महिलाओं को अब बैंक में भटकना नहीं पड़ता. "

लाखों महिलाओं ने सीखी डिजिटल बैंकिंग 

आजादी अमृत महोत्सव (Azadi Mahotsav) के तहत डिजिटल(Digital) लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर (DM) इलैया राजा टी. और जिला पंचायत (ZP) की सीईओ (CEO) वंदना शर्मा खुद महिलाओं को प्रोत्साहन दे रहीं. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के जिला परियोजना प्रबंधक (DPM)  हिमांशु शुक्ला ने बताया- "यह स्वयं सहायता समूह (SHG)की महिलाओं के लिए बड़ी उपलब्धि है. कई बार महिलाओं को अपने काम छोड़ कर दूर-दूर बैंक जाना पड़ता. यही वजह महिलाएं बैंक जाने से कतराती. अब ई-बैंक ट्रेनिंग के बाद अभी तक 2 हजार से ज्यादा महिलाएं इसमें ट्रेंड हो गईं. 15 अगस्त तक फाइनेंशियल लिट्रेसी (Financial Literacy) की यह ट्रेनिंग जारी रहेगी."

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