ग्रामीण कला से स्वरोज़गार को बढ़ावा दे रहा पतंजलि

पतंजलि ग्रामीण भारत में पारंपरिक कलाओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करता है, जिसमें हस्तशिल्प, हथकरघा वस्त्र, लोक कला, मिट्टी के बर्तन बनाना और अन्य पारंपरिक शिल्प शामिल हैं. पहलों के माध्यम से, पतंजलि कलाकारों को स्वरोजगार के नए अवसर प्रदान करता है.

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विधि जैन
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Patanjali Aipan Art

Image - Ravivar Vichar

पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) भारत में एक प्रमुख आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्माता है, जिसकी स्थापना 2006 में योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने की थी. इन्ही का एक संस्थान है पतंजलि योगपीठ.

पतंजलि योगपीठ (Patanjali Yogpith) एक आयुर्वेदिक संस्थान है जिसने योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है. यह संस्थान भारत में हो रहे सामाजिक कार्यों में भी प्रमुख स्थान रखती है. Uttarakhand के Haridwar में स्थित यह संसथान योग, आयुर्वेद तथा संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभा रहा है. पतंजलि योगपीठ ने विभिन्न सामाजिक और चिकित्सा सेवाओं के माध्यम से लाखों लोगों की आर्थिक और सामाजिक मदद की है.

समृद्ध ग्राम प्रशिक्षण केंद्र से बढ़ रहा महिलाओं का कौशल

Patanjali 'समृद्ध ग्राम प्रशिक्षण केंद्र' के ज़रिए उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से आए महिला स्वयं सहायता समूहों (Women Self Help Groups SHGs) को राज्य की पारंपरिक कला रूप 'ऐपण' (Aipan) का कला प्रशिक्षण दे रहा है. इससे महिलाओं को Aipan Art से जोड़, उन्हें पारंपरिक Eco Art के माध्यम से स्व-रोजगार बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया गया. यह कार्यक्रम उत्तराखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (USRLM) के सहयोग से आयोजित किया गया था.

प्रशिक्षण के दौरान, महिलाओं को IRULA हाइपर-लोकल मॉडल के माध्यम से व्यवसाय और आजीविका में वृद्धि के लिए प्रशिक्षित किया गया. कार्यक्रम में महिलाओं को पत्थर, साड़ी, कुर्ता, लकड़ी के ब्लॉक, कैनवस और दीवार चित्रकारी जैसे माध्यमों से कला कौशल विकास (skill development) में प्रशिक्षित किया गया. इस तरह के programs उन्हें स्वावलंबी बनने की दिशा में आगे बढ़ाते हैं.

ग्रामीण कला के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहा Patanjali

Patanjali भारतीय ग्रामीण कला के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में कार्यरत है. यह पहल भारतीय ग्रामीण कलाकारों, खास तौर पर महिला कलाकारों की अनूठी प्रतिभाओं और कौशलों को मंच प्रदान करती है. इसके अलावा, इस पहल के माध्यम से वे स्वावलंबन और आर्थिक स्वतंत्रता की ओर भी अग्रसर होते हैं.

Patanjali ग्रामीण भारत में पारंपरिक कलाओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करता है, जिसमें हस्तशिल्प, हथकरघा वस्त्र, लोक कला, मिट्टी के बर्तन बनाना और अन्य पारंपरिक शिल्प शामिल हैं. Patanjali इन कलाकृतियों को बाजार तक पहुंच उपलब्ध कराता है, जिससे कलाकारों को उनके काम के उचित मूल्य मिल सके और वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकें.

Patanjali के कार्यक्रमों से ग्रामीण कलाकारों को उनकी कला के विकास और नवाचार के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है. यह उन्हें अपने कौशल को उन्नत करने और नए डिजाइन विकसित करने में मदद करता है. Patanjali इन कलाकारों और उनके द्वारा बनाई गई कलाकृतियों की विशिष्टता और महत्व के बारे में जागरूकता फैलाता है, जिससे न केवल भारतीय बाजार में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी इसकी मांग बढ़ रही है.

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पतंजलि योगपीठ रख रहा स्वस्थ और सफल कल की नींव

पतंजलि योगपीठ सालों से आयुर्वेद, योग और संस्कृति की शिक्षा देने के लिए Patanjali विश्वविद्यालय का संचालन करता है. इसके अलावा, वे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार के लिए भी कार्यरत हैं. ये विभिन्न सामाजिक और सामुदायिक परियोजनाओं का भी हिस्सा हैं, जैसे कि गरीब और जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े प्रदान करना, और प्राकृतिक आपदाओं के समय में सहायता प्रदान करना.

पतंजलि योगपीठ पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण में भी योगदान देता है, जैसे कि पौधारोपण अभियान चलाना और जल संरक्षण परियोजनाओं में भाग लेना. इससे ना सिर्फ वे आयुर्वेद में अपना योगदान बढ़ा रहे हैं, बल्कि आने वाले कल के लिए भी एक बेहतर वातावरण तैयार कर रहे हैं.

इन पहलों के माध्यम से, Patanjali ग्रामीण कलाकारों को स्वरोजगार के नए अवसर प्रदान करता है, जिससे वे अपने पारिवारिक और सामाजिक जीवन में समृद्धि ला सकें. इस दृष्टिकोण से Patanjali भारतीय ग्रामीण कला को विश्व पटल पर पहचान दिलाने का काम कर रहा है और ग्रामीण आर्थिक विकास में भी योगदान दे रहा है. इससे सामाजिक-आर्थिक समृद्धि के नए आयाम खुल रहे हैं, जो आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

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