हिंदी साहित्य को अपनी आवाज़ बनाती लेखिकाएं

महिलाओं के अनुभवों और मुद्दों को समझने के लिए हिंदी महिला लेखकों द्वारा रची कहानियों और कविताओं को पढ़ना ज़रूरी हो जाता है. ऐसी कहानियों को पढ़ने के लिए Hindi Diwas से बेहतर और कोई दिन नहीं. 

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मिस्बाह
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आज भी महिलाएं खुद को पितृसत्ता (patriarchy), परंपरा और पूंजीवाद (capitalism) के चक्रव्यूह में फंसा हुआ पाती हैं. इन समस्याओं को दुनिया के साथ साझा करने के लिए लेखकों ने कलम का सहारा लिया. पुरुष लेखकों ने अपने हिसाब से महिला पात्र (female characters written by male writers) लिखे.

पर, महिलाओं के अनुभवों और मुद्दों को समझने के लिए हिंदी महिला लेखकों (famous Hindi female writers) द्वारा रची कहानियों और कविताओं को पढ़ना ज़रूरी हो जाता है. ऐसी कहानियों को पढ़ने के लिए हिंदी दिवस (Hindi Diwas 2023) से बेहतर और कोई दिन नहीं. 

हिंदी में महिला लेखकों (best female hindi writers) द्वारा रचा गया साहित्य (Hindi Literature) समाज को आइना दिखाता है, महिलाओं की चुनौतियों, उनसे जुड़े अनसुने मुद्दों की आवाज़ बनता है. 

मित्रो मरजानी- कृष्णा सोबती 

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मित्रो मरजानी (टू हेल विद यू मित्रो) गुरुदास परिवार की बहू, मित्रो की कहानी है. मित्रो (Mitro Marjani) एक मध्यवर्गीय परिवार की लड़की है जिसका कोई दोस्त नहीं होता. भले ही मित्रो की शारीरिक ज़रूरतें उसके पति द्वारा पूरी नहीं की गईं, फिर भी वह अपने अधिकारों के लिए लड़ती है और अपने मन की बात कहती है.

मित्रो कृष्णा सोबती (Krishna Sobti) की महिला कामुकता (novels on female sexuality) के बेहिचक चित्रण की अभिव्यक्ति है. 1967 में लिखी इस पुस्तक की स्पष्ट यौन भाषा ने हंगामा खड़ा कर दिया था. 

पचपन खम्भे लाल दीवारें- उषा प्रियंवदा

धारावाहिक 'पचपन खंभे लाल दीवारें' की लेखिका ऊषा प्रियंवदा ने खोला राज, कहा-  'हमारे समय में लिव इन...' - Usha Priyamvada revealed many secrets about  serial Pachpan Khambe Lal ...

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सुषमा को जब नील से प्यार हो जाता है, तो उसका परिवार एकमात्र कमाने वाले सदस्य को खोने के डर से उनके रिश्ते का विरोध करता है. वह उनके लगातार ब्लैकमेल के आगे झुक जाती है और अपनी खुशी का त्याग कर देती है. उसका मानना ​​है कि छात्रावास भवन के पचपन खम्भे और लाल दीवारें (Pachpan Khambhe Laal Deewaarein) उसके साथी हैं.

1972 में अपने पहले प्रकाशन के लगभग पांच दशक बाद, हिंदी लेखिका उषा प्रियंवदा (Usha Priyamvada) की यह क्लासिक एक भारतीय महिला की परेशानियों, उसकी दबी हुई भावनाओं, अलगाव की पीड़ा और दर्द के प्रति सहनशीलता को दिखाती हैं.

आपका बंटी - मन्नू भंडारी

Mannu Bhandari often surprised her readers by reaching out for new heights

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यह कहानी एक ऐसे परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है जिसमें माता-पिता का तलाक हो जाता है, जिसकी वजह से उनका नौ साल का बेटा बंटी (Aap Ka Bunty) गंभीर रूप से प्रभावित होता है. बंटी की मां शकुन ने अपना जीवन आज़ादी से जीने के लिए अपने पति को तलाक देने का फैसला किया. बाल मनोविज्ञान (child psychology novel) पर प्रकाश डालते हुए, मन्नू भंडारी (Mannu Bandhari) की यह पुस्तक बंटी की असुरक्षाओं के व्यावहारिक चित्रण के लिए प्रसिद्ध हुई.

