"गुरु गोबिंद दोउ खड़े, काके लागू पाऐ, बलिहारी गुरु आपकी गोबिंद दियो बताए"- कबीरदास का ये दोहा याद आता है, जब भी किसी शिक्षक की बात की जाती है तो. भारत में भगवान से ऊंचा दर्जा दिया गया है शिक्षक को, क्योंकि अगर वो ना हो तो बच्चे में समझ का विकसित होना संभव ही नहीं होगा.
यह एक ऐसी ही शिक्षिका की कहानी है जिसके पास students आते थे ताकि पढाई से जुड़ी समस्याओं को जड़ से ख़त्म कर पाए. रामेश्वरी इन बच्चों को गणित और अंग्रेजी व्याकरण जैसे विषय इतनी आसानी से समझा रही थी कि बच्चों को यह विषय बेहद आसान लगने लगे.
घर से पढ़ाना शुरू किया रामेश्वरी ने
मुंबई के ठाणे में थी रामेश्वरी की क्लॉसेस. उनकी हर क्लास में वे पूरी ऊर्जा और उमंग के साथ बच्चों को पढ़ाने की कोशिश करती थी और इसीलिए उनके पास जितने भी बच्चें आते वे सब हमेशा पढाई को लेकर संतुष्ट रहते. सभी उम्र और ग्रेड के छात्र उनकी शिक्षण शैली की ओर आकर्षित होकर ही उनके पास पढ़ने आते थे. रामेश्वरी खुद भी पढ़ रही थी और साथ ही ट्यूशंस भी दिया करती थी.
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वे कहती हैं- ''शिक्षण मेरे लिए सिर्फ एक नौकरी नहीं है, यह मेरा उद्देश्य है. मैं काम करने के साथ साथ अपनी मां की देखभाल भी कर सकती हूं और इसीलिए मुझे यह काम बेहद पसंद है. मुझे और क्या चाहिए, मां के हाथ की 'अदरक वाली चाय', और मेरा पसंदीदा काम ! मैं नौकरी करने के साथ साथ अपने परिवार को भी देख पा रही हूं."
रामेश्वरी हमेशा से बच्चों को पढ़ाने और यंग दिमागों को आकर देने में बहुत ख़ुशी महसूस करती थी और इसीलिए उन्होंने यह काम चुना. जैसे-जैसे बच्चों की संख्या में बढ़त हुई वे समझ गयीं कि यह काम और भी बढ़ाया जा सकता है.
उन्होंने छोटे बच्चों को पढ़ाने के साथ माध्यमिक स्तर के बच्चों को भी पढ़ाना शुरू कर दिया. उनके स्टूडेंट्स का काउंट बढ़ता ही जा रहा था. जब उनके पास 20-25 बच्चे हो गए तब वे समझ गयी थी कि अब इन्हें घर पर पढ़ाना संभव नहीं होगा. कोई दूसरी जगह लेनी पड़ेगी ताकि और बच्चों को एक ही जगह पर बैठाया जा सके.
बढ़ती पहुंच देख रामेश्वरी ने उठाया बड़ा कदम
बढ़ोतरी देखकर रामेश्वरी ने अपने पास की दूकान किराए पर लेने का फैसला किया और उत्साह के साथ काम को और दिल लगाकर करने लगी.
वे बताती है- "एक समर्पित केंद्र की स्थापना मेरी यात्रा में बहुत ज़रूरी कदम साबित हुआ. इसने मुझे ज़्यादा बच्चों को एक साथ पढ़ाने और ऐसा वातावरण तैयार करने में मदद की, जो और तेज़ी से विकास लाया."
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बढ़त तो थी, पर पैसे नही !
सब कुछ अच्छा ही चल रहा था. वे स्टूडेंट्स की संख्या 70 से 80 छात्रों तक कर चुकी थी. हर महीने 45 हज़ार रुपये कमाने शुरू कर दिए रामेश्वरी ने. एक टीचर भी रख लिया ताकि बच्चों को पढ़ाने में मदद मिले. अपनी कोचिंग को हाईटेक बनाने के लिए उन्होंने टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल किया.
लेकिन एक समय ऐसा आया कि वे अपनी क्लासेज़ को continue करने में असमर्थ महसूस करने लगीं. परेशानी थी पैसे की कमी. वे चाहती थी कि अपने सेंटर को और बड़ा करें लेकिन यह सोच बस सोच ही बनकर रह जाती. जब भी कुछ नए पैतरे आज़माने की कोशिश करती, उन्हें हमेशा पैसे की कमी खलती.
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Mahila Money loan के रूप में दिखी रौशनी
वे फंस गयीं थी. कमाई थी, लेकिन इतने पैसे भी नहीं थे कि और आगे बढ़ पाए. रामेश्वरी की चाह थी कि वे अपने क्षेत्र की सबसे बेहतरीन शिक्षिका बनें. उन्होंने लोन लेने के बारे में सोचकर कई वित्तीय संस्थानों से संपर्क भी किया लेकिन फिर भी कोई समाधान नहीं मिला.
वे हताश हो गयीं थी. चाहती तो थी कि बच्चों को हर सुविधा दे और हर बच्चें के लिए पढाई को उतना ही आसान बनाए लेकिन ऐसा कुछ भी करने के लिए उन्हें अब ज़रूरत थी तो वो थी capital की. इसी संघर्ष के बीच रामेश्वरी को पता चला Mahila Money के बारे में.
उन्होंने संस्थान से modern उपकरण लगाने के लिए 50 हज़ार के लोन की मांग की. रामेश्वरी का लोन स्वीकार किया गया और तब उन्हें दिखी एक उम्मीद. लोन लेकर, रामेश्वरी ने अपने कोचिंग सेंटर के लिए बहुत जरूरी उपकरणों में निवेश किया. उन्होंने स्मार्ट बोर्ड, प्रोजेक्टर, प्रिंटर और कंप्यूटर खरीदे. जिससे सीखने का माहौल बदल गया और सफलता की ओर उनकी यात्रा आगे बढ़ी. बच्चों को कोचिंग में पढाई करने में और मज़ा आने लगा. रामेश्वरी ने अपनी टीम में 2 और शिक्षक शामिल कर लिए.
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रामेश्वरी कहती हैं, "Mahila Money loan से मैं अपने छात्रों को आधुनिक तरीकों से पढ़ा पा रहीं हूं और इसी के साथ पढाई का बेहतरीन माहौल भी तैयार कर पा रहीं हूं. नए उपकरणों और टीम के समर्थन के साथ, हम बच्चों को और भी बेहतर अनुभव प्रदान कर पा रहे हैं. मैं इस सपने को सच करने का पूरा श्रेय Mahila Money को देना चाहती हूं."
रामेश्वरी किसी भी परेशानी से डरे बिना दृढ संकल्प के साथ अपने सपने को हासिल करने के लिए आगे बढ़ी और इसीलिए आज वे इस मुकाम पर पहुंच पाई हैं. जब महिलाओं को #JiyoApneDumPe की भावना को अपनाने का मौक़ा दिया जाता हैं तब वे बताती हैं कि उड़ान किसे कहते हैं.
इस RavivarVicharXMahilaMoney impact series में, हम रामेश्वरी जैसी अन्य महिलाओं की कहानियां आपके साथ शेयर करते रहेंगे, जो न केवल आगे बढ़ना चाहती है बल्कि उन्होंने अपने सपनों को सच में बदलने के लिए हरसंभव कदम भी उठाए हैं.
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