अपने घर के किचन को तो हर दिन देखते होंगे आप. हर दिन सुबह की चाय से लेकर शाम के खाने तक, सब कुछ बना हुआ मिल जाता है ना. क्योंकि घर पर मां है , कर ही देती है. कुछ बोलने की ज़रूरत नहीं, मांगने की भी ज़रूरत नहीं, बस सोचो और वो चीज़ आपको मिल जाती है.
वैसे भी भारत में यह बात तो सब जानते है कि एक मां जितनी बेहतरीन तरीके से घर चला सकती है वो कोई और कर ही नही सकता. फिर अगर बात आए किचन और खाना-पीना संभालने की तो भारत में यू ही मां को 'अन्नपूर्णा' नहीं कहते. एक बार सोच कर देखिए कि क्या हो अगर यह मां अपने इस शौक को business में बदल दे?
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परिवार के लिए शुरू किया बिज़नेस
ये एक ऐसी ही मां की कहानी है जिन्होंने अपने खाना बनाने के शौक को business में बदल दिया और आज उसे बहुत आगे बढ़ा चुकी है. नाम है जानकीबेन मुरुडकर. छोटे से परिवार को संभालने वाली एक मां, जो परिवार को खुश देखने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी.
उनके पति एक data entry specialist थे और वह अपने पति की night shift वाली ड्यूटी से परेशान हो गई थी. लेकिन घर में सिर्फ एक ही कमाई का स्रोत था और वो थी उनकी night shift वाली duty. छोड़ना भी मुश्किल और हर दिन सहन करना भी.
परिवार की ज़िम्मेदारी दिन पर दिन बढ़ रही थी और जानकीबेन चाहती थी कि वह अपने परिवार की किसी तरह मदद कर सकें. उन्हें समझ आ रहा था कि घर की पैसे से जुड़ी हालत उतनी अच्छी नहीं है और वह नहीं चाहती थी कि उसके बच्चे किसी भी तरह की कोई परेशानी सहन करें.
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एक दिन यूं ही खाना बनाते बनाते जानकीबेन को ख्याल आया कि खुद का कोई काम शुरू किया जा सकता है. वह जानती थी कि खाना बनाने की कला में उससे बेहतर कोई नहीं है. बस उसने ठान लिया कि अब इसी क्षेत्र में कुछ करना है और आगे बढ़ना है.
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बस फिर क्या था, जानकीबेन ने घर से ही खाने के टिफ़िन बनाकर बेचना शुरू कर दिए और उनके पति उन्हें डिलीवरी पर्सन के रूप में मदद करने लगे. जानकी ने अपने पति के साथ मिलकर 2 साल तक यह काम किया और अपने हाथ के स्वाद को घर घर पहुंचाया.
जानकीबेन बताती है- "जब भी मैं खाना बनाती और मेरे customers को देती तो उनके चेहरे पर ख़ुशी का अहसास देखकर मुझे अच्छा लगता. वे मेरे हाथ के खाने की तारीफ करते थकते नहीं थे."
सब उनसे कहते थे कि आप इस काम को बड़े पैमाने पर शुरू करें. जानकीबेन भी चाहती थी कि वह अपने काम को हर जगह पहुंचा पाए.
वह कहती है- "जब मुझे हर जगह से सहारा मिलने लगा और मुझे समझ आया कि लोग मेरे खाने को पसंद कर रहे है तो मैंने इस पार्ट टाइम बिज़नेस को बड़े पैमाने पर शुरू करने का फैसला कर लिया."
Mahila Money से बिज़नेस सेटअप के लिया लोन
जानकीबेन के पास काम करने का जज़्बा था, आगे बढ़ने की चाह और कला भी थी, लेकिन जो नहीं था वो था पैसा. किसी भी बिज़नेस को बड़ा करने के लिए सबसे ज़रूरी होती है 'कैपिटल' और यह बात जानती थी वे. अपनी इसी खोज में जानकी को Mahila Money loans के बारे में पता चला. अटूट विश्वास और अडिग भावना के साथ, उन्होंने Mahila Money से बिज़नेस लोन के लिए आवेदन किया. जानकीबेन के लिए उन्होंने 10,000 रुपये का loan स्वीकृत किया.
इस पर जानकीबेन कहती हैं, "पैसे ना होने के कारण मुझे शायद अपने काम में आगे बढ़ने की राह नहीं मिलती लेकिन मैंने जब Mahila Money से लोन लिया तो मुझे खुद पर और भी ज़्यादा विश्वास हो गया. उन्होंने मुझे लोन देकर मेरा सपना हकीकत में बदलने में बेहद मदद की है."
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10 हज़ार को बदला सफल बिज़नेस में
जानकीबेन कहती है "10,000 रुपये के लोन के साथ, मैंने एक जगह लीज़ पर ली और उसे एक टिफ़िन सेंटर में बदल दिया. मैं इस बात का जीता-जागता सबूत हूं कि खुद पर विश्वास और कड़ी मेहनत के साथ सपने सच हो सकते हैं."
इस RavivaarVichaarXMahilaMoney impact series में, हम जानकीबेन मुरुडकर जैसी अन्य महिलाओं की कहानियां आपके साथ शेयर करते रहेंगे, जो न केवल आगे बढ़ना चाहती है बल्कि उन्होंने अपने सपनों को सच में बदलने के लिए हरसंभव कदम भी उठाए हैं.
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