हाल ही में चैत्र नवरात्र संपन्न हुए. बेटियों को देवी स्वरूप मान पूजा का यह उत्सव मनाया. देश के लगभग हर धार्मिक उत्सव में बेटियां या महिलाएं ही केंद्र बिंदु होती हैं.यह संस्कृति सिर्फ आयोजन नहीं बल्कि अध्यात्म और पौराणिक मान्यताओं की कसौटी पर आज भी खरे उतरते हैं.
किसी परिवार के लिए महिला सदस्य ही धुरी होती है, किसी भी घर का हर कोना हो,आर्थिक व्यवस्था हो,संस्कार हों या जीवनशैली, महिला का संवाद और उसके कहे हर शब्द ऊर्जा से प्रभावित हो हैं.
महिलाओं की बदलती जीवनशैली से बदल रहा माहौल
आइए इस गुत्थी को सुलझाते है.दरअसल प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क के दो भाग होते है- बोलचाल में चेतन मन और अवचेतन मन कहा जाता है. हमारा चेतन मन सही-गलत,अच्छा- बुरा, तर्क-वितर्क सोचने की क्षमता रखता है, इसीलिए रोजमर्रा की बातें और काम जिन्हें हम तर्क की कसौटी पर उतारते-चढ़ाते रहते है.जबकि वे काम जो प्राकृतिक तौर पर बिना प्रयास सहज होते हैं, जैसे-"सांस लेना, दिल का धड़कना, प्राणियों के शरीर के सभी अंगो का स्वचालित होना आदि. दिनचर्या के कार्य के लिए हमारा अभ्यास इतना हो जाता कि उसमें हमें सोचना नहीं पड़ता. जबकि अवचेतन मन तर्क को नहीं बल्कि दोहराव को स्वीकार करता है, चाहे वह सच हो या झूठ. इसी दोहराव को जीवन का हिस्सा बना लेता है."
शब्दों की बनावट ही है पवित्र मंत्रों की बुनावट
जैसा कि एक महिला अपने परिवार की केंद्र बिंदु होती है. उसके अवचेतन मन की सोच का ही प्रभाव पूरे परिवेश और परिवार पर पड़ता है.ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें प्रयोगों से साबित हुआ कि अवचेतन मन से निकले शब्द बेहद प्रभावी होते हैं.इसका प्रभाव परिवार की सकारत्मक और नकारत्मक ऊर्जा के रूप में दिखाई देते हैं. एक महिला जो हर बात पर कहती है- "सब आसानी से हो जाएगा, जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे, कोई बड़ी बात नहीं है मिलकर संभाल लेंगे, ऐसा तो चलता रहता है घबराना नहीं. यहां तक कि महिलाएं घर में पानी पिलाते हुए, भोजन बनाते हुए या भोजन परोसते भाव कुछ इस प्रकार रखती है जैसे -"मेरे परिवार के सभी सदस्य सहज और सुलझे विचार रखते है, सभी संस्कारी और ईमानदार है, सभी की health अच्छी है. ये सोच और शब्द ही महिला का मैजिक है."
सकारत्मक ऊर्जा के लिए मुद्रा योग करती हुईं नेहा (Image:Ravivar Vichar)
महिलाओं को 70 प्रतिशत पानी से बने इस शरीर में positive energy की फसल लहलहा जाएगी. यकीन मानिए यह सिर्फ शब्द नहीं रह जाते है, ये परिवार के लिए ऐसे मंत्र बन जाते है, जो शब्द महिला कह रही वह अवचेतन मन में दोहराव करते हैं जिसका प्रभाव हर सदस्य के शरीर में स्वचालित ढंग से प्रभावी हो जाता है.शब्दों की बनावट ही पवित्र मंत्रों की बुनावट है.
महिलाओं की आत्मनिर्भरता में दिखने लगी झलक
पिछले कुछ सालों से समाज में सकारत्मक माहौल दिखने लगा. केवल शहरी ही नहीं बल्कि गांवों में भी महिलाएं आत्मनिर्भर हो गईं. स्वयं सहायता समूह हो या कोई सामूहिक काम महिलाओं का दबदबा दिखने लगा. उनके अवचेतन मन को प्रसन्नचित चेहरे से पढ़ा जा सकता है. महिलाओं को मिली वैचारिक स्वतंत्रता का असर अवचेतन मन पर पड़ा. यही वजह महिलाएं भी हर क्षेत्र में सफल हो रहीं. इस प्रभाव से परिवार में स्वास्थ्य और आर्थिक जागरूकता दिखने लगी.
महिलाओं के अवचेतन मन के लिए ऊर्जा प्रयोग (Image:Ravivar Vichar)
महिलाएं ही हैं जो घर के प्रबंधन के साथ krishi sakhi, bank sakhi, health sakhi बनकर सफल हुईं. namo drone didi के रूप में गांव की महिलाएं ही विदेशों तक चर्चित हुई.शहरों में भी ऐसी कई महिलाएं हैं जो सकारात्मक सोच से समाज में अपनी जगह बना रहीं.
इन सब सफलता के पीछे यदि अध्ययन किया जाए तो निचोड़ यही है कि परिवार की समृद्धि के पीछे महिलाओं का अवचेतन मन है जिसने उन्हें और परिवार को नया आसमान दिया.
नेहा पाटीदार
समाजिक कार्यकर्ता और रिसर्च स्कॉलर