भारतीय लेखिका Nilanjana S. Roy बनेंगी 2026 International Booker Prize की जज: एक सादा लेकिन अहम कदम

भारतीय लेखिका Nilanjana Roy को 2026 International Booker Prize के लिए judge चुना गया है. जानिए कैसे उनका feminist perspective और literary experience इस global literary award को एक नई दिशा दे सकता है.

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रिसिका जोशी
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Nilanjana Roy international bookers prize judge

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जब भारत की कोई आवाज़ विश्व साहित्य के किसी निर्णायक मंच पर पहुँचती है, तो वह सिर्फ़ एक नाम नहीं होती — वह पूरी सोच, संस्कृति और संवेदना का प्रतिनिधित्व करती है.

Nilanjana S. Roy, दिल्ली में रहने वाली लेखिका अब International Booker Prize 2026 की judges panel में शामिल होंगी. यह खबर न सिर्फ उनके लेखन की गहराई को रेखांकित करती है, बल्कि भारत की भाषा, संस्कृति और नज़रिए को भी एक वैश्विक मान्यता देती है.

nilanjana roy

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कौन हैं Nilanjana S. Roy?

Nilanjana S. Roy का नाम भारतीय साहित्य के उन चुनिंदा नामों में आता है जो गहराई, विविधता और आलोचनात्मक सोच के लिए जाने जाते हैं.

उनकी चर्चित किताबें हैं:
📘 The Wildings
📘 The Hundred Names of Darkness
📘 Black River (2022)

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वे दो दशकों से ज़्यादा समय से साहित्यिक आलोचक, कॉलमनिस्ट और anthologist के रूप में सक्रिय हैं. फिलहाल वे Financial Times में एक स्थायी कॉलम लिखती हैं, जिसमें किताबों, पाठकों और साहित्यिक परंपराओं पर बात होती है.

International Booker Prize में उनका चयन क्यों अहम है?

Booker Prize कोई साधारण पुरस्कार नहीं है. यह दुनियाभर के best writers को पहचान देने वाला मंच है, जो non-English लेखकों और उनके अनुवादकों को spotlight में लाता है. जिनके लेख ऐसे होते है जो हर व्यक्ति से जुड़ जाए. हाल ही में Banu Mushtaq को भी उनकी किताब Heart Lamp के लिए International Booker 's Prize से सम्मानित किया गया था. देश के लिए यह बहुत गर्व की बात थी. रविवार विचार ने उनका वीडियो भी बनाकर अपने प्लेटफॉर्म्स पर शेयर किया.

 

2026 की जज पैनल में Nilanjana के साथ शामिल हैं:

  • Natasha Brown – Chairperson और British novelist

  • Marcus du Sautoy – Oxford के प्रख्यात mathematics professor

  • Sophie Hughes – प्रशंसित translator

  • Troy Onyango – Pan-African editor और लेखक

Nilanjana की मौजूदगी इस पैनल में सिर्फ एक भारतीय प्रतिनिधित्व नहीं है. यह भाषा, स्त्री-लेखन, और वैकल्पिक दृष्टिकोण की नुमाइंदगी है.

क्यों जरूरी है ऐसे मंचों पर भारतीय महिलाओं की आवाज़?

Ravivar Vichar में हम बार-बार यह बात कहते हैं कि representation केवल symbol नहीं, substance भी होता है. Nilanjana Roy की मौजूदगी उस विचारधारा को चुनौती देती है जिसमें मुख्य रूप से यूरो-सेंट्रिक दृष्टिकोण हावी होता है. वह इस मंच पर उन लेखकों को आवाज़ दिला सकती हैं जो बहुभाषी, नारीवादी, और उपेक्षित समाजों से आते हैं. साथ ही, यह एक subtle feminist intervention भी है — loud नहीं, लेकिन layered और पावरफुल.

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Translation और अनुवादकों को मिली नई दिशा

Booker Prize अब लेखकों के साथ-साथ अनुवादकों को भी equal recognition देता है. यह बदलती दुनिया की ओर इशारा करता है जहाँ भाषा की दीवारें टूट रही हैं और आवाजें जुड़ रही हैं. Nilanjana का दृष्टिकोण, जो अक्सर marginalised voices, hidden literatures और forgotten genres पर केंद्रित रहता है, इस पूरी प्रक्रिया को और गहराई देगा.