चौदह फेरे- शिवानी (गौरा पंत)

Gaura Pant 'Shivani' - Pioneer in Writing Woman Based Fiction

Image Creits: Sahityakalp

अहिल्या के विरोध के बावजूद, उसके पिता, जो कि एक व्यापारी है, उसे अपनी पसंद के एक अहंकारी सरकारी अधिकारी से शादी करने के लिए मजबूर करते है. अहिल्या की मां का भाग्य भी उतना ही निराशाजनक हुआ, जब वह अपने पति से अलग हो गई (Chaudhah Phere Shivani Gaura Pant).

अहिल्या के दादा-दादी ने भी उससे नाता तोड़ लिया और उसे अपने घर में रखने से इनकार कर दिया. अहिल्या अपनी मां जैसी परेशानियों से नहीं गुज़रना चाहती थी, इसलिए वह अपने पिता से अपना पति चुनने की अनुमति पाने के लिए जी-जान से संघर्ष करती है. 

कांच के शामियाने- रश्मी रवेजा 

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कांच के शामियाने (Kaanch ke Shamiyane by Rashmi Raveja) की नायिका एक हंसमुख महिला है जिसके कई सपने हैं. जब उसकी शादी हो जाती है तो उसके जीवन में भारी बदलाव आता है और वह खुद को बिना किसी सहारे के अलग-थलग पाती है. समय बीतने के साथ उसके सारे सपने एक-एक करके बिखर जाते हैं.

आख़िरकार, वह अपने जीवन पर काबू पाने का साहस जुटाती है और सफलता हासिल करती है. यह कहानी बताती है कि कैसे एक महिला की इच्छाशक्ति उसे समाज में दुख की गहराइयों से सफलता की ऊंचाइयों तक ले जा सकती है.

देवी - मृणाल पांडे

Mrinal Pande Wiki, Age, Husband, Family, Biography & More - WikiBio

Image Creits: WikiBio

लेखिका मृणाल पांडे (Devi by Mrinal Pandey) अपने आसपास की सशक्त महिलाओं में देवी का अवतार देखती है. ये महिलाएं मज़बूत इरादों वाली हैं और पुरुष-प्रधान दुनिया की परम्पराओं को चुनौती देने का जुनून रखती हैं. इस कहानी में वह अपनी मां शिवानी, जो एक हिंदी लेखिका है, अपनी दबंग चाची, बड़ी अम्मा और कई कार्यकर्ताओं, सुधारकों और वेश्याओं के बारे में लिखती हैं.

यह किताब उन महिला आवाज़ों की एक सूची की तरह है जो पुरुष-प्रधान समाज द्वारा उन पर लागू किए गए नियमों के आगे झुकने से इनकार करती हैं.

उसके हिस्स की धूप- मृदुला गर्ग

Exclusive: 'I talk to myself in time of Corona' by Mridula Garg - Times of  India

Image Creits: The Times of India

उसके हिस्से की धूप (Uske Hisse Ki Dhoop by Mridula Garg) एक प्रेम कहानी (love story) है, जो प्यार के इर्द-गिर्द नहीं, बल्कि आजादी के सवाल के इर्द-गिर्द घूमती है. मृदुला गर्ग इस पुस्तक में प्रेम और स्वतंत्रता के बीच जुड़ाव की पड़ताल करती हैं. वह यह सवाल रखती है कि क्या प्रेम को गलत  माना जाना चाहिए. यदि यह किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता और विकास में बाधा डाले.

भारतीय समाज में महिलाओं को हमेशा पुरुषों की तुलना में आज़ादी के निचले स्तर पर रखा गया है. यह पुस्तक आज़ादी की असमानता (inequality in freedom) पर सवाल उठाती है.

हिंदी साहित्य (Hindi Literature) को कई महिला आवाजों (female Hindi writers) ने आकार दिया है, जो महिलाओं की अदृश्य कहानियों को दुनिया के सामने लाईं. महिलाओं की वास्तविक कहानियों को जानने के लिए उनकी भाषा में लिखे उनके लेखों को पढ़ना ज़रूरी है. 

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