उद्यमिता के सफ़र पर आदिवासी महिलाएं

वन अधिकार हासिल कर, स्वयं सहायता समूहों के ज़रिए वन उत्पादों की इकाइयां शुरू की. ये इकाइयां क्षेत्र की आर्थिक उन्नति के साथ-साथ, महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य भी पूरा कर रही हैं. 

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मिस्बाह
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UN Women lauded tribal women forest products

Image Credits: UN Women India/Ruhani Kaur

देशभर में कई जगहों पर वन उत्पाद (forest products) महिला स्वयं सहायता समूहों (women self-help groups) के लिए आमदनी का जरिया बन रहे हैं. महाराष्ट्र (Maharashtra) के गढ़चिरौली (Gadchiroli) में स्थित रामगढ़ गांव (Ramgarh village) की आदिवासी महिलाओं (Adivasi women) ने भी वन उत्पादों से रोज़गार शुरू किया. वन अधिकार हासिल कर, स्वयं सहायता समूहों (SHG) के ज़रिए वन उत्पादों की इकाइयां (processing unit) शुरू की. ये इकाइयां क्षेत्र की आर्थिक उन्नति के साथ-साथ, महिला सशक्तिकरण (women empowerment) का लक्ष्य भी पूरा कर रही हैं. 

UN Women lauded tribal women forest products

UN Women India/Ruhani Kaur

UN वीमेन ने सराहा 'संगिनी' को 

यूएन वीमेन (UN Women) के एक प्रकाशन में, इन आदिवासी महिलाओं (Adivasi women) की सराहना की गई है. संगिनी (Sangini) नाम के ग्राम स्तरीय महिला स्वयं सहायता समूहों के संघ (village level organization) द्वारा एक प्रसंस्करण इकाई (processing unit) शुरू हुआ. महाराष्ट्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (MSRLM) के तहत रामगढ़ में लगभग 32 स्वयं सहायता समूहों को इकट्ठा कर 'संगिनी' कार्यक्रम की शुरुआत की गई.

यह स्वयं सहायता समूह अपने आधिकृत सामुदायिक जंगलों (CFRs) से जंगली जामुन (wild berries) और शरीफ़ा (custard apple) इकट्ठा करते हैं. 'संगिनी' उनके गूदे को डीप फ्रीज़ (deep freeze) में रख बड़े खरीदारों को बेचते हैं.

UN Women lauded tribal women forest products

UN Women India/Ruhani Kaur

आर्थशास्त्र में एमए डिग्री प्राप्त प्रतिज्ञा, संगिनी महिला ग्राम संघ की एकमात्र पोस्ट ग्रेजुएट हैं, जो यहां सचिव और अकाउंटेंट की जिम्मेदारी भी संभालती हैं.

वन उपज का लाभ उठा रहीं आदिवासी महिलाएं 

संगिनी की इकाई में पूरी तरह से  महिला-नेतृत्व वाले समूहों (women led SHG) द्वारा संचालन होता है, जो सामूहिक रूप से वन उपज का लाभ उठा रहे हैं. यह गांव से जामुन और सीताफल इकट्ठा करते हैं. दूसरे ब्लॉक में जम्भुलखेड़ा में शहद और चिरौंजी से आजीविका कमाई जा रही है. तेंदू-बांस का प्रसंस्करण करने वाली इकाइयां भी हैं.

महिलाएं कैपेसिटी बिल्डिंग ट्रेनिंग (capacity building training) में हिस्सा लेती हैं. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) उन्हें इकाई शुरू करने के लिए धनराशि (funding) भी देता है. ये महिलाएं गरीबी के चंगुल से निकल आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल कर रही हैं. 

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