अफ़गानी महिलाओं के अस्तित्व को ख़त्म करता 'तालिबान शासन'!

Taliban का Afghanistan पर एक बार फिर कब्ज़ा कर लेना महिलाओं के लिए एक अभिशाप साबित हुआ है. तालिबान की वापसी ने महिलाओं के अधिकारों को दशकों पीछे धकेल दिया है, उनकी स्वतंत्रता को कुचल दिया है और उनके जीवन को एक कारागार में तब्दील कर दिया है.

author-image
विधि जैन
New Update
Afghan women stoning to death for adultery

Image - Ravivar Vichar

ज़रा सोचिए, आपको घर के एक कोने में बैठने को कह दिया जाए. पढ़ने ना दिया जाए, phone ना चलाने दिया जाए, अकेले बाहर ना जाने दिया जाए, अपनी मर्ज़ी के कपड़े ना पहनने दिए जाए, यहां तक कि अपनी बात तक ना कहने दी जाए. और पूछने पर कारण यह दिया जाए कि "यह तो बस आपको एक आरामदायक ज़िंदगी दी जा रही है." पर आज के समय में क्या ये सच में आरामदायक है? क्या यह आराम आपसे पूछ कर आपको दिया गया है? नहीं ना, तो फिर ये आराम कैसा... यह तो बंदिशों में जकड़ना हुआ... कुछ ऐसा ही हाल आज अफ़गानिस्तान (Afghanistan) की महिलाओं का भी है, जिनके ऊपर बिना उनकी मर्ज़ी के 'आरामदायक जीवन' के नाम पर ये बातें थोप दी गयीं हैं.

15 अगस्त 2021 को एक तरफ जहां भारत अपनी स्वतंत्रता का 75वां जश्न मना रहा था वहीं दूसरी ओर Afghanistan एक बार फिर तालिबान (Taliban) की बेरहम बेड़ियों में बंधने जा रहा था. 20 साल की आज़ादी के बाद एक बार फिर वहां की महिलाएं घरों में कैद होने जा रहीं थी. Taliban का Afghanistan पर एक बार फिर कब्ज़ा कर लेना महिलाओं के लिए एक अभिशाप साबित हुआ है. Taliban की वापसी ने महिलाओं के अधिकारों को दशकों पीछे धकेल दिया है, उनकी स्वतंत्रता को कुचल दिया है और उनके जीवन को एक कारागार में तब्दील कर दिया है.

यह भी पढ़ें - ईरान में फिर हिजाब जरूरी ...Morality Police का कहर जारी

महिलाओं को Adultery के लिए पत्थर मारकर मौत की सज़ा

Afghanistan पर कब्ज़ा किए हुए तालिबानी "supreme leader" अखुंदजादा (Mullah Hibatullah Akhundzada) का हाल ही में यह बयान आया है कि

"जब हम महिलाओं (Afghanistan Women) को पत्थर मारकर मार देते हैं तो आप इसे महिला अधिकारों का उल्लंघन बताते हैं. लेकिन जल्द ही हम व्यभिचार (Adultery जिसे शरिया में ज़िना कहा गया है) के लिए ये सज़ा लागू करेंगे. हम महिलाओं को सरेआम कोड़े मारेंगे, हम उन्हें public में पत्थर मार-मारकर मार डालेंगे (stoning women to death)."

अगर आप यहां adultery का मतलब सिर्फ extra marital affair समझ रहें है तो आप गलत हैं. तालिबानी शरिया कानून (Shariya Law) के हिसाब से अगर एक महिला का किसी गैर-पुरुष से चाहे अपनी मर्ज़ी से या बिना मर्ज़ी से कोई शारीरिक संबंध होता है, तो उसे adultery (ज़िना) का नाम दे दिया जाता है.

Afghan women stoning to death for adultery1

Image Credits - The Print

पुरुष को गलत साबित करने के लिए गवाह की ज़रूरत पर महिला को सीधे सज़ा

कुरान और हदीस में, जिससे तालिबानियों का शरिया कानून (Shariya Law) बना है, बलात्कार के लिए विशेष रूप से सज़ा का उल्लेख ही नहीं है. जहां एक तरफ पुरुष को दोषी साबित करने के लिए 4 "अच्छे" चरित्र वाले male eyewitnesses की गवाही होना ज़रूरी है जो कि लगभग नामुमकिन सा है, वहीं शरिया की एक व्याख्या के तहत, बलात्कार को adultery के रूप में माना जा सकता हैं, जिसमें महिला के लिए पत्थर मारकर मौत या कोड़े मारने की सज़ा हो सकती है. इससे एक बात तो तय है कि "Taliban का यह शरिया कानून (Shariya Law) महिलाओं पर अत्याचार करने से शुरू होता है और उनके जीवन को नर्क बनाने पर ख़त्म."

