मासूमों की खुशियों का खजाना टीचर नव्या

केरल से सेवाभाव लिए आई एक छोटी सी लड़की बनाना तो सिस्टर चाहती थी, लेकिन एक नज़ारे ने उनकी पूरी ज़िंदगी बदल दी. बरसों से लड़की टीचर है. लेकिन सामान्य टीचर नहीं. समाज के लिए रोल मॉडल और बच्चों की खुशियों का खजाना. यह है बड़वाह की सिस्टर नव्या. 

New Update
navya

बड़वाह में संस्था के बाहर बच्चों से चर्चा करती सिस्टर नव्या (Image Credits: Ravivar Vichar)

स्टेशन को बना दिया क्लासरूम !

मध्यप्रदेश के खंडवा (Khandwa) के लिए निकली नव्या बड़वाह (Badwah) स्टेशन पर उतरी. देखा एक मासूम भीख मांग रहा. दिल इतना पसीजा कि नव्या (Navya) ट्रेन में फिर चढ़ी ही नहीं. नव्या (Navya) के सपने और ज़िंदगी पूरी तरह बदल गई. नव्या (Navya) बताती है- "बहुत कम उम्र थी. सिस्टर बनने की इच्छा लेकर खंडवा आ रही थी. बड़वाह रेलवे स्टेशन पर देखा कि एक मासूम भीख मांग रहा. भावुक हो गई. सोचा ऐसे कई बच्चे मजबूर हैं समाज में,इनके लिए कुछ करना चाहिए. बस फिर यहीं की हो कर रह गई. रोज़ स्टेशन पर बच्चों के साथ टाइम बीतने लगा. शुरुआत बच्चे बात नहीं करते. उनसे रोज़ मिलने लगी. धीरे-धीरे स्टेशन पर पर पढ़ाना शुरू किया."

navya

बस्तियों में मासूमों से बात करती हुई सिस्टर नव्या (Image Credits: Ravivar Vichar)

पटरियों किनारे बस्तियों में खोजे बच्चे 

यह सिलसिला बढ़ने लगा. बड़वाह में पहचान होने लगी. नव्या (Navya) पटरियों किनारे बनी बस्तियों में पहुंची. नव्या (Navya) कहती है- "इन बस्तियों में परिवार से बात की. 2009 में यहीं पढ़ाना शुरू किया. बच्चों में उत्साह और इच्छा बढ़ती गई. अब नगर के लोगों ने भी साथ देना शुरू किया.मेरा अब यह मिशन बन गया. स्टेशन से बस्ती और अब एक दानी ने प्लॉट देकर जगह दे दी. हमने कई बच्चों को सरकारी स्कूल में एडमिशन करवाया. जो बहुत गरीब परिवारों के बच्चे हैं, उनकी व्यवस्था हमने संभाली. 40 हमारे पास आते हैं. बच्चों को भारतीय संस्कार,इंग्लिश, हिंदी,साइंस सहित दूसरी एक्टिविटी सीखा रहे."

navya

राष्ट्रीय पर्व पर तैयार खड़े बच्चे  (Image Credits: Ravivar Vichar) 

मासूमों को भोजन और रहना भी मुफ्त 

सिस्टर नव्या ने इसे एक संस्था का नाम दिया. नव्या जन कल्याण समिति (Navya Jan Kalyan Samiti) में प्रबंधन संभाल रहे साथी महेश पाटीदार बताते है- "पहले एक कमरा किराए पर लिया.नगर के ही लोगों ने सहयोग दिया. अब यहां बच्चों को मुफ्त  भोजन और रहने की व्यवस्था दी जा रही.कई इच्छुक  शिक्षक (Teacher)जुड़ गए. सिस्टर नव्या ने इस इलाके में मिसाल कायम की. हमारी संस्था में वो मासूम हैं जिनमें किसी के पिता तो किसी मां नहीं है. कुछ बच्चों के माता-पिता ने एक दूसरे को छोड़ दूसरी शादी कर ली और चले गए. बच्चे अकेले रह गए. वह सब हमारे बच्चे है." 

navya

संस्था में निशुल्क भोजन व्यवस्था के साथ स्टाफ  (Image Credits: Ravivar Vichar)                                                       

नव्या को संस्थाओं ने अवार्ड से नवाज़ा 

सिस्टर नव्या को कई सामाजिक संगठन सम्मानित कर चुके हैं. नव्या ने शुरुआती दिनों में कुष्ट (Leprosy) रोगियों के बीच भी सनावद सेंटर पर समय बिताया.सेवाएं दी.बाद में नव्या ने अपना पूरा जीवन बिखर और मजबूर मासूमों को पढ़ने में समर्पित कर दिया. नव्या कहती है- "जो बच्चे और परिवार मुझ से बात करने को तैयार नहीं होते थे. आज मैं उनके परिवार का हिस्सा हूं.यदि कोई भी शिक्षक बच्चों को गहराई से समझाए तो वही असलीऔर सफल शिक्षक है."                                                       

 

शिक्षक खंडवा Khandwa Leprosy बड़वाह Badwah Teacher कुष्ट