भारत द्वारा G20 प्रेसीडेंसी (India's G20 Presidency) हो या महिला आरक्षण बिल (Women’s Reservation Bill), भारत लैंगिक समानता (gender equality) की दिशा में अहम कदम उठा रहा है. जेंडर इक्वलिटी को बढ़ावा देने वाले इस बिल को संयुक्त राष्ट्र महिला, (Country Representative of UN Women India) भारत की देश प्रतिनिधि सुज़ेन फर्ग्यूसन (Susan Ferguson) ने "साहसिक" और "परिवर्तनकारी" कदम बताया.
UN Women ने सराहा भारत का Women’s Reservation Bill
“हमें उम्मीद है कि सभी राजनीतिक दल विधेयक को समय पर लागू करने के लिए एक साथ आएंगे, इस बात पर ध्यान देते हुए कि नीतियों और राजनीति में लिंग कोटा लैंगिक समानता (gender equality) और महिलाओं के अधिकारों (Women's Rights) को आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी है. महिला आरक्षण बिल महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास (women led development)के प्रति भारत की कोशिशों को मज़बूती देगा और ग्लोबल एग्ज़ाम्प्ल (global example) साबित होगा.” फर्ग्यूसन ने एक बयान में कहा, "यह जेंडर एडवोकेट्स और उन संगठनों के लिए बहुत खुशी की बात है जो लैंगिक समानता (gender equality), महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण (financial empowerment of women)और नेतृत्व की स्थिति में सुधार लाने के लिए काम कर रहे हैं."
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महिला आरक्षण विधेयक (Women Reservation Bill) में महिलाओं के लिए लोकसभा (Loksabha) और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है.
भारत में पहले से ही ग्रामीण स्तर पर पंचायती राज संस्थाओं (Panchayati Raj Institutions) में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें और पंचायती राज संस्थाओं के सभी स्तरों पर और शहरी लोकल बॉडीज में एक तिहाई सीटें आरक्षित हैं.
महिला लीडरशिप से आएगा बदलाव
लीडरशिप पोसिशन्स (leadership positions) पर महिलाओं के प्रभाव के बारे में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि नीतियों, कार्यक्रमों और फाइनेंसिंग पर आरक्षण का सकारात्मक प्रभाव (positive effects of women leadership) पड़ता है जो महिलाओं और उनके परिवारों, समुदायों और राष्ट्रों को प्रगति के पथ पर ले जाता है.
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फर्ग्यूसन ने कहा, "वैश्विक स्तर पर, महिलाएं वर्तमान में सिर्फ 26.7% संसदीय सीटों और 35.5% स्थानीय सरकारी पदों पर काम कर रही हैं. महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने वाला यह कोटा भारत को दुनिया भर के उन 64 देशों में से एक बना देगा, जिन्होंने अपनी राष्ट्रीय संसदों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की हैं. हमें उम्मीद है कि इस तरह के आरक्षण को लागू करने से दुनिया भर की संसदों में महिलाओं का 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व हासिल हो सकेगा."
फर्ग्यूसन (Susan Ferguson) ने बयान में कहा, "संयुक्त राष्ट्र लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने, सतत विकास लक्ष्यों (SDG)को प्राप्त करने और सभी के लिए एक न्यायपूर्ण दुनिया बनाने में उनकी अहम भूमिका को पहचानने के लिए सदस्य देशों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है. भारत का साहसिक कदम दुनिया को स्पष्ट संदेश देता है कि लैंगिक समानता का मार्ग ज़रूरी है जिसे पाना नामुमकिन नहीं."