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आत्मरक्षा का प्रशिक्षण लेती स्कूली छात्राएं : Image :Raviavar
सलोनी की आंखों में चमक है.
इंदौर के एक्सलेंस बाल विनय मंदिर स्कूल की 12 th की स्टूडेंट कहती है - "कुछ दिनों में ही गज़ब का आत्मविश्वास आ गया. स्कूल में कोच ने हमें अकेले में किसी भी विषम परिस्थिति से निपटने के लिए कराटे की स्टेप्स सिखाई. मुझे खुशी है कि मैं अब दूसरी छात्राओं और मित्रों को भी सीखने के लिए प्रेरित कर रही हूं.शस्त्र कला का भी परिक्षण लिया."
ये एक बानगी है.
ऐसे ही इस स्कूल की स्टूडेंट भाग्यश्री कहती है -"हमने तो कभी सोचा भी नहीं था कि स्कूल में सिलेबस पढ़ाई के अलावा खुद की सुरक्षा के लिए भी टेक्निक सिखाई जाएगी. मेरे अभिभावक बहुत खुश हैं."
इसी तरह चाहे अक्षरा जैन हो या निधि शर्मा...छात्राएं कहती हैं- "आत्मविश्वास से अब हम स्कूल आना-जाना करते हैं.हमारी पढाई में एकाग्रता बढ़ी है."
सिर्फ डांस नहीं डंडा प्रदर्शन में हुई माहिर
इन दिनों छात्राएं सिर्फ मंच पर डांस परफॉर्मेंस को अपनी काबिलियत नहीं मानती. ये बेटियां अब डांस के साथ कराटे और डंडा प्रदर्शन में भी माहिर हो चली हैं. एक्सलेंस शासकीय स्कूल की प्राचार्य पूजा सक्सेना कहती है- "यह एक बड़ी उपलब्धि है. हमारे स्कूल से ही 500 छात्राओं ने विशेषज्ञों के माध्यम से आत्म सुरक्षा के लिए ट्रेनिंग ली.मैंने पाया कि इन बच्चियों में आत्मविश्वास के साथ पढ़ाई में एकाग्रता भी बढ़ी है. कोशिश करेंगे कि ऐसे प्रशिक्षण नियमित होते रहें."
अलग-अलग संस्थाओं में कोच पहुंच कर ट्रेनिंग दे रहे.इन्हीं में से एक प्रिय संघवी कहती हैं- "मेरी बेटी आन्या खुद ब्लैक बेल्ट कराटे एक्सपर्ट है. मुझे ख़ुशी है कि वह अपनी पढ़ाई के साथ संस्थाओं में छात्राओं को ट्रेन कर रही."
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इस पूरे मिशन को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) शांता स्वामी भार्गव कहती हैं- "जिला पंचायत सीईओ के गाइडेंस में यह मिशन सफल रहा.छात्राओं में पॉजिटिव इम्पेक्ट दिखाई देने लगा."
एक सोच से मिला छह हज़ार बेटियों को सुरक्षा कवच
इंदौर शहर इन दिनों एक और कीर्तिमान रचने की ओर अग्रसर है. एक छोटी सी सोच ने कैसे बेटियों की ज़िंदगी बदली.कैसे उनमें नया आत्मविश्वास जागा.कैसे उनमें एकाग्रता बनी,यह एक कोई एक दिन की उपलब्धि नहीं. इस मिशन को इस मुकाम तक पहुंचने में लगभग 3 महीने लगे.
लगातार अपने शासकीय कामों में नियमित व्यस्त रहने वाले एक IAS ऑफिसर की एक छोटी सी सोच ने शहर के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली बेटियों की सोच बदल दी.
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ये कोई एक छात्रा नहीं बल्कि लगभग साढ़े छह हज़ार छात्राओं से जुड़ी एक अनूठी कहानी है. CEO जिला पंचायत IAS सिद्धार्थ जैन इन दिनों अपनी साकारात्मक कार्यशैली से चर्चा में है.
उनकी पहल से शहर के सरकारी स्कूल में अध्ययनरत छात्राओं के लिए SELF DEFENCE की ट्रेनिंग शुरू की गई. सिद्धार्थ जैन ने प्रयास किए और मार्शल आर्ट (Martial Arts) से जुड़ी संस्था और कोच से स्वयं ने संपर्क कर स्कूल में छात्राओं को ट्रेनिंग की व्यवस्था की.
जुनून: IAS सिद्धार्थ जैन से "रविवार विचार" ने खास बात की.बातचीत के कुछ अंश.
* आपने मन कैसे आया कि शासकीय स्कूल में यह ट्रेनिंग मिलनी चाहिए ?
जैन - "मैंने देखा कि लगातार समाज में कई तरह की अप्रिय घटनाएं सुनने को मिलती हैं. हमारी छात्राएं कई बार अकेले सफर करती हैं. मुझे लगा कि आत्मरक्षा का गुर सभी बेटियों कोआना चाहिए.और यह प्रयास किया."
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* इस मिशन में आपको क्या चुनौती महसुस हुई?
जैन - "चुनौती तो कुछ नहीं.आप जानते हैं कि शासकीय शैक्षणिक संस्थाओं में कई निर्धन परिवारों के बच्चे भी पढ़ते हैं. ऐसी स्थिति में छात्राओं के अभिभावकों की सहमति भी जरुरी थी.और प्रसन्नता है अभिभावकों ने सहमति दी."
* लगभग छह हज़ार छात्राओं ने इस आर्ट को सीखा और आत्मरक्षा के गुर सीखे.आपके पास क्या फीडबैक है ?
जैन - "बच्चियों में आत्मविश्वास तो बढ़ा ही है बल्कि उनकी एकाग्रता क्षमता में बढ़ोतरी हुई. इसका प्रभाव उनकी पढ़ाई और परिणाम पर सकारात्मक पड़ेगा."
* इस मिशन की सफलता पर आपको कैसा अहसास हो रहा?
जैन - "जब बेटियों और छात्राओं को मैदान में कॉन्फिडेंस के साथ प्रदर्शन करते देखता हूं तो प्रसन्नता होती है. प्रयास करेंगे कि इस तरह के कार्यक्रम जारी रहें."
IAS सिद्धार्थ जैन की यह पहल और सैकड़ों बेटियों के चेहरे पर दिखाई दे रहा आत्मविश्वास और प्रसन्नता से साबित होता है कि प्रयास सार्थक हो तो परिणाम भी सुखद होंगे. उम्मीद की जाना चाहिए ये ट्रेन छात्राएं समाज को नई दिशा देंगी.जिला प्रशासन की इस पहल की सराहना की जाना चाहिए जबकि कई जगह बढ़ती छेड़ छाड़ की घटनाओं के बीच मुंहतोड़ जवाब देने के लिए बेटियों को काबिल बनाया जा रहा है.
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