ऐपण कला से प्रेरित घड़ियां बना रहीं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं

महिलाओं को सशक्त बनाने, उनकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ समृद्ध कुमाऊँनी संस्कृति की वकालत करने के मिशन पर हैं पवन सिंह. ये महिलाएं अब पारंपरिक ऐपण कला से प्रेरित उत्कृष्ट घड़ियां बनाने शिल्प कौशल में लगी हुई हैं.

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रिसिका जोशी
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Image- Ravivar Vichar

उत्तराखंड की ऐपण गर्ल Minakshi khati (Aipan girl) की बात हमें कुछ समय पहले ही की थी. उन्होंने उत्तराखंड (Uttarakhand news) में कुछ इस तरह का माहौल बना रखा है कि महिलाएं ऐपण आर्ट को सीखने के लिए आगे आ रहीं है. खुद को सशक्त और अपने परिवार को स्वावलंबी बनाने के लिए हर प्रयास करती है महिलाएं. इनकी मदद करने के लिए भी हर कोई आगे आ रहा है, जैसे, हलद्वानी के रहने वाले पवन सिंह कुँवर. महिलाओं को सशक्त (Women empowerment) बनाने, उनकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ समृद्ध कुमाऊँनी संस्कृति की वकालत करने के मिशन पर हैं पवन सिंह.

ऐपण कला से प्रेरित घड़ियाँ बना रहीं SHG महिलाएं

ये महिलाएं अब पारंपरिक ऐपण कला से प्रेरित उत्कृष्ट घड़ियां बनाने शिल्प कौशल में लगी हुई हैं, जो कुमाऊंनी संस्कृति को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण प्रगति है. ऐपण इन घड़ियों के माध्यम से बाजार में मांग में आ चुका है. ग्राम सभा गेठिया के भीतर भिठौली स्वयं सहायता समूह (Women SHGs) की लगभग 7 से 8 महिलाओं ने ऐपण की कला से प्रेरणा लेते हुए, इन घड़ियों को बनाने के लिए प्रतिभा और प्रयास से अपनी काम शुरू किया है.

इन महिलाओं की अटूट प्रतिबद्धता और स्वरोजगार के लिए उठाए गए सक्रिय कदमों ने ऐपण कला को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी पहचान दिलाई है. भिठोली SHG कुमाऊंनी संस्कृति को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए dedicated है. समूह की महिलाएं सक्रिय रूप से स्वरोजगार अपना रही हैं, जिससे आत्मनिर्भरता हासिल हो रही है. 

वे अन्य महिलाओं को ऐपण कला का प्रशिक्षण देने के लिए भी समर्पित हैं, जिससे आत्मनिर्भरता और उद्यमिता की राह पर चल सकें साड़ी महिलाएं चल सकें. यह ग्रुप facebook के माध्यम से लोगों का पहुंच रहा है और महिलाएं अपनी कला का प्रदर्शन करने में सफल हो रहीं है.

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