महाश्वेता देवी : समाज का साहित्य लिखती मां

बंगाली फिक्शन राइटर. सामाजिक कार्यकर्ता. आदिवासी समुदाय की आवाज़. फेमिनिस्ट. महाश्वेता देवी ने सभी टाइटल जिये. उनके लेख में ज़मीनी हक़ीक़त दिखाई देती. महाश्वेता देवी की साहित्यिक कला ने उन्हें फेमिनिस्ट आइकॉन बना दिया.

author-image
मिस्बाह
New Update
mahesmata devi

Image Credits: Ravivar Vichar

कुछ लोगों को आंदोलन करने के लिए मशालों की नहीं, सिर्फ कलम की ज़रुरत होती है. महाश्वेता देवी (Mahasweta Devi) भी भारतीय साहित्य (Indian literature) में ऐसे ही लेखकों की सूची में जगह बनाती हैं. बंगाली फिक्शन राइटर. सामाजिक कार्यकर्ता. आदिवासी समुदाय की आवाज़. फेमिनिस्ट. महाश्वेता देवी ने सभी टाइटल जिये (Fiction writer, voice of the subaltern, feminist Mahaswets Devi). उनके लेख में ज़मीनी हक़ीक़त दिखाई देती. पर्यावरण का शोषण, मेहनतकश गरीबों का संघर्ष, पश्चिम बंगाल और बिहार के भूमिहीन और छोटे किसानों, बंधुआ मज़दूरों की परेशानियां, पितृसत्ता से दबी महिलाओं की चुनौतियां उनके लेखों में जगह पाते. 

महाश्वेता देवी को किया गया पद्म विभूषण और बंग विभूषण से सम्मानित 

संहिचारी, मैरी ओरांव, रुदाली, छोटी मुंडा, दोपदी मेजेन जैसे कई ऐतिहासिक किरदारों की रचनाकार देवी ने बंगाली लेखन के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, पत्रकारिता के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्म विभूषण और बंग विभूषण से सम्मानित किया गया. उनके उपन्यास 'हजार चुराशिर मां' में परिवारों पर राजनीतिक हिंसा को दिखाया गया, 'अरण्येर अधिकार' में उन्होंने जमींदारों और राज्य द्वारा शोषण और विस्थापन का सामना करने वाले आदिवासी समुदायों की दुर्दशा पर बात की.

महिलाओं के सशक्तिकरण की लड़ाई की कहानियां लिखी

महाश्वेता देवी की लघु कहानी 'द्रौपदी' ने सुरक्षा बलों द्वारा यौन हिंसा और यातना का शिकार आदिवासी महिलाओं के दुखद अनुभवों को दर्शाया. 'चोट्टी मुंडा और उसका तीर' और 'बशाई टुडू' जैसी उनकी कहानियों ने उत्पीड़न और सामाजिक अन्याय के खिलाफ अपने लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले आदिवासी नेताओं की हिम्मत को दिखाया. कलेक्शन 'ब्रेस्ट स्टोरीज़' के ज़रिये, उन्होंने अलग-अलग परिवेश से आने वाली महिलाओं के सशक्तिकरण की लड़ाई की कहानियां लिखी.

लेख के ज़रिये महिलाओं और वंचित समुदायों के न्याय और समानता की वकालत की 

महाश्वेता देवी की साहित्यिक कला ने उन्हें फेमिनिस्ट आइकॉन (feminist icon) बना दिया. उन्होंने निडरता से उन लोगों की आवाज़ बुलंद की, जिन्हें अक्सर अनसुना कर दिया जाता है. महिलाओं और वंचित समुदायों के न्याय और समानता की वकालत करने के लिए अपनी कलम का इस्तेमाल किया. उनकी साहित्यिक विरासत समाज को अपने अन्यायों पर विचार करने और इन्क्लूसिव और खुशहाल दुनिया बनाने के लिए प्रेरित करती है. 

ब्रेस्ट स्टोरीज़ बशाई टुडू अरण्येर अधिकार बंग विभूषण पद्म विभूषण संहिचारी मैरी ओरांव रुदाली छोटी मुंडा दोपदी मेजेन feminist voice of the subaltern Fiction writer Indian literature Mahasweta Devi आदिवासी