आज आप अगर किसी गांव में जाए और वहां किसी घर में जाकर महिलाओं के हाल देखे तो आप समझ जाएंगे की हमारे देश में महिला सशक्तिकरण या women empowerment की कितनी ज़रूरत है. हर घर में अलग नियम और आज भी सब महिलाओं पर थोपे जाते है. तो ज़रा एक बार सोच कर देखिए कि आज से 100 साल या 200 साल पहले क्या हाल होंगे.
आज आप एक महिला को business चलाते हुए देखते है, उन्हें हर काम में आगे आते हुए देखते है. यहां तक की अभी मेरा आर्टिकल पढ़ रहे है. लेकिन अगर हम हमारे past में जाए और वहां की महिलाओं से पूछे कि- 'आपको क्या लगता है एक महिला इतना सब कुछ कर सकती है?' तो उनका जवाब 'ना' होगा क्योंकि उनके समय में लड़कियों और महिलाओं को घर से बाहर निकलने की इजाज़त ही नहीं थी.
अत्याचार तो छोटा शब्द है, महिलाओं के साथ जैसा बर्ताव किया जाता था वो इतना बुरा था कि आज सुनाने में भी शर्म आ जाए. तब कुछ महिलाएं थी जिन्होंने अपने हालात सुधारने की ठानी और आगे आकर बदलाव लाने का फैसला किया. ऐसी ही एक महिला थी Ramabai Ranade (Women in history).
Women rights को मुद्दा बनाने वाली महिला थीं Ramabai Ranade
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Ramabai Ranade 19वीं सदी की Indian feminist थीं, जिन्होंने महिलाओं की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी, उन्हें सार्वजनिक रूप से बोलने, पढ़ाने और अलग अलग प्रशिक्षण देने के लिए आवाज़ उठाई और दिए भी. उन्होंने महिलाओं को public space पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई.
Maharashtra में जन्मी थीं Ramabai Ranade
25 जनवरी 1862 को Maharashtra के सांगली जिले में जन्मी रमाबाई की दुनिया एक ऐसी दुनिया थी जिसमें feminism इस शब्द का मतलब ही नहीं पता था लोगों को. सामाजिक, धार्मिक और सामुदायिक बाधाओं के साथ भी उन्होंने अपने विचार और विचारधाराएं बदलने के बारे में कभी नहीं सोचा. उनकी शादी 11 साल की उम्र में Justice Mahadev Govind Ranade हो गई थीं.
पति के साथ Ramabai Ranade को मिली education और training
Ramabai Ranade की शादी ने ही उनके idealist philosophy की नींव रखी. Ramabai Ranade ने इससे पहले पढाई नहीं की थीं. अपने परिवार के विरोध के बावजूद, एक मजबूत शिक्षा और प्रशिक्षण के मार्ग वे अपने पति की मदद से आगे बढ़ीं. एक true feminist ally, Justice Mahadev Govind Ranade ने रमाबाई को स्कूल भेजा, ताकि वह उनके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर आगे बढ़ सकें. इन प्रयासों में उन्होंने अपने ही परिवार की दूसरी महिलाओं से भी बातें सुनी, लेकिन वे रुकी नहीं.
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Ramabai Ranade को उनके पति हर दिन पढ़ते भी थे
Justice Mahadev Govind Ranade ने Ramabai Ranade को मराठी, इतिहास, भूगोल, गणित और अंग्रेजी लिखने और पढ़ने के lessons दिए. वह Ramabai को सभी समाचार पत्र पढ़ने को कहते थे और उनके साथ current affairs पर चर्चा करते थे. वह उनकी समर्पित शिष्या बन गईं और धीरे-धीरे उनकी सचिव और मित्र भी.
ये थे Ramabai Ranade के women empowerment से जुड़े काम
Ramabai Ranade ने भारत में महिलाओं के अधिकारों के लिए बेहद महत्वपूर्ण योगदान दिया है. महिलाओं की आजादी के लिए लड़ाई लड़ने से लेकर और महिलाओं को public places तक पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है Ramabai Ranade ने. उनके प्रमुख योगदानों में शामिल हैं:
महिलाओं का Education and Empowerment: Ramabai Ranade ने महिला शिक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किया. उन्होंने महिलाओं को सार्वजनिक भाषण, शिक्षण और बुनाई में प्रशिक्षित किया, जिससे महिलाओं को हर काम में भाग लेने में कौशल और आत्मविश्वास मिला.
महिला मताधिकार आंदोलन या Women's Suffrage Movement: वह भारतीय महिला मताधिकार आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थीं और 1904 में पहले भारतीय महिला सम्मेलन की अध्यक्ष भी थीं. उन्होंने महिलाओं के मताधिकार की मांग को लेकर आंदोलन आयोजित किया और 1917 में भारतीय महिलाओं को मताधिकार की मांग करते हुए लॉर्ड मोंटेग के प्रतिनिधिमंडल का बनीं.
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सामाजिक सुधार या Social Reforms: Ramabai Ranade ने बाल विवाह की प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ी और इसे ख़त्म करने के लिए काम भी किया. उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के प्रति अपनी commitment का प्रदर्शन करते हुए फिजी और केन्या में भारतीय मजदूरों के अधिकारों की भी वकालत की.
सेवा सदन: उन्होंने सेवा सदन की स्थापना की, जो समावेशिता और महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए सभी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि की महिलाओं को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करती है.
Ramabai ranade ने लिखी autobiography
Ramabai Ranade के जीवन और कार्यों को उन्होंने अपने शब्दों में 'Himself: The Autobiography of a Hindu Lady' में लिखा. यह पुस्तक मराठी में लिखी गई और 1910 में प्रकाशित हुई. रमाबाई ने अपने जीवन में जो भी काम किए, उनमें से ज्यातादर करने वाली वह भारत की पहली महिला थीं चाहे फिर वो पढाई हो या आंदोलन. इस किताब में उन्होंने एक विवाहित महिला और एक समाज सुधारक के रूप में अपने अनुभवों का विवरण दिया है.
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Mahatma Gandhi ने Ramabai Ranade की मृत्यु को बताया भारत का नुक्सान
1924 में, Ramabai Ranade की उनके 62वें जन्मदिन पर मृत्यु हो जाने के बाद, Pune Seva Sadan विभिन्न विभागों में एक हजार से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण दे रहा था. यह काफी हद तक रमाबाई की पहल, मार्गदर्शन और परिश्रम के कारण था कि Seva Sadan को एक आधार मिला और प्रचलित prejudices के बावजूद इतनी तेजी से विकास हुआ.
वह एकमात्र पद, जिसे उन्होंने अपने जीवन के अंत में ग्रहण किया था, उसके लिए Mahatma Gandhi की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई. उन्होंने ने कहा- "Ramabai Ranade की मृत्यु एक national loss है. वह उन सभी का प्रतीक थीं जो एक हिंदू विधवा हो सकती थीं."
Ramabai ranade भारतीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण liberal figures में से एक थीं जिनके काम से आज महिलाओं के जीवन में भारी बदलाव आए है. आज ही हिंदुस्तानी महिला को जितने भी अधिकार मिले है उनके दिलवाने में सबसे बड़ा योगदान है Ramabai Ranade का.