इसका जीता जागता उदाहरण है Gulnaz. अपने चचेरे भाई के हाथों बलात्कार की शिकार होने के बावजूद, पुलिस को हमले की रिपोर्ट करने के बाद उस पर "adultery" का आरोप लगा दिया गया और 12 साल जेल की सज़ा सुनाई गई. गुलनाज़ रिहाई मिलने से पहले करीब दो साल और तीन महीने तक काबुल (Kabul) की बादाम बाग जेल में अपनी बेटी के साथ रही, जो rape की वजह से हुई pregnancy से हुई थी. 

ऐसा ही एक और case सामने आया जब एक महिला ने कोर्ट को बताया कि उसके पति के भाई ने उसका बलात्कार किया है. उस महिला को ज़िना (adultery) का दोषी ठहरा दिया गया और उसकी मौत हो जाने तक उसे पत्थर मारने की सज़ा सुनाई गई. जज ने उसकी गर्भावस्था को adultery का proof माना क्योंकि उस समय उसका पति जेल में था और वह बलात्कार के लिए गवाह पेश करने में असमर्थ थी.

यह भी पढ़ें - 31 साल की जेल, 154 कोड़े की सज़ा-Narges Mohammadi को मिला Nobel prize

अफ़गानी महिलाओं के लिए बना दिया धरती को नर्क

जब 2021 में Taliban दोबारा Afghanistan लौटा तो उसने अपने सख्त नियमों में बदलाव लाने का वादा किया था लेकिन तालिबानी क्रूरता का शिकार हुई वहां की महिलाएं बखूबी जानती थी कि Taliban की फितरत कभी नहीं बदल सकती पर वे कुछ ना कर सकीं. उन महिलाओं का यही डर सच में तब बदल गया जब तालिबान ने अपनी फितरत का कच्चा चिट्ठा दुनिया के सामने एक बार फिर खोला. वहां की हर महिला को आज नर्क में धकेला जा रहा है. पढ़ाई से लेकर सांस लेने तक, आज ये औरतें Taliban की तानाशाही का शिकार बन गई हैं.

Taliban की यह दरिंदगी सिर्फ यहीं तक सिमित नहीं है. उनके हिसाब से छोटी बच्चियों तक को बुर्खा पहनना और खुद को पूरी तरह से ढकना भी एक नियम है. एक औरत किसी पुरुष डॉक्टर से अपना इलाज नहीं करवा सकती, अकेले घर से नहीं निकल सकती, public places पर ज़ोर से बोल नहीं सकती, यहां तक की अपने घर की balcony में भी खड़ी नहीं हो सकती. और अगर कोई इन पाबंदियों का पालन ना करें तो उसे इसी तरह की सख्त सज़ा दी जाती है या उसके परिवार के पुरुषों को जेल में डाल दिया जाता है.

Afghan women stoning to death for adultery2

Image Credits - Radio Free Europe

आज Afghanistan की female population अपनी तकलीफ बताए भी तो किसे? Afghan सरकार के Women Welfare Department को तो कब्ज़ा करते ही हटा दिया गया. Female athletes को खेल से दूर कर दिया गया. अकेले park, gym, swimming pools और sports clubs में जाना ban कर दिया. लड़कियों और महिलाओं से education छीन ली गई और उन्हें सर से लेकर पैर तक ढक दिया गया. यहां तक कि beauty parlors तक को बंद करवा दिया गया. यही parlors कई घरों की आय का इकलौता ज़रिया होते थे और पूरे परिवार का पेट पालते थे.

अपने इस्लामिक और शरिया कानूनों की आड़ में Taliban हमेशा से सिर्फ महिलाओं को दबाने और उनके हक़ को छीनने का काम करता आया है. शरिया कानून (Shariya Law) इस्लाम के आधार पर बने कानूनों को कहा जाता है. क्यूंकि यह कानून और इसमें दी जाने वाली सज़ाएं किसी एक धर्म पर आधारित है, इसमें धर्मनिरपेक्षता का दूर-दूर तक कोई सबूत नहीं मिलता. इससे यह अक्सर मानवाधिकारों (human rights) का हनन, लैंगिक भेदभाव (gender discrimination), स्वतंत्रता पर प्रतिबंध और न्यायिक प्रक्रिया में कमी के कारण विवादों में रहा है. यह अपनी कठोर सज़ा और सीमित अधिकारों के कारण भी इंसान की स्वतंत्रता और समानता को खंडित करता है.

gender discrimination Taliban Afghanistan Female Population Afghanistan Women adultery तालिबान अफ़गानिस्तान Female athletes human rights Shariya Law Shariya stoning women to death Kabul Women Welfare Department Afghan शरिया कानून शरिया