महिला नज़रिए को रोशनी देता सितारा Amrita Pritam

कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, जीवनी, संस्मरण, पंजाबी लोक गीत और आत्मकथा- अमृता ने सौ से ज़्यादा लेख लिखे. महिलाओं के मन में उलझे ख्यालों और बाहरी कैद की परेशानियां, लगभग सभी लेखों में दिखाई देती.

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पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री थी अमृता प्रीतम 

अमृता प्रीतम साहित्य के आकाश में वह चमकता सितारा है जिसकी रोशनी ने  महिलाओं के उन मुद्दों पर प्रकाश डाला जिन्हें अंधेरे में धकेल दिया जाता है. उनकी कलम अपने समय की चश्मदीद गवाह है, जो सदियों तक गवाही देती रहेगी. 31 अगस्त 1919 को अविभाजित भारत के गुजरांवाला में जन्मीं अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है. भारत-पाक विभाजन पर लिखी उनकी लंबी पंक्ति "अज्ज आखाँ वारिस शाह नूँ कित्थों क़बरां विच्चों बोल"

स्त्रियां उतारी गई सिर्फ़ कागज़ और केनवास पर

नहीं उतारी गई तो बस रूह में...

अमृता प्रीतम