कैटल फीड यूनिट से समूह को मिली मजबूती

छत्तीसगढ़ के बालोद में रीपा योजना का असर देखने को मिलने लगा. कैटल फीड यूनिट से SHG की महिलाओं को अलग मजबूती मिल गई. इस यूनिट से तैयार पशु चारे से जहां मवेशियों के पेट भरे वहीं महिलाओं को आर्थिक ताकत मिली. यह यूनिट राज्य में मिसाल बन गई.

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कैटल यूनिट में लगी मशीनें (Image: Ravivar Vichar)

बालोद (Balod) जिले के बरही ब्लॉक में ग्रामीण औद्योगिक पार्क  (RIPA) के सहारे कैटल यूनिट (Cattle Unit) लगाई गई. Self Help Group के सदस्यों ने अपनी मेहनत के बल पर नई पहचान बना ली. अब यहां के पशु चारे की डिमांड कई निजी संस्थाओं से भी आने लगी. रीपा योजना कारगर साबित हुई.

साढ़े 4 लाख का कारोबार  

इस यूनिट में एक महीने के पहले ही समूह सदस्यों ने 18 टन कैटल फीड बेचा. इस काम में लगभग साढ़े चार लाख रुपए का कारोबार हुआ. गोवर्धन कैटल फीड की इस यूनिट से जुड़े समूह ने बताया- "8 सितंबर से अब तक हमें इस कारोबार में 35 हजार रुपए का फायदा हुआ. इसके पहले हम सभी सदस्य मजदूरी करते थे. कभी ऐसी कमाई नहीं हुई." इस समूह के साथ कुछ परिवार के जेंट्स भी सेवाएं दे रहे.

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कैटल यूनिट में काम करते हुए सदस्य  (Image: Ravivar Vichar)   

आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के ADEO नितेश साहू बताते हैं -"इस यूनिट को कामधेनु कैटल फीड सहकारी समिति का रूप देकर गठन किया गया. जिससे सदस्यों को और अधिक योजनाओं का आर्थिक लाभ मिल सके. यह यूनिट लगातार Production कर रही. दो शिफ्टों में काम किया जा रहा." सभी सदस्यों को पशु चारा बनाने की ट्रेनिंग दी.  

दस गुना प्रोडक्शन का टारगेट 

यूनिट में अभी 12 सदस्य काम कर रहे. समिति के दिग्विजय सिन्हा कहते हैं- "रीपा के तहत हमें यह मौका मिला. हम चाहते हैं कि यह प्रोडक्टशन और बढ़े. इससे हमें और अधिक लाभ होगा."

जिला प्रशासन के सहयोग से यह यूनिट संचालित की जा रही. पशु चारे की डिमांड निजी डेयरी संस्थाओं और सरकारी संस्थाओं में की जा रही है. यहां जुड़े समूह के ग्यारह सदस्यों को पशु चारा बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया.

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कैटल यूनिट में काम करते हुए सदस्य  ( Image: Ravivar Vichar)        

इस यूनिट के नोडल ऑफिसर और पशुधन विभाग के अधिकारी डॉ.अभिषेक मिश्रा बताते हैं- "यह Rural Industrial Park (RIPA) का सफल प्रोजेक्ट है. फिलहाल यहां शुरुआत में लगभग 20 टन कैटल फीड का प्रोडक्शन हो रहा. प्रयास हैं कि आगामी छह महीनों में इसका प्रोडक्शन 100 से 150 टन तक हो.अभी कैटल और गोट फीड बनाया जा रहा."

इस यूनिट में गोट फीड, कैटल फीड का निर्माण पोषक तत्त्वों का संतुलित मिला कर बनवाया जा रहा है, भविष्य में शूकर और  मुर्गी फीड भी तैयार किया जाएगा.

इस यूनिट को जिला कलेक्टर (DM) डॉ.कुलदीप शर्मा (Kuldeep Sharma)और जिला पंचायत (ZP) की CEO डॉ. रेणुका श्रीवास्तव (Renuka Shrivastava) ख़ासतौर समूहब और समिति सदस्यों को प्रमोट कर रहे. इससे समूह सदस्यों का आत्मविश्वास और बढ़ेगा.     

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