बंज़र ज़मीन को बदला नक्षत्र वाटिका में, दे रहीं पर्यावरण का संदेश

किसी समय बंज़र पड़ी ज़मीन पर आज पौधे लहलहा रहे.खूबसूरती ओढ़े नक्षत्र वाटिका में अब कई लोग जुड़ते चले जा रहे.एक प्रोफेसर अपने अध्यापन और प्रशासनिक कामों से अलग पर्यावरण का संदेश देने में जुटीं है. बंज़र ज़मीन शैक्षणिक परिसर में उदाहरण बन गया.     

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बंज़र ज़मीन को बदला नक्षत्र वाटिका

कुलपति रेणु जैन को नक्षत्र वाटिका और पर्यावरण प्रभाव समझाती प्रो.सोनाली नरगुंदे (Image: Ravivar Vichar)  

Indore के तक्षशिला परिसर में journalism department के बाहर कैंपस में बंज़र ज़मीन का नज़ारा बदल गया.मिडिया भवन के इस इलाके में नक्षत्र वाटिका के साथ कई पौधे अब पेड़ की शक्ल ले रहे.इस अभियान का ये असर हुआ कि university के कई students इस environment  माहौल से जुड़ गए.

जूनून देख जुड़ते गए पर्यावरण प्रेमी 

देवी विश्व विद्यालय के खंडवा रोड स्थित तक्षशिला कैंपस में लगातार हरियाली बढ़ रही. जर्नलिज़्म डिपार्टमेंट में नक्षत्र वाटिका को तैयार करने वाली प्रोफ़ेसर और Head Dr.Sonalee Nargunde ने यह पहल की.

Dr.Sonalee Nargunde बताती हैं-"इस इलाके में लगातार पेड़ सूखने की भी शिकायत आ रही थी.हमने बंज़र पड़ी ज़मीन पर साल 2021 में नक्षत्र वाटिका के तौर पर  plantation किया.देखते ही देखते यहां हरियाली बढ़ने लगी.हमने फलदार पौधे भी लगाना शुरू किए.हम हर साल स्टूडेंट्स को भी पौधरोपण और उनकी देखभाल के लिए प्रेरित कर रहे."

5 JUNE 03

कैंपस में पौधरोपण करती छात्रा (Image: Ravivar Vichar)  

इस इलाके में फलदार आम,चीकू,शहतूत सहित कई पौधे लगाए.यहां का माहौल बदलने लगा.
विभाग के ही स्टूडेंट्स भावना,हिमांशी तिवारी कहती हैं-"हमने कभी सोचा भी नहीं था कि पढ़ाई के अलावा पर्यावरण जागरूकता के लिए भी समय देना चाहिए."

पद्मश्री पर्यावरणविद से लगाकर कुलपति तक दे रहे बढ़ावा 

इस इलाके में Environment Conservation के लिए पद्मश्री पर्यावरणविद से लगाकर DAVV Indore की Vice Chancellor Renu Jain तक आ चुके हैं.
विभाग के डॉ.नीलमेघ चतुर्वेदी, प्रो.कामना लाड़,प्रो.अनुराधा सहित कई अन्य संस्था के लोग भी पौधरोपण के लिए आने लगे. गीतांजलि गोगटे कहती हैं-"अपने दिन को खास बनाने के लिए मैं यहां आई और पौधरोपण किया."
इस अभियान में 27 ही नक्षत्र से जुड़े पौधों को न केवल लगाया बल्कि उनकी देखभाल कर बड़ा करने में जुटे हुए हैं.
प्रो.नरगुंदे आगे कहती हैं-"संस्था में किसी भी एकेडेमिक आयोजन में भी हम पर्यावरण जागरूकता के लिए आग्रह करते हैं.इसका प्रभाव दिखने लगा."      

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