भारत में महिलाएं जिस तेज़ी से आगे बढ़ रही है. वे साबित कर रही है की हर क्षेत्र में उनकी पहुंच अविस्मरणीय है. पुरुष प्रधान fields में भी महिलाएं पुरुषों से बेहतर काम कर रही है. खेती से लेकर बैंक के कामों तक... जिन्हे पुरुषों का domain समझा जाता था, महिलाएं साबित कर रही है की काम का कोई gender नहीं होता.
ग्रामीण महिलाए बन रही है BC सखियां
घरों में अगर बैंक से जुड़े कामों की बात आए तो बिना सोचे घर में पुरुषों का नाम आगे आ जाता है. लेकिन गांव में फ़िलहाल हालात अलग हो चुके है. Financial year 2015-16 के दौरान शुरू की गई महिला बैंकिंग या व्यवसाय संवाददाता (BC