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Saras Aajeevika Mela 2025 Photograph: (google)
नई दिल्ली के Pragati Maidan में 5 सितंबर से 22 सितंबर तक आयोजित हो रहा 27th Saras Aajeevika Mela एक बार फिर rural women entrepreneurs को national level पर मंच दे रहा है. इस बार मेले की theme है –
“Making of Lakhpati Didis –Empowering rural women to become successful entrepreneurs.”
इस मेले में 400 से अधिक Self help groups (SHGs) की महिलाएं शामिल हैं, जो अपने handicrafts, handlooms और local food items प्रदर्शित कर रही हैं.
Lakhpati Didi: आत्मनिर्भरता की नई मिसाल
सरकार का लक्ष्य साफ़ है. शुरुआत से वे चाहते है कि हर ग्रामीण women entrepreneur सालाना ₹1 lakh की आय तक पहुँचे. Lakhpati Didi initiative उन महिलाओं को समर्पित है जिन्होंने केवल घर तक सीमित न रहकर अपनी कम्युनिटी और परिवार को भी नया रास्ता दिया. Joint Secretary, Ministry of Rural Development, Swati Sharma ने बताया कि DAY-NRLM के अंतर्गत आज करीब 10 crore महिलाएं 90 lakh SHGs के ज़रिए जुड़ी हुई हैं.
Saras Aajeevika Mela क्या है?
Saras Aajeevika Mela केवल एक exhibition नहीं, बल्कि यह grassroots level पर “Vocal for Local” का सबसे बड़ा चिन्ह बन चुका है. जब किसी गांव की महिला अपने हाथों से बनी चीज़ें — चाहे वो handloom हो, organic spices हों या tribal jewelry — देशभर के ग्राहकों तक पहुंचाती है, तो यह सिर्फ़ एक प्रोडक्ट की बिक्री नहीं होती बल्कि यह उसकी सांस्कृतिक विरासत, मेहनत और पहचान का आदान-प्रदान होता है.
यहीं से यह मेला bazaar से आगे बढ़कर एक movement बन जाता है. Rural women entrepreneurs यहाँ पर केवल seller नहीं, बल्कि cultural ambassador की भूमिका निभाती हैं.
इस साल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पूरा आयोजन Lakhpati Didi के नेतृत्व में हो रहा है. इसका गहरा सामाजिक महत्व है. ये वही महिलाएँ हैं जिन्होंने अपने छोटे-छोटे self help groups से शुरुआत की और आज एक साल में लाख रुपये से ज़्यादा कमाने वाली उद्यमी बन गईं. पहले इन्हें केवल beneficiaries कहा जाता था, लेकिन आज ये role models और leaders बनकर खड़ी हैं.
उनकी मौजूदगी यह बताती है कि सशक्तिकरण केवल policies से नहीं आता, बल्कि जब महिला अपनी ही community में जीत की मिसाल पेश करती हैं, तो उनका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है.
Lakhpati Didi अब सिर्फ़ अपनी सफलता की कहानियाँ नहीं जी रही हैं, बल्कि वे मेंटर और प्रेरणा बनकर बाकी महिलाओं को यह दिखा रही हैं कि – “अगर मैंने कर लिया तो तुम भी कर सकती हो.”
Women Empowerment का असली मॉडल
आज जब हर जगह सिर्फ. नारेबाजी सुनाई देती है,वहीँ Saras Aajeevika Mela यह साबित करता है कि असली सशक्तिकरण economic independence और cultural pride से आता है.
Saras Aajeevika Mela 2025 यह साबित करता है कि ग्रामीण महिलाएँ अब केवल beneficiaries नहीं, बल्कि leaders हैं. जब Lakhpati Didis जैसी कहानियाँ सामने आती हैं, तो वे सिर्फ़ अपनी आय नहीं बढ़ातीं, बल्कि पूरे समाज का नज़रिया बदल देती हैं.
यह मेला हमें याद दिलाता है कि महिला सशक्तिकरण नारे या भाषण से नहीं, बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक गर्व से आता है. आज जिन महिलाओं ने अपने गाँव की छोटी सी दुकान या self help group से शुरुआत की थी, वही अब देशभर में Vocal for Local की असली आवाज़ बन रही हैं.
