रुचिरा कंबोज (Ruchira Kamboj) की कहानी केवल उनके पदों और नियुक्तियों की सूची तक सीमित नहीं है; यह उनकी वकालत और मानवाधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों के लिए उनकी आवाज उठाने के प्रयासों में भी परिलक्षित होती है. उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की प्रतिनिधि के रूप में सम्मान के साथ भारतीय संस्कृति और मूल्यों को दर्शाया है, और साथ ही साथ समाजिक न्याय और लैंगिक समानता के महत्व को भी बल दिया है.
न्याय के लिए UN में उठाई आवाज
2022 में, रुचिरा कंबोज (Ruchira Kamboj) को संयुक्त राष्ट्र (United Nations UN) में भारत का स्थायी प्रतिनिधि (Permanent Representative/Ambassador of India) नियुक्त किया गया, जो उनके करियर का एक चरम बिंदु है. इस पद पर उनकी नियुक्ति ने उनकी व्यक्तिगत योग्यताओं को तो मान्यता दी ही, साथ ही यह भी दिखाया कि भारतीय विदेश सेवा में महिलाएं कितनी प्रभावी और प्रेरणादायक हो सकती हैं.
रुचिरा कंबोज (Ruchira Kamboj) ने विश्व स्तर पर विशेष रूप से UN में महिलाओं के अधिकारों की वकालत की है. उन्होंने विदेश नीति में महिलाओं की भूमिका और उनके योगदान को महत्व देने के लिए बल दिया है. उनके अनुसार, सामाजिक और आर्थिक विकास में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से ही सच्ची प्रगति संभव है.
रुचिरा का मानना है कि महिला सशक्तिकरण केवल शिक्षा और रोजगार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में समान भागीदारी प्रदान करने से भी संबंधित है. उन्होंने इस दिशा में कई पहल की हैं, जिससे महिलाएं न केवल अपने निजी जीवन में, बल्कि पेशेवर मोर्चे पर भी सशक्त बन सकें.
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय महिला का प्रतिनिधित्व
संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिनिधि (Permanent Representative of India at UN) के रूप में, रुचिरा ने ना सिर्फ भारत की संस्कृति और विचारों का प्रसार किया, बल्कि विश्व समुदाय के सामने भारतीय महिलाओं की क्षमता और योगदान को भी उजागर किया. उनकी यह पहल भारत के साथ-साथ पूरे विश्व में महिलाओं के प्रति नज़रिये को सकारात्मक बनाने में मदद कर रही है.
रुचिरा कंबोज (Ruchira Kamboj) का जीवन और करियर उन सभी महिलाओं के लिए एक ज्वलंत उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाने और दुनिया को बेहतर बनाने की चाह रखती हैं. उनकी आवाज और कार्य ने ना केवल भारतीय विदेश सेवा (Indian Foreign Services IFS) में, बल्कि वैश्विक दर्शन में भी महिलाओं की उपस्थिति और प्रभाव को मजबूत किया है.
IFS की Woman Topper रहीं है Ruchira Kamboj
रुचिरा कंबोज (Ruchira Kamboj) का जन्म एक संस्कृति समृद्ध परिवार में हुआ था, जहां शिक्षा और मूल्यों को बहुत महत्व दिया जाता था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल के सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल से पूरी की और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक किया. उनकी शिक्षा ने ना केवल उन्हें ज्ञान की दृष्टि प्रदान की, बल्कि एक मजबूत नैतिक कम्पास भी दिया जिसने उनके करियर को आकार दिया.
1987 में भारतीय विदेश सेवा (Indian Foreign Services) में All Women Ranking में टॉप करने के साथ उनके चयन ने उनके जीवन को एक नई दिशा दी. रुचिरा की पहली पोस्टिंग पेरिस में हुई थी, जहां उन्होंने फ्रांस और यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंधों को मजबूत किया. उनकी कार्यशैली में जो विशेषता रही, वह थी उनका संवाद कौशल और रणनीतिक सोच.
भारत में वापस आने पर, उन्होंने विदेश मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के हितों का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने विशेष रूप से दक्षिण अफ्रीका और भूटान में भारतीय राजदूत के रूप में अपनी सेवाएं दीं, जहां उन्होंने भारत के विदेशी संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.
अपनी विचारधाराओं से बनीं सभी के लिए inspiration
रुचिरा कंबोज (Ruchira Kamboj) का जीवन और करियर युवा पीढ़ी, विशेषकर युवा महिलाओं के लिए एक उदाहरण है. उनकी कठिनाइयों को पार करने की कहानी, उनकी उपलब्धियां और उनका नेतृत्व अपने सपनों को साकार करने की अमिट सीख देता है.
रुचिरा कंबोज (Ruchira Kamboj) सिर्फ एक राजदूत नहीं हैं, बल्कि वह एक विजनरी भी हैं जिन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की आवाज को मजबूती से उठाया है.
यह भी पढ़ें - जनसंख्या और विकास पर 57वें आयोग में राजदूत रुचिरा कंबोज का वक्तव्य