कई तरह की सामजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के बाद भी, ग्रामीण महिलाएं (rural women facing socio-economic challenges) अपने मज़बूत इरादों से बदलाव की लहर ला रही हैं. रविवार विचार (Ravivar Vichar) कोशिश करता है ऐसी पॉवरफुल महिलाओं की कहानियों को आप तक पहुंचाने की, जो पितृसत्ता के अंधेरों से निकल, शिक्षा, न्याय, और समानता की रोशनी फैला रही हैं.
'सरपंच पति' प्रथा को स्वीकार कर चुके समाज में ये सरपंच महिला कर रही है इस कुरीति के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद.
Image Credits: Dolly Sarpanch/Facebook
ग्राम शादीपुर से दो बार सरपंच रह चुकी है Dolly Sarpanch
महिला सशक्तिकरण (women empowerment) की दिशा में हो रहे प्रयास तब विफल होना शुरू हो जाते हैं, जब महिलाओं को लीडरशिप पोजिशंस (women on leadership positions) पर जगह नहीं दी जाती. सरपंच चुनाव जीत जाने के बाद भी, काम महिला लीडर के पति द्वारा संभाला जाता है. इसके खिलाफ मोर्चा संभाला डॉली भारती ने.
डॉली बिहार के गया जिले में ग्राम शादीपुर से दो बार सरपंच रह चुकी है. डॉली नीति बनाने के प्रोसेस में महिलाओं की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहती है. ऐसा कर वो उन सामाजिक मानदंडों को चुनौती दे रही है (challenging social standards) जो सत्ता की सीटों को सिर्फ पुरुषों के साथ जोड़ते हैं.
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'सरपंच पति संस्कृति' के ख़िलाफ़ पंचायती राज मंत्रालय में दायर की याचिका
डॉली ने बिहार में 'सरपंच पति संस्कृति' को बढ़ावा देने वाले सरकारी कर्मचारियों को दंडित करने के निर्देश जारी करने के लिए बिहार के पंचायती राज मंत्रालय में याचिका दायर की. निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की ओर से पुरुष प्रतिनिधित्व का समर्थन करने वाली इस प्रथा को रोकना उनका लक्ष्य था (empowering rural women in politics).
MBA की पढ़ाई कर चुकी डॉली इंडियन एयरलाइंस और दूसरे कॉरपोरेट्स के साथ काम कर चुकी है. इस डिजिटल युग (digital empowerment in villages) में उनका गांव पीछे न रह जाए, इसलिए उन्होंने 'कम्प्यूटराइज़्द' ग्राम कचहरी शुरू की, जहां सभी निर्णयों को लाइव रिकॉर्ड किया जाता है और हर निर्णय को अच्छी तरह से टाइप भी किया जाता है. उनका कार्यालय बिहार का पहला कम्प्यूटराइज़्द ग्राम न्यायालय है.
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महिला नेत्तृत्व को दे रही बढ़ावा
वंचित समुदायों से आने वाले चेंजलीडर्स के सशक्तिकरण के लिए काम कर रहे न्गुवु कलेक्टिव (Nguvu Collective) की मदद से डॉली फीमेल लीडरशिप और सामाजिक मुद्दों जैसे बाल विवाह को रोकने के लिए भी काम कर रही है. डॉली सरपंच ने महिलाओं से बात करते हुए कहा- ''महिलाओं को आगे बढ़कर हर क्षेत्र में प्रयास करना चाहिए. अब समय बदल गया है और नेतृत्व को महत्व दिया जाने लगा है. उन्हें नेतृत्व करना चाहिए, इससे महिलाओं से संबंधित मामलों को बड़े पैमाने पर और समय रहते हल करने में मदद मिलेगी."
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डॉली जैसी ग्रामीण महिलाएं गांवों को सशक्त बनाने में अपना अहम योगदान दे रही हैं. उनके प्रयास समान, समृद्ध, और सशक्त गांवों का निर्माण कर रहे हैं.