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कल्पना, ज्योति ने मजदूरी पर जाना धीरे-धीरे कम किया. हालांकि खेत मालिकों और पटेलों ने ग्रुप को खत्म करने का दबाव बनाया. क्योंकि क़र्ज़ में दबी ये महिलाएं असल से कई गुना ज़्यादा सूद दे चुकी थी".लेकिन महिलाओं ने यह ठान लिया कि अब मजदूरी नहीं करेंगी.
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