कौन है Banu Mushtaq? Heart lamp के लिए International Booker 's prize जीतने वाली लेखिका

Banu Mushtaq, एक वकील, एक्टिविस्ट और लेखिका हैं, जिनकी कन्नड़ कहानियों का संग्रह Heart Lamp 2025 में International Booker Prize जीत चुका है. जानिए उनकी ज़िंदगी, विचारधारा और उस साहित्यिक परंपरा को जिसे उन्होंने नई आवाज़ दी.

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रिसिका जोशी
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banu mushtaq international bookers prize 2025 winner

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एक मुस्लिम महिला जो दक्षिण भारत के एक छोटे शहर से उठी, जिसने कानून की पढ़ाई की, अदालतों में संघर्ष किया, महिलाओं की आवाज़ बनी — और अब, 77 की उम्र में, दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों में से एक International Booker Prize जीत चुकी है. Banu Mushtaq, एक नाम जो भारत के साहित्यिक इतिहास में अब हमेशा के लिए दर्ज हो चुका है.

कौन हैं Banu Mushtaq? – लेखक से पहले एक इंसाफ़ पसंद वकील

Banu Mushtaq का जन्म 3 अप्रैल 1948 को हास्सन, कर्नाटक में हुआ. एक निम्न-मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार से आने वाली Mushtaq ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कन्नड़ में की और बाद में कानून की डिग्री हासिल की. उन्होंने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत पत्रकारिता से की, लेकिन बहुत जल्द वे मानवाधिकार वकालत की ओर मुड़ गईं. विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं और समाज के वंचित तबकों के लिए कानूनी और सामाजिक लड़ाइयां लड़ना उनका प्राथमिक कार्यक्षेत्र रहा.

“मेरे लिए कानून सिर्फ एक पेशा नहीं था. वह न्याय की भाषा थी,” — Banu Mushtaq

Bandaya आंदोलन और Mushtaq की साहित्यिक पहचान

Banu Mushtaq का साहित्य सीधे तौर पर Bandaya Sahitya यानी ‘प्रोटेस्ट लिटरेचर’ की परंपरा से जुड़ा है — जो 1970 के दशक में कर्नाटक में उभरा. इस परंपरा में लेखन एक राजनीतिक कृत्य होता है, और Mushtaq की कहानियां इसी मूलभूत दर्शन को आगे बढ़ाती हैं. उनकी कहानियां किसी आदर्श महिला की छवि नहीं रचतीं, बल्कि आम औरतों की सच्चाइयों, दुखों, और छोटे-छोटे विद्रोहों को ज़िंदा करती हैं. वे औरतें जो समाज में “कमज़ोर” मानी जाती हैं — वही उनकी कहानियों में सबसे ज़्यादा ताक़तवर निकलती हैं.

लेखन की शुरुआत और विचारधारा

Banu ने 1990 के दशक से कहानियां लिखना शुरू किया. उनकी कहानियों में धार्मिक पहचान, लैंगिक शोषण, घरेलू हिंसा, और सामाजिक न्याय जैसे विषय बार-बार लौटते हैं — लेकिन किसी भी victimhood के साथ नहीं. उनकी लेखन शैली में हास्य, कटाक्ष, और राजनीतिक बौद्धिकता का संयोजन है. उनकी भाषा सीधी, लेकिन अर्थ-गहन होती है. वह अपने पात्रों को नायक नहीं बनातीं, बल्कि उन्हें इंसान की तरह जटिल और layered दिखाती हैं.

“औरतों की कहानियाँ लिखना, इतिहास को चुनौती देना है,” — Banu Mushtaq

Heart Lamp – जब छोटी कहानियाँ बड़ा इतिहास रचती हैं

2025 में उनका कहानी संग्रह Heart Lamp: Selected Stories (1990–2023) को अनुवादिका Deepa Bhasthi द्वारा अंग्रेज़ी में प्रस्तुत किया गया और इसने International Booker Prize 2025 जीता — यह पुरस्कार पहली बार किसी कन्नड़ भाषा, किसी short-story collection, और किसी भारतीय महिला अनुवादक को मिला. इस संग्रह में 12 कहानियाँ हैं जो मुस्लिम महिलाओं की दैनिक, अक्सर अदृश्य जिंदगियों की पड़ताल करती हैं — जिसमें हंसी भी है, चोट भी, और विद्रोह भी. जजों ने इसे “a dry, ironic, and defiant voice against patriarchal traditions” बताया.

Deepa Bhasthi – अनुवाद के माध्यम से पुल बनाने वाली आवाज़

Deepa Bhasthi, Heart Lamp की अनुवादिका, एक स्वतंत्र लेखिका और अनुवादक हैं. उन्होंने Mushtaq की कहानियों को ऐसे रूप में पेश किया कि उनका cultural essence, feminist perspective और भाषा की लय intact रहे.

Booker Prize की राशि (£50,000) Mushtaq और Bhasthi के बीच बराबर बाँटी गई — यह अनुवाद और मूल लेखन दोनों की साझी जीत थी.

