Punjab State Women Commission ने हाल ही में दो सुपरहिट गानों — Karan Aujla का MF Gabru और Yo Yo Honey Singh का Millionaire- को लेकर आपत्ति जताई है. इन गानों को महिलाओं के प्रति अपमानजनक बताया गया है. सवाल अब ये है: क्या ये गाने केवल मनोरंजन हैं या स्त्री-विरोधी सोच को बढ़ावा दे रहे हैं?
Karan Aujla MF Gabru Lyrics Under Fire – महिला आयोग ने क्यों उठाई आपत्ति?
7 अगस्त 2025 को Punjab Women Commission ने एक आधिकारिक पत्र में कहा कि MF Gabru lyrics और Millionaire song lyrics में ऐसी भाषा का उपयोग हुआ है जो vulgar, sexist और misogynistic है. उन्होंने Punjab DGP से जांच कर रिपोर्ट 11 अगस्त तक प्रस्तुत करने को कहा है.
Honey Singh Millionaire Song Controversy – Lyrics में क्या है ऐसा जो बना विवाद का कारण?
Honey Singh पहले भी अपने गानों के कारण विवादों में रह चुके हैं. अब एक बार फिर, Millionaire song को महिला-विरोधी बताया गया है. Commission का कहना है कि इस गीत में objectification of women और gender-insensitive language को glamorize किया गया है.
Social Activist Complaints Against MF Gabru – क्या बोले प्रोफेसर पंडित राव?
चंडीगढ़ के social activist प्रो. पंडित राव धरननावर ने भी मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने कहा कि ये गीत youth culture को गलत दिशा में ले जा रहे हैं और Punjabi culture का अपमान कर रहे हैं.
उन्होंने:
उन्होंने मांग की है कि इन गानों को तुरंत ban किया जाए और कलाकारों पर legal action लिया जाए.
Karan Aujla और Honey Singh की चुप्पी – क्या बोले कलाकार?
अब तक Karan Aujla और Honey Singh की तरफ से कोई official statement नहीं आया है. लेकिन सोशल मीडिया पर इन गानों को लेकर बहस तेज़ हो चुकी है — freedom of expression बनाम responsible creativity का मुद्दा उठ चुका है.
Objectionable Lyrics in Punjabi Songs – क्या यह पहली बार हुआ है?
Honey Singh के खिलाफ पहले भी कई बार ऐसी शिकायतें आई हैं. “Balatkari”, “Chaar Botal Vodka”, और अन्य गाने लंबे समय तक विवाद का हिस्सा रहे. अब इस बार Karan Aujla भी इस दायरे में आ चुके हैं. ये स्पष्ट करता है कि यह केवल व्यक्तिगत मामला नहीं, बल्कि एक pattern in Punjabi music है.
युवा मानसिकता और महिलाओं की गरिमा का सवाल
आज का युवा वर्ग Instagram Reels, YouTube Shorts और Spotify के ज़रिए हर दिन इन गानों से प्रभावित हो रहा है. ऐसे में यह सवाल ज़रूरी हो जाता है —
क्या popular music misogyny को normalize कर रहा है?
औरतों की objectification, power-dominance culture, और hyper-masculinity को glamorize करना सिर्फ एक lyrical choice नहीं, बल्कि एक cultural attack है. हम मानते हैं कि हर कलाकार को freedom of expression का अधिकार है, लेकिन साथ ही यह भी मानते हैं कि कला एक सामाजिक ज़िम्मेदारी भी है. जब करोड़ों युवा इन गानों को गाते और दोहराते हैं, तब उनके lyrics का असर केवल कानों तक सीमित नहीं रहता — वो सोच बनते हैं.
“जब शब्द स्त्री का अपमान करें, तो वो संगीत नहीं, शोर बन जाते हैं.
सबकी निगाहें Punjab Police की रिपोर्ट पर हैं. क्या Commission की मांग पर कुछ कार्रवाई होगी? क्या गीतों के content को लेकर कोई ठोस guideline बनाई जाएगी? यह मामला सिर्फ दो कलाकारों का नहीं, पूरे music industry की जवाबदेही का है.