Nilanjana S. Roy का चयन एक shifting moment है. ऐसे समय में जब हम भारत में किताबें पढ़ने की आदत खोते जा रहे हैं, एक भारतीय लेखिका का इस तरह से इंटरनेशनल मंच पर पहुँचना हमें दोबारा सोचने पर मजबूर करता है — कि पढ़ना, समझना और जुड़ना अभी भी संभव है.

FAQs about Nilanjana Roy

Q1: Nilanjana S. Roy कौन हैं और उनका साहित्यिक योगदान क्या है?
उत्तर: Nilanjana S. Roy एक जानी-मानी भारतीय लेखिका, संपादक और साहित्यिक आलोचक हैं. उन्होंने The Wildings और The Hundred Names of Darkness जैसे उपन्यास लिखे हैं, जो बिल्लियों की काल्पनिक दुनिया के माध्यम से मानवीय सामाजिक संरचनाओं पर सवाल उठाते हैं. उनकी नवीनतम किताब Black River (2022) एक अपराध कथा है जो भारतीय ग्रामीण संरचना और न्याय प्रणाली पर रोशनी डालती है. इसके अलावा, वे Financial Times में एक स्थायी कॉलम भी लिखती हैं, जिसमें वे किताबों, पाठकों और वैकल्पिक साहित्यिक परंपराओं पर बात करती हैं.

Q2: International Booker Prize क्या है और इसमें Nilanjana Roy की क्या भूमिका है?
उत्तर: International Booker Prize एक प्रतिष्ठित वैश्विक साहित्यिक पुरस्कार है, जो वर्ष में एक बार उन किताबों को दिया जाता है जो अंग्रेज़ी में अनुवाद होकर UK या Ireland में प्रकाशित हुई होती हैं. यह पुरस्कार लेखक और अनुवादक — दोनों को समान रूप से सम्मानित करता है. Nilanjana Roy को 2026 संस्करण के लिए जज चुना गया है. वे पाँच सदस्यीय जज पैनल का हिस्सा हैं, जो दुनियाभर की अनुवादित किताबों की समीक्षा कर, longlist, shortlist और अंततः विजेता को तय करेगा.

Q3: Booker Prize में अनुवादकों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है?
उत्तर: International Booker Prize को विशेष रूप से अनुवादित साहित्य को मान्यता देने के लिए स्थापित किया गया था. यहाँ लेखक और अनुवादक दोनों को बराबरी से £50,000 की पुरस्कार राशि मिलती है. यह दर्शाता है कि भाषा की सीमाओं के पार साहित्य को पहुँचाने वाले अनुवादक कितने आवश्यक हैं. Nilanjana Roy जैसी आलोचकों की मौजूदगी इस प्रक्रिया को और भी बौद्धिक गहराई और भाषाई समझ देती है.

Q4: क्या Nilanjana Roy का feminist नजरिया इस निर्णय प्रक्रिया में प्रभाव डालेगा?
उत्तर: बिल्कुल. Nilanjana Roy की लेखनी हमेशा से ही marginalised communities, स्त्रीवाद और वैकल्पिक सोच को महत्व देती आई है. उनका feminist नजरिया loud नहीं बल्कि layered और nuanced है — जो उन्हें एक ideal literary judge बनाता है. उनके विचार ऐसे लेखकों और अनुवादकों को space देंगे जो मुख्यधारा से बाहर हैं, विशेषकर महिलाएं, LGBTQIA+ समुदाय, और भाषाई हाशिए से आने वाले लेखक.

Q5: क्या Nilanjana Roy और Arundhati Roy का आपस में कोई संबंध है?
उत्तर: नहीं. Nilanjana S. Roy और Arundhati Roy के बीच किसी प्रकार का पारिवारिक या व्यावसायिक संबंध नहीं है. वे दोनों स्वतंत्र रूप से स्थापित लेखक हैं और उनके कार्यक्षेत्र भी अलग-अलग हैं. केवल उपनाम "Roy" होने से वे किसी भी तरह से संबंधित नहीं मानी जातीं.

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