साहित्य, कानून और सामाजिक प्रतिबद्धता – तीनों का संगम

Mushtaq का जीवन सिर्फ साहित्य या कानून तक सीमित नहीं है. वह एक grassroots कार्यकर्ता भी रही हैं — जिन्होंने राज्य और धार्मिक संस्थानों के पितृसत्तात्मक ढांचे को खुलकर चुनौती दी है. उनकी ज़िंदगी और काम, दोनों ही उस महिला की परिभाषा को बदलते हैं जो बुर्के, बिंदी या संविधान — किसी के भी भीतर अपनी आज़ादी खोज सकती है.

Frequently asked questions about Banu Mushtaq

Q1: Banu Mushtaq पेशे से क्या हैं और उन्होंने अपना करियर किस तरह शुरू किया?
Banu Mushtaq मूलतः एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उन्होंने पत्रकारिता से अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत की, लेकिन बहुत जल्द ही उन्हें यह समझ में आ गया कि मीडिया से ज़्यादा ज़रूरी है जमीनी स्तर पर न्याय के लिए लड़ना. उन्होंने महिलाओं, विशेषकर मुस्लिम महिलाओं के हक़ में कोर्ट में और समाज में दोनों स्तर पर काम किया. उन्होंने अपने legal work को कभी अलग नहीं रखा — बल्कि उनके लेखन का आधार वही बन गया. यह न्याय और संवेदना का मेल उनके साहित्य को एक अनूठा स्वर देता है.

Q2: Heart Lamp किस तरह की किताब है और इसमें किस विषय को केंद्र में रखा गया है?
Heart Lamp: Selected Stories कन्नड़ भाषा में लिखी गई 12 कहानियों का संग्रह है जो 1990 से 2023 के बीच प्रकाशित हुईं. इन कहानियों में कर्नाटक की मुस्लिम महिलाओं की रोजमर्रा की ज़िंदगी, संघर्ष, चुप्पी, और विद्रोह की झलक मिलती है. यह किताब ‘सामान्य’ औरतों की असामान्य मजबूती की पड़ताल करती है — चाहे वो घरेलू हिंसा हो, धार्मिक पहचान का बोझ, या समाज द्वारा थोपे गए आदर्शों का विरोध. यह कहानियाँ छोटे शहरों की पृष्ठभूमि में लिखी गई हैं लेकिन उनका स्वर universal है.

Q3: क्या Banu Mushtaq को पहले भी कोई साहित्यिक मान्यता मिल चुकी है?
हालाँकि Banu Mushtaq लंबे समय से कन्नड़ साहित्यिक हलकों में एक जानी-पहचानी आवाज़ रही हैं, लेकिन उनका नाम राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतना प्रचारित नहीं हुआ था. Heart Lamp और उसका English अनुवाद उनके काम को वैश्विक पहचान दिलाने वाला पहला बड़ा मुकाम रहा. यह पुरस्कार न केवल उनके लेखन की शक्ति का सम्मान है, बल्कि उन हज़ारों भाषाओं और औरतों की आवाज़ का भी जो भारत के अंदरूनी हिस्सों में अक्सर अनसुनी रह जाती हैं.

Q4: क्या Heart Lamp की कहानियों में धार्मिक या राजनीतिक स्वर हैं?
हां, लेकिन यह स्वर कभी ज़ोर से नहीं चिल्लाते — बल्कि चुपचाप कटाक्ष करते हैं. Mushtaq की कहानियों में धार्मिक पहचान एक layered realty की तरह उभरती है, खासकर उस समय में जब भारत की राजनीति में मुस्लिम महिलाओं की agency पर सवाल उठाए जाते हैं. कहानियों में सांप्रदायिकता, पितृसत्ता और सामाजिक दबाव की सूक्ष्म लेकिन तीखी आलोचना है. इन कहानियों को पढ़ते हुए यह एहसास होता है कि राजनीति सिर्फ नारे या भाषण में नहीं, बल्कि रोजमर्रा की रसोई और रिश्तों में भी मौजूद होती है.

Q5: Deepa Bhasthi ने इन कहानियों का अनुवाद कैसे किया और उसका क्या महत्व है?
Deepa Bhasthi खुद एक कन्नड़ भाषी लेखिका और अनुवादक हैं, जिनकी समझ Mushtaq की सामाजिक और भाषाई जड़ों से गहराई से जुड़ी है. उन्होंने सिर्फ शब्दों का नहीं, बल्कि भावनाओं, व्यंग्य, और स्थानीय बोली की बारीकियों का भी अनुवाद किया. Heart Lamp के अनुवाद को English PEN Award भी मिल चुका है. यह अनुवाद भारतीय भाषाओं के प्रति वैश्विक जिज्ञासा और अनुवाद की ताक़त को साबित करता है. Booker Prize में उनका नाम Banu Mushtaq के साथ साझा हुआ — जो अनुवाद की बराबरी की साझेदारी का सुंदर उदाहरण है.

Q6: आज के समय में Banu Mushtaq का साहित्य क्यों प्रासंगिक है?
Banu Mushtaq का साहित्य उस समय में बहुत ज़्यादा ज़रूरी है जब धर्म, पहचान और औरत की agency पर राजनीतिक और सामाजिक हमले हो रहे हैं. उनकी कहानियाँ बताती हैं कि परिवर्तन सिर्फ नारेबाज़ी से नहीं, बल्कि धीमे और गहराई से जड़ें हिलाने वाले सवालों से आता है. उनकी लेखनी न तो डरती है, न ही चिल्लाती है — वह बस सच बोलती है, और यही उसकी सबसे बड़ी ताक़त है.

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