अगली बार जब हम किसी handmade product या local food item को हाथ में लें, तो यह समझना ज़रूरी है कि उसके पीछे केवल मेहनत ही नहीं, बल्कि एक पूरी कहानी, एक संघर्ष और एक नई पहचान छिपी है. Saras Aajeevika Mela केवल products का marketplace नहीं है, यह उन महिलाओं के सपनों का मंच है, जो गाँव से उठकर राष्ट्र की पहचान गढ़ रही हैं.
Frequently Asked Questions (FAQs)
Q. Saras Aajeevika Mela 2025 कब और कहाँ आयोजित हो रहा है?
→ यह मेला 5 सितंबर से 22 सितंबर तक नई दिल्ली के Pragati Maidan में चल रहा है. राजधानी का यह स्थल इसलिए चुना जाता है ताकि ग्रामीण महिलाओं को सीधा exposure मिले — उन्हें सिर्फ़ local buyers ही नहीं, बल्कि पूरे देश और कई बार international buyers से भी connect होने का मौका मिलता है.
Q. इसमें कौन-कौन भाग लेता है?
→ इस मेले में देशभर के Self Help Groups (SHGs) की महिलाएँ भाग लेती हैं. हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से महिलाएँ अपने products लेकर आती हैं. इनमें handicrafts, handloom, tribal art, organic food, spices और processed products शामिल होते हैं. इसका मक़सद यह है कि हर region की खासियत और सांस्कृतिक diversity को showcase किया जा सके.
Q. इस साल की theme क्या है और इसका महत्व क्या है?
→ Theme है – “Making of Lakhpati Didis – Empowering rural women as entrepreneurs.”
इसका महत्व यह है कि अब focus केवल छोटे पैमाने की आजीविका तक सीमित नहीं है. सरकार और SHGs का vision यह है कि महिलाएँ ₹1 lakh annual income तक पहुँचें और आर्थिक रूप से पूरी तरह self-reliant बनें. Lakhpati Didis सिर्फ़ आंकड़ों का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि success की जीवंत कहानियाँ हैं जो बाकी महिलाओं के लिए inspiration बन रही हैं.
Q. महिलाओं को इस मेले से क्या लाभ होता है?
→ इस मेले के कई practical फायदे हैं:
Direct Sales – महिलाएँ अपने products सीधे ग्राहकों को बेच सकती हैं, जिससे उन्हें middlemen पर निर्भर नहीं रहना पड़ता.
Networking & Exposure – बड़े शहरों में ऐसे आयोजन होने से rural women entrepreneurs को buyers, exporters और policymakers से जुड़ने का अवसर मिलता है.
Skill Recognition – गाँव की महिलाएँ जो art forms और food traditions बचाए हुए हैं, उन्हें recognition और respect मिलता है.
Economic Empowerment – सीधी बिक्री और नए market linkages से उनकी आय में वास्तविक वृद्धि होती है.
Confidence Building – जब महिलाएँ दिल्ली जैसे national stage पर अपने products लेकर आती हैं, तो उनके भीतर एक नई leadership और आत्मविश्वास का जन्म होता है.
Q. Saras Aajeevika Mela को government कैसे support करती है?
→ यह मेला Ministry of Rural Development द्वारा आयोजित किया जाता है और यह Deendayal Antyodaya Yojana – National Rural Livelihoods Mission (DAY-NRLM) का हिस्सा है. सरकार इन SHGs को training, financial assistance और marketing platform उपलब्ध कराती है. यही वजह है कि आज 10 crore से अधिक महिलाएँ 90 lakh SHGs के network से जुड़ चुकी हैं.
Q. Saras Aajeevika Mela को एक feminist movement क्यों कहा जा सकता है?
→ क्योंकि यह केवल economic transaction का मंच नहीं है, बल्कि यह rural women के लिए अपनी पहचान और मेहनत को establish करने का अवसर है. जब महिलाएँ अपनी बनाई हुई वस्तुओं से आय अर्जित करती हैं और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति बदलती हैं, तो वे decision-making में भी empowered हो जाती हैं. यही grassroots feminism की असली परिभाषा है.