मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में महिलाएं कड़कनाथ से अब पहचान के साथ पैसा भी मिल रहा. पिछड़े जिले की गिनती वाले इस झाबुआ जिले की महिलाओं ने साबित कर दिया की वे भी कारोबार कर सकती हैं.
झाबुआ के इंदौर-अहमदाबाद हाई-वे किनारे बसा मंडली गांव. इस गांव के सड़क किनारे पिंजरे में कड़कनाथ मुर्गे दिखाई दे जाएंगे. मोहन समूह की अध्यक्ष बल्ली बाई कहती है- "हमारे गांव महिलाएं पहले मजदूरी करती थी. कुछ चूजे लाकर बेच लेती. समूह बना कर काम किया. मैं खुद 30 हजार रुपए महीने कड़कनाथ मुर्गे-चूजे से कमा लेती हूं." इस गांव में 11 समूह बनाए गए. मंडली गांव की ही समूह सदस्य किना बाई भी अब खुश है. किना बताती है- " शुरू में कुछ काम नहीं था. समूह से लोन मिल गया.चूजे लाए और बढ़े किए. अलग से हाई-वे पर भी हम लोग कड़कनाथ बेचते हैं. ये 800 से 900 रुपए पर एक नग का बिकता है. मेरी कमाई 35 हजार रुपए महीने तक हो रही."