ईरान एक ऐसा देश जहां लड़कियों की आज़ादी जैसा कुछ होता ही नहीं है. ये बात वहां रहने वाली हर लड़की और साथ ही पूरी दुनिया को पता चला चुकी है. महसा अमिनी का केस जब दुनिया के सामने आया था तब सब लोग हैरान थे कि इस तरह का अत्याचार 21वी सदी में हो रहा है लड़कियों और महिलाओं के साथ. सिर्फ अपने सर को ढंग से नहीं ढका, तो मौत!
सोच के शर्म आती है...जहां लड़कियां हर काम के टॉप पर पहुंच रहीं है, हर क्षेत्र में परचम लहरा रहीं है, वहां 2022 में इतनी शर्मनाक खबर सामने आ रही है. महसा अमिनी को मोरालिटी पुलिस के अत्याचारों का शिकार बनना पड़ा था. इस पुलिस को सड़कों पर गश्त करने के लिए तैनात रख जाता है ईरान में, ताकि कोई भी लड़की ड्रेस कोड ना तोड़ पाए.
ईरान सरकार की morality police है सबसे ज़्यादा immoral
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इस पुलिस की शुरुआत की थी ईरान सरकार ने. सबसे ज़्यादा baseless भी कहा जाए अगर ईरान की सरकार को, तो ग़लत नहीं होगा. एक और निडर और बेहद साहसी महिला है जो आज भी ईरान की जेल में बंद है. गलती सिर्फ ये की अपने अधिकार मांग लिए! नरगिस मोहम्मदी (Narges mohammadi iran) नाम है इस ईरानी महिला का जो एक पत्रकार है.
Nobel Peace Prize 2023 से नवाज़ा गया है Narges mohammadi को
सुर्ख़ियों में इसीलिए छाई है क्योंकि कल दिए गए नोबेल प्राइज़ में इन्हे nobel peace prize दिया गया. सुनने में लगता है न कि हर साल ही तो दिए जाते है ये पुरस्कार. तो ये महिला सुर्ख़ियों में क्यों है? इसका जवाब है- ये महिला जिसका नाम नरगिस है, जो पेशे से एक पत्रकार है, आज भी जेल में बंद है. इन्हे यह सम्मान जेल में दिया गया.
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जेल में क्यों बंद है नरगिस?
सवाल तो आपके मन में भी होगा कि (Why is narges mohammadi in jail?) जेल में क्यों बंद है नरगिस? अपने जैसी हर महिला के हक़ को मांगा था नरगिस ने. उनके उत्पीड़न को जड़ से खत्म करना चाहती थी, हिजाब जैसी बेतुकी प्रथा को बंद करवा कर हर लड़की को आज़ाद ज़िन्दगी देने की इच्छा रखी थी उन्होंने. मानवाधिकारों के बारे में बात करी थी नरगिस ने और इस कारण उन्हें ईरान सरकार ने 31 साल की जेल और 154 कोड़ों की सज़ा सुनाई.
कौन हैं ईरान की नरगिस मोहम्मदी?
नरगिस का जन्म 21 अप्रैल 1972 को सनांदाज, कुर्दिस्तान, ईरान में हुआ था. नरगिस मोहम्मदी एक ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर (DHRC) में उपाध्यक्ष के पद पर हैं. अपनी शिक्षा के बाद, नरगिस मोहम्मदी ने एक इंजीनियर के रूप में काम किया और विभिन्न समाचार पत्रों के लिए लिखते हुए एक columnist के रूप में भी योगदान दिया. महिलाओं के अधिकारों के लिए वे 1990 से लड़ रहीं है.
नरगिस मोहम्मदी की उम्र 51 साल है. उन्हें सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने के आरोप में साल 2015 से जेल में बंद किया गया है. इसके पहले उन्हें साल 2011 में जेल में बंद किया गया था, उन पर कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की सहायता करने की कोशिश करने का आरोप लगा था. जेल में है लेकिन काम करना बंद नहीं किया उन्होंने. नरगिस ने जेल में रहकर "व्हाइट टॉर्चर" नामक पुस्तक लिखी है.
जेल में लिखी व्हाइट टॉर्चर नाम की किताब
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इस पुस्तक, "व्हाइट टॉर्चर: इंटरव्यूज़ विद ईरानी वूमेन प्रिज़नर्स" को अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और मानवाधिकार Forum for Reporters Without Borders में मान्यता मिली है. नरगिस मोहम्मदी नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाली 19वीं महिला हैं और 2003 में शिरीन एबादी के बाद यह सम्मान हासिल करने वाली दूसरी ईरानी महिला हैं. विशेष रूप से, नोबेल पुरस्कार के 122 साल के इतिहास में यह पांचवां उदाहरण है जब यह पुरस्कार किसी जेल में बंद व्यक्ति को दिया गया है.
अपने बच्चों से 8 साल से नहीं मिली है नरगिस. उनके पति, ताघी रहमानी भी एक activist हैं और उन्हें ईरानी सरकार द्वारा 14 साल की जेल की सजा का सामना करना पड़ा है. वह आज भी निडर है और पूरे साहस के साथ सरकार के सामने खड़ी है. ईरान सरकार को लगा होगा कि उन्हें जेल में डाल देना उन्हें रोकने के लिए काफ़ी होगा, लेकिन वे शायद ये भूल गए कि नरगिस बेहद साहसी, निडर और सबसे बड़ी बात, एक महिला है. उसे हरा पाना किसी के बस की बात नहीं...और फिर बिना किसी जुर्म के जेल में बंद कर देना- इससे तो वह हरगिज़ नहीं डरने वाली.