COVID -19 लॉकडाउन के बीच कई चुनौतियां सामने आईं. पर, कई लोग मुसीबतों के बीच उम्मीद की किरण बनकर उभरे. इन लोगों की लिस्ट में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी शामिल हैं.
Veg on Wheels ने COVID -19 में Food Security की सुनिश्चित
हाल में हुए शोध से पता चला है कि भारत के ओडिशा राज्य में सरकार समर्थित महिला स्वयं सहायता समूहों ने मार्च, 2022 में लगे COVID-19 लॉकडाउन के दौरान खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई (SHG helping achieve food security).
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Alliance of Bioversity International and the International Center for Tropical Agriculture (CIAT), इटली के शोध से पता चला है कि ये स्वयं सहायता समूह (self help group and food security), जिन्हें 'वेज ऑन व्हील्स' के नाम से जाना जाता है, लॉकडाउन के दौरान ताजे फल और सब्जियों को लोगों तक पहुंचने में कामयाब रहे.
Food Sysytem को बेहतर बना रहे SHGs
महिलाओं के बचत और ऋण संघों के रूप में पहचान बनाने वाले इन समूहों ने इस बात का प्रमाण दिया है कि वे सामाजिक चुनौतियों को दूर करने में भी कारगर साबित हो सकते है.
शोधकर्ताओं ने कहा कि SHG प्रणाली ने खाद्य प्रणालियों को बेहतर बनाने के लिए मौजूदा संस्थानों और जमीनी स्तर के नेटवर्क का फायदा उठाकर इसको बेहतर बनाने की पेशकश की है.
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Lockdown के दौरान SHG महिलाओं ने ताजे फल और सब्ज़ियों को पहुंचाया लोगों तक
मार्च 2020 में, भारत सरकार ने केवल चार घंटे के नोटिस के साथ सख्त लॉकडाउन घोषित किया. लॉकडाउन में अनौपचारिक और पारंपरिक खाद्य दुकानों पर प्रतिबंध शामिल था, जिन पर 80 से 90 प्रतिशत भारतीय अपने भोजन के के लिए निर्भर थे, जिससे उनकी खाद्य सुरक्षा को खतरा था.
कृषि अर्थशास्त्री और वर्ल्ड डेवलपमेंट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के पहले लेखक जोनाथन मॉकशेल ने बताया कि इन SHG समूहों की महिलाओं ने किसानों से ताजे फल और सब्जियां खरीदीं, परिवहन किराए पर लिए, और ट्रक, गाड़ी या मोटरसाइकिल के ज़रिये स्थानीय और शहरी बाजारों में लोगों तक उन्हें पहुंचाया.
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खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त लोगों की संख्या 79 देशों में हुई 345 मिलियन
कृषि अर्थशास्त्री और अध्ययन की दूसरी लेखिका थिया रिटर ने कहा, "ऐसी महिलाएं थीं जो खुद सब्जी और फल उत्पादक थीं या दूसरे उत्पादकों को जानती थीं. वह सप्लाई चैन की समझ रखती थी, जिसका उन्होंने फायदा उठाया."
शोधकर्ताओं ने विश्व खाद्य कार्यक्रम के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि गंभीर खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त या इसके जोखिम वाले लोगों की संख्या, जो कि कोविड-19 महामारी से पहले 53 देशों में 135 मिलियन थी, 2023 में 79 देशों में बढ़कर 345 मिलियन हो गई.
SHG कर सकते हैं Global Challenges का समाधान
शोधकर्ताओं ने कहा कि ऐसे क्रेडिट और बचत समूहों के एक अरब से अधिक सदस्यों के साथ, जो बड़ी संख्या में अफ्रीका और दक्षिण एशिया में मौजूद हैं, ग्लोबल समस्याओं का समाधान खोजने में मदद कर सकते हैं.उन्होंने बताया कि पहले से मौजूद इन समूहों की मदद से नाकाम सप्लाई चैन का पुनर्निर्माण किया जा सकता है, जो सरकार के लिए मॉडल साबित होंगी. इस मॉडल को संकट के समय में कॉपी किया जा सकता है.
मॉकशेल ने बताया कि SHG प्रणाली का इस्तेमाल उन स्थितियों में दोस्ती वैल्यू चेन्स को बेहतर बनाने के लिए भी किया जा सकता है जहां निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की उपस्थिति सीमित है, जैसे कि मेडिकल सप्लाइज का वितरण.
इन समूहों की ताकत को पहचानकर बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है, ग्लोबल समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है, और सरकारी नीतियों को बेहतर ढंग से ज़मीनी स्तर पर लागू करने में भी समूहों की मदद ली जा सकती है.
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