भारत की यंगेस्ट वर्ल्ड आर्चरी चैंपियन (Youngest World Archery Champion) अदिति गोपीचंद स्वामी (Aditi Gopichand Swami) ने हुंडई विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप 2023 (Hyundai World Archery Championships 2023) में भारत के लिए जीता पहला गोल्ड. अदिति व्यक्तिगत फीमेल केटेगरी में गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली महिला बनी.
विश्व तीरंदाजी युवा चैंपियनशिप में जीता गोल्ड
17 साल की उम्र में अदिति ने एंड्रिया बेसेरा (Andrea Becerra) को 149 - 147 से हराकर डबल विश्व चैंपियन बनकर गौरव हासिल किया. अदिति कहती है कि विश्व चैंपियनशिप 52 सेकंड के राष्ट्रगान को सुनकर वह गौरवान्वित हुई. इस वर्ष अदिति के शानदार प्रदर्शन देखने को मिले. पिछले महीने लिमरिक में हुई विश्व तीरंदाजी युवा चैंपियनशिप 2023 (World Archery Youth Championships 2023 Limerick Ireland) में व्यक्तिगत और टीम में स्वर्ण पदक जीतने के बाद वह डबल यूथ वर्ल्ड चैंपियन (aditi gopichand double youth world champion) बनी.
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अदिति बताती है कि यह तो बस शुरुआत है, एशियाई गेम्स (Asian Games 2023) में भी वह देश और टीम के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहती है. अदिति के सामने कई मुश्किलें आई, पर हार न मानकर, अपने लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर प्रयास और ट्रेनिंग में लगी रहीं.
अदिति को मिला परिवार का साथ
अदिति के पिता गोपीचंद सतारा सरकारी स्कूल में गणित के शिक्षक है. अपनी बेटी के भविष्य को प्राथमिकता देते हुए सतारा पड़ोसी गांव में शिफ्ट हो गए. वह अदिति को एथलेटिक करियर (athletics career) बनाते हुए देखना चाहते थे. गोपीचंद 12 साल की अदिति को शाहू स्टेडियम लेकर गए, वहां उनका मन तिरंदाजियों ने मोह लिया.
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अदिति ने हर दिन दो से तीन घंटे की तीरंदाजी प्रैक्टिस
पिता ने बेटी के रुझान को देखकर तीरंदाजी प्रशिक्षण अकादमी (Archery Training Academy) में दाखिला दिला दिया. अकादमी गन्ने के खेतों के बीच मौजूद थी, वही अदिति ने अपने कौशल को निखारा. हर दिन दो से तीन घंटे प्रैक्टिस की.
लोन लेकर ख़रीदा धनुष और तीर
अदिति और उनके पिता का यह सफर आसान न था, उन्हें वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ा. गोपीचंद ने लोन लेकर तीर और धनुष ख़रीदा जिसकी कीमत 2.5 लाख रुपए और 50,000 रुपए थी. कोविड के दौरान भी उन्होंने ट्रेनिंग जारी रखी.
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गोपीचंद का कर्ज दस लाख रुपए तक बढ़ गया, उनके वेतन का आधा हिस्सा लोन चुकाने में चला जाता था. पर हिम्मत नहीं हारी और अदिति को आगे बढ़ाने में लगातार लगे रहे. आज भी अदिति के इस खेल के सफर में वह लगातार योगदान दे रहे है.
परिवार का साथ और अपनी निरंतर मेहनत से अदिति ने आज विश्व स्तर पर देश का नाम रौशन किया है. हम सभी को अदिति के इस योगदान पर गर्व है.