ISRO के साथ चांद पर महिला सशक्तिकरण की नींव रख रहीं वैज्ञानिक

चंद्रयान 3 मिशन ने न केवल लूनर एक्सप्लोरेशन में प्रगति की है, बल्कि इस क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती उपस्थिति, उनके योगदान और प्रभाव का उदाहरण दिया है. इस मिशन की सफलता में महिलाओं ने कई पहलुओं में अहम भूमिका निभाई है. 

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मिस्बाह
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ISRO female scientists

Image Credits: Ravivar Vichar

भारत के अंतरिक्ष एक्सप्लोरेशन (India's Space Exploration) से जुड़े प्रयास वैज्ञानिक नवाचार और दृढ़ संकल्प का प्रमाण रहे हैं. चंद्रयान 3 मिशन (Mission Chandrayan 3) भी इसी सफलता को दिखाता है. चंद्रयान 3 मिशन ने न केवल लूनर एक्सप्लोरेशन (lunar exploration) में प्रगति की है, बल्कि इस क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती उपस्थिति, उनके योगदान और प्रभाव का उदाहरण दिया है. इस मिशन की सफलता में महिलाओं (women in ISRO) ने कई पहलुओं में अहम भूमिका निभाई है. 

54 महिला इंजीनियरों/वैज्ञानिकों ने संभाली चंद्रयान-3 की कमान 

चंद्रयान-3 मिशन में लगभग 54 महिला  इंजीनियर/वैज्ञानिक (women engineers and scientists) शामिल थीं. वे सहयोगी और उप परियोजना निदेशक होने के साथ-साथ कई केंद्रों की परियोजना प्रबंधक भी रहीं. इस मिशन का नेतृत्व इसरो की वरिष्ठ वैज्ञानिकों में से एक डॉ. रितु करिधल श्रीवास्तव (Ritu Karidhal Srivastava) ने किया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की वरिष्ठ वैज्ञानिक रितु करिधल श्रीवास्तव ने मंगल ऑर्बिटर मिशन की सफलता में योगदान देकर प्रसिद्धि प्राप्त की. लखनऊ विश्वविद्यालय से फिजिक्स में मास्टर डिग्री और बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) से टेक्नॉलोजी में मास्टर डिग्री के साथ, वह हमेशा से ही अंतरिक्ष के प्रति आकर्षित रही हैं. 

नवंबर 1997 में ISRO में शामिल होने के बाद, रितु करिधल ने कई अहम अंतरिक्ष अभियानों में अपना योगदान दिया. मंगल अभियान के उप निदेशक के रूप में, उन्हें 'रॉकेट वुमन ऑफ़ इंडिया' का टाइटल मिला. 2007 में वह पूर्व भारतीय राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (Dr APJ Abdul Kalam) से इसरो युवा वैज्ञानिक पुरस्कार प्राप्त कर चुकी है. 

लड़कियों को वैज्ञानिक, इंजीनियर और लीडर बनने की हिम्मत दे रहीं महिला वैज्ञानिक 

चंद्रयान 3 मिशन में पी.माधुरी (P. Madhuri) ने भी अहम भूमिका निभाई. वह श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट पर अधिकारी हैं और रॉकेट लॉन्च कमेंटरी के पीछे की आवाज़ भी. चंद्रयान 2 पहली भारतीय अंतरग्रही परियोजना थी जिसमें महिलाओं ने अहम लीडरशिप पोज़िशन्स संभाली. मुथैया वनिता (Muthayya Vanitha) ने परियोजना निदेशक के रूप में काम किया था. ऐतिहासिक मिशन का नेतृत्व करने से पहले, वनिता ने कार्टोसैट-1, ओशनसैट-2 और मेघा-ट्रॉपिक्स उपग्रहों के लिए टीटीसी-बेसबैंड सिस्टम के लिए उप परियोजना निदेशक के रूप में भी काम किया है.

चंद्रयान 3 में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर की लड़कियों को वैज्ञानिक, इंजीनियर और लीडर बनने की हिम्मत देती है. इन वैज्ञानिकों और इंजिनीयर्स ने महिलाओं को हर सामाजिक मानदंडों को चुनौती देकर सिर्फ आसमान नहीं, अंतरिक्ष तक उड़ान भरने के लिए प्रेरित किया है. 

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