आज़ाद भारत में संसद के बाहर भीड़, जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी और भारत की पहली महिला प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की राजनीति (Indian Parliament outside gathering), देश की पहली रिपब्लिक डे परेड (First Republic Day Parade), क्वीन एलिज़ाबेथ II का दिल्ली फैशन वीक में हिस्सा लेना (Queen Elizabeth II at Delhi Fashion Week) - ये सभी ऐतिहासिक इवेंट्स तस्वीरों में कैद हैं. मानों इतिहास के उन यादगार पलों को तस्वीरों के ज़रिये हमेशा के लिए संभाल लिया गया हो. ये तस्वीर लेने वाले कैमरे के पीछे फोटो जर्नलिस्ट होमाई व्यारावाला थी.
भारत की पहली महिला फ़ोटोजर्नलिस्ट को 2011 में पद्म विभूषण से किया गया सम्मानित
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होमाई भारत की पहली महिला फ़ोटोजर्नलिस्ट थी जिन्होंने 1930 के दशक में फोटोग्राफर के रूप में अपना सफ़र शुरू किया. अपने समय के दौरान चुनौतियों और लैंगिक असमानताओं के बावजूद, होमाई व्यारावाला (Homai Vyarawalla) ने अपनी छाप छोड़ी. फ़ोटोजर्नलिज्म की दुनिया में उनके असाधारण योगदान को देखते हुए उन्हें 2011 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया (First Female Photojournalist of India, Honored with Padma Vibhushan in 2011). साड़ी में रोलीफ़्लेक्स (Rolleiflex) को मज़बूती से पकड़ा देख उनके साथी उन्हें शौकिया फ़ोटोग्राफर कहकर टाल दिया करते. होमाई कहती थी कि चूंकि उन्हें नजरअंदाज किया जाता, वह जब चाहे, जहां चाहे आ-जा सकती थी.
'डालडा 13' के नाम से ऐतिहासिक तसवीरें की प्रकाशित
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उनकी तस्वीरें शुरू में उनके पति के नाम से प्रकाशित हुईं और फिर बाद में उन्होंने अपने लिए 'डालडा 13' नाम चुना (Dalda 13). उनके काम को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिला और उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अहम राजनीतिक हस्तियों और घटनाओं की तस्वीरें खींचनी शुरू की. अल्काज़ी फाउंडेशन के ज़रिये सबीना गादिहोके होमाई व्यारवाला आर्काइव को खूबसूरती से संभाले हुए है (Sabeena Gadihoke's Homai Vyarawalla Archive at the Alkazi Foundation).
पपराज़ी स्टाइल प्रेस से नाखुश हो छोड़ा फ़ोटोज
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प्रेस फोटोग्राफर के रूप में होमाई का करियर 1970 में ख़त्म हुआ. वह नई उभर रही पपराज़ी स्टाइल प्रेस से नाखुश थी , जिस वजह से उन्होंने फ़ोटोजर्नलिस्म छोड़ने का फैसला लिया (Transition to Paparazzi). दुनिया बदल गई थी और उन्होंने इस बदलाव को अपने फ़ोटोज के ज़रिये डॉक्यूमेंट किया. होमाई व्यारवाला (Homai Vyarawalla) अपने समय में भारत की एकमात्र पेशेवर महिला फोटो जर्नलिस्ट थीं. इस पुरुष-प्रधान क्षेत्र में उनकी मौजूदगी और भी प्रभावशाली हो जाती है क्योंकि यह पेशा आज भी कम महिलाओं को मौका देता है. उनकी विरासत आने वाले फ़ोटोग्राफ़रों के लिए प्रेरणा बनी (Inspiration for Future Photographers).