श्रीलंका में हिंसा पीड़ित महिलाओं का हाथ थाम रहे SHGs

स्वयं सहायता समूह सिर्फ आर्थिक सशक्तिकरण के लिए नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं के लिए सेफ स्पेस बनाकर सामाजिक बदलाव लाने में भी कारगर साबित हो रहे हैं.

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मिस्बाह
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"हमारे समाज में यह धारणा है कि घरेलू हिंसा को बंद दरवाजों के पीछे रखा जाना चाहिए और खुले तौर पर चर्चा नहीं की जानी चाहिए."

- अनोजा मकाविता, सोशल वर्कर एंड कॉउंसलर, वीमेन इन नीड (WIN)

WIN से मिल रही लिंग आधारित हिंसा के सर्वाइवर्स को सहायता 

अनोजा मकाविता ने बताया, "परिवारों के भीतर हिंसा के दूरगामी परिणाम होते हैं, जिसमें महिलाएं और लड़कियां सबसे ज़्यादा पीड़ित होती हैं. यह घरों के भीतर चल रहा व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है; इसका प्रभाव पूरे समुदाय पर पड़ता है.”

victims of violence in Sri Lanka

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मकाविटा उस समूह का हिस्सा रही है, जिसने 1987 में WIN शुरू किया था. यह संगठन तभी से लिंग आधारित हिंसा के सर्वाइवर्स (survivors of gender based violence) को कानूनी सहायता, परामर्श और यहां तक ​​​​कि आवास सहायता प्रदान करने के लिए काम कर रहा है.

UN वीमेन दे रहा 11 महिला आश्रयों को राहत और समर्थन

2019 के सर्वेक्षण के अनुसार, श्रीलंका की पांच में से एक महिला ने अपने इंटिमेट पार्टनर द्वारा शारीरिक और/या यौन हिंसा का अनुभव किया है. साथी द्वारा यौन हिंसा का अनुभव करने वाली लगभग आधी महिलाओं ने शर्म, दोषी ठहराए जाने या विश्वास न किए जाने के डर से, या यह सोचकर कि हिंसा सामान्य थी, या मदद मांगने जितनी गंभीर नहीं थी, औपचारिक मदद नहीं मांगी.

जापान सरकार द्वारा फंडेड UN Women की Empowering Women in Crisis project ने पूरे श्रीलंका में 11 महिला आश्रयों को राहत और समर्थन प्रदान किया है, जिसमें WIN द्वारा संचालित आश्रय भी शामिल हैं.

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स्वयं सहायता समूह कर रहे पीड़ित महिलाओं की मदद 

मकाविता ने कहा, "इन महिलाओं को समाज में फिर से शामिल होने में मदद करना हमारे काम के सबसे चुनौतीपूर्ण पहलुओं में से एक है. घरेलू हिंसा से बचने वाली कई महिलाएं अपने पुराने घर में लौटने या नया घर किराए पर लेने में असमर्थ हैं. WIN ऐसी महिलाओं के साथ मिलकर, छह महीने तक, दूसरे संगठनों से जुड़ने और आवास खोजने में उनकी मदद करता है."

WIN श्रीलंका में लिंग आधारित हिंसा के सर्वाइवर्स की मदद करने के लिए समर्पित एकमात्र संगठन नहीं है. देश के उत्तर मध्य प्रांत में, the Association for Women with Disabilities, या AKASA, महिलाओं को सम्मान और आज़ादी के साथ जीने के लिए सशक्त बनता है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए वह समर्पित स्वयं सहायता समूहों के नेटवर्क के रूप में काम करता है. स्वयं सहायता समूह एकजुट होकर महिलाओं को स्पोर्ट देते हैं. 

थलावा शहर में संगठन का सेफ हाउस उन विकलांग महिलाओं और लड़कियों की मदद करता है जिन्होंने दुर्व्यवहार का सामना किया है.

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जागरूकता फ़ैलाने के लिए बनाये महिलाओं के समूह 

एक अन्य संगठन, जाफना सोशल एक्शन सेंटर (JSAC), उत्तरी श्रीलंका में महिलाओं और बच्चों का समर्थन करता है. नादराजा सुकीरथराज द्वारा संचालित, JSAC ने वायलेंस सर्वाइवर्स के लिए कई पहले शुरू की हैं. 2003 में स्थापित, JSAC अब श्रीलंका के आठ जिलों में संचालित होता है.

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सुकीरथराज ने कहा, "जब हमने पहली बार JSAC शुरू किया, तो हम हिंसा का सामना कर चुके लोगों के लिए सुरक्षित घरों के महत्व से काफी हद तक अनजान थे. इसे संबोधित करने के लिए, हमने कई जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए. इस बात को फैलाने के लिए गांवों में महिला समूह शुरू किये. हमने लोगों की धारणा में बदलाव देखा है.”

श्रीलंका (Srilanka) में हो रही ये पहले बताती हैं कि स्वयं सहायता समूह (self help groups in srilanka) सिर्फ आर्थिक सशक्तिकरण के लिए नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं के लिए सेफ स्पेस बनाकर सामाजिक बदलाव लाने में भी कारगर साबित हो रहे हैं. ये समूह हिंसा से पीड़ित महिलाओं का समर्थन कर उन्हें बेहतर कल की उम्मीद देकर, दूसरे देशों के लिए उदाहरण बन रहे हैं. 

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