दुनियाभर के हर क्षेत्र में महिलाओं से भेदभाव होता रहा है. इससे खेल का मैदान भी अछूता नहीं रहा. लेकिन जहां भी राह कठिन होती है, वहीं पर लगन और हौसले से महिलाएं आगे बढ़ती गई है. खेल का मैदान में भी, ऐसी ही मुश्किलों से भरी राह रही जिसमें पिछले कुछ सालों में ही महिलाओं ने न सिर्फ करियर बनाया है, बल्क़ि नाम भी रोशन किया है. इन्हीं उपलब्धियों से प्रेरित होकर, लड़कियां खेल जगत में अपना परचम लहरा रहीं हैं .
ऐसी ही जीत की एक कहानी है, ओडिशा (Odisha) के क्योंझर (Keonjhar) में गोंड समुदाय (Gond Community) की लड़की अर्ज्या कुमारी (Arjya Kumari) की, जो अपने हैरतअंगेज़ मार्शल आर्ट (Martial Art) के लिए जानी जा रहीं हैं. 13 साल की अर्ज्या ने न केवल राज्य -स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं (State Level Sports Competition) में कई पदक जीते है, बल्कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप (National Championship) में भी ओडिशा का नाम रोशन किया. अर्ज्या अब एशियाई चैंपियनशिप (Asian Championship) और विश्व चैंपियनशिप (World Championship) के लिए तैयारी कर रही हैं.
थाई बॉक्सिंग की गोल्ड मैडल विजेता अर्ज्या कुमारी
अर्ज्या की स्पेशिएलिटी थाई बॉक्सिंग (Thai Boxing) है, जिसको आठ अंगों की कला भी कहा जाता हैं. इसमें पंच, किक, कोहनी और घुटने से प्रहार किया जाता हैं. 2022 में अर्ज्या ने अमृतसर में 13वीं राष्ट्रीय थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप (National Thai Boxing Championship, NTC) में 32-36 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता. फिर 2022 में ही महाबलेश्वर (Mahabaleshwar) में 8वें थाई बॉक्सिंग नेशनल फेडरेशन कप (Thai Boxing National Federation Cup) में एक और जीत हासिल की.
अर्ज्या ने थाई बॉक्सिंग से पहले कराटे में भी परचम लहराया . वर्ष 2021 में 11-13 वर्ष आयु वर्ग में फेडरेशन कप नेशनल कराटे चैंपियनशिप (Federation Cup National Karate Championship) (सब-जूनियर) रायपुर (Raipur), छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) में रजत पदक जीता और उसी वर्ष ओडिशा के संबलपुर (Sambalpur, Odisha) में 5वीं शोटोकन रयु चिडोकई कराटे-डे स्टेट चैंपियनशिप (Shotokan Ryu Shidokan Karate Day State Championship) में स्वर्ण पदक जीता.
अर्ज्या के पिता माइनिंग कंपनी में ड्राइवर का काम करते हैं. अर्ज्या के माता-पिता आर्थिक रूप से कमजोर होने के बाद भी अपनी बेटी को 2019 से थाई बॉक्सिंग में ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं. अर्ज्या को वो आसमान की ऊंचाइयों पर देखना चाहते है. इसीलिए उसे हर टूर्नामेंट और चैम्पियनशिप में भेजते है, लेकिन आर्थिक तंगी हमेशा सामने रहती थी. उनकी आर्थिक मुश्किलों में काम आया स्वयं सहयता समूह (SHG). अर्ज्या की माँ Self Help Group से जुड़ी हुई हैं, वहीं से वो 0.5 प्रतिशत ब्याज़ पर अर्ज्या की ट्रेनिंग, कॉम्पिटिशन फीस, ट्रेवल के लिए उधार लेती है.अर्ज्या की माँ अपनी बेटी को किसी के घर काम करते हुए नहीं देखना चाहती. जहां उनके समुदाय की अधिकतर लड़कियाँ दूसरों के घर में काम करती है, अर्ज्या की मां का सपना उसे विश्व चैंपियन बनाने का है .
अर्ज्या को विश्व चैंपियनशिप जीतने के लिए अभी तीन साल ट्रेनिंग करनी होगी इसलिए उन्हें अपनी सहनशक्ति बढ़ानी होगी और नई तकनीक सीखनी होगी. अर्ज्या का सपना आईपीएस अफसर बनना हैं. इसलिए वो खेल और पढ़ाई दोनों में ही लगातार मेहनत कर रही हैं. अर्ज्या के इस सफर में जहां माता पिता का साथ है वहीं Self Help Groups का सहयोग भी अर्ज्या जैसे लड़कियों को आगे बढ़ने का हौसला और हिम्मत दे रहा है.