इप्पा फूल बन रहा आदिवासी महिलाओं की आमदनी का ज़रिया

गर्मियों के समय में आदिवासी इप्पा फूलों को इकठ्ठा कर बाज़ारों में बेचते है. आदिवासी महिलाएं भी इस व्यापार के ज़रिये अच्छी आमदनी करती है. GCC को आदिवासी इप्पाफूल और दूसरे वन्य उत्पादों को बेचकर आय अर्जित करते है.

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हेमा वाजपेयी
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कल्पतरू या इप्पा (Kalpataruu Ippa tree), प्रसिद्ध और प्राचीन पेड़, जिसे आदिलाबाद जिले के आदिवासी जनजाति पवित्र मानती है और अलग-अलग त्योहारों पर इसकी पूजा भी की जाती है. गर्मियों के समय में आदिवासी इप्पा फूलों को इकठ्ठा कर बाज़ारों में बेचते है. आदिवासी महिलाएं भी इस व्यापार के ज़रिये अच्छी आमदनी करती है.

एनीमिया को ठीक करता है इप्पा फूल 

ट्राइबल कोऑपरेशन कारपोरेशन (GCC) को आदिवासी इप्पाफूल और दूसरे वन्य उत्पादों को बेचकर आय अर्जित करते है. इप्पाफूल में कई पोषण गुण होते है, आदिवासी अलग-अलग तरह के पकवान जैसे लड्डू आदि बनाते है.

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एनीमिया जैसी बीमारियां इससे ठीक होती है. पोषण संबंधी समस्यायों को हल करने के लिए जोइंट जिला क्षेत्र फूलों से बने लड्डू को की शोरों और की शोरीयों को बांट रहा हैं. हाल में इसी कैम्फर से तेल भी बनाया जा रहा है. 

ट्राइबल सेल्फ हेल्प सोसाइटी ने Ippavvu ऑइल मैन्युफैक्चरिंग सेंटर की या स्थापित 

निर्मल जिले के कदम मंडल के ट्राइबल सेल्फ हेल्प सोसाइटी के सदस्यों ने साथ मिलकर ट्राइबल डेवलपमेंट इंस्टीटूशन, उतनूर (ITD,Utnur) और जिला ग्रामीण विकास विभाग के समर्थन से, Ippavvu ऑइल मैन्युफैक्चरिंग सेंटर स्थापित की या है.

सीजन के दौरान, आदिवासी लोग अपने कुछ फूल व्यक्तिगत उपयोग के लिए रखकर बाकी आदिवासी सहकारी समिति को बेचते हैं. स्वयं सहायता समूह के सदस्य आदिवासियों से तीस रूपए प्रति की लोग्राम बीज खरीदते है.

इप्पा तेल का इस्तेमाल खाने में भी

इप्पा के एक की लो बीज से दो और आधा लीटर तेल बनाया जाता है. तेल को छलने के लिए कपड़े का इस्तेमाल की या जाता है. आगे चलकर छलने की मशीन खरीदने का विचार की या जा रहा है. इस तेल बाजार में 800 रूपए  प्रति लीटर बेचा जायेगा. इस तेल का इस्तेमाल खाने में भी की या जा सकता है. 

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राष्टीय स्तर पर विपणन करने के लिए योजना बनाई जा रही है. इप्पा यूनिट की स्थापना 10 लाख रुपये लगें है, जिसमें ITDA ने 80 % और और बाकी बचे 20 % जिला ग्रामीण विकास द्वारा समर्थन दिया गया है.

कुछ आदिवासी महिला स्वयं सहायता समूह (Tribal women self help groups) फूलों की ब्राउनिज बनाकर रोजगार अर्जित कर रही हैं. आलीदाबाद बहुत अधिक मात्रा में पाया जाने वाला यह इप्पा फूल आदिवासी महिलाओं को रोजगार देने के साथ उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त की या है, जिससे वह महिला सशक्तिकरण की राह पर अग्रसर हो रही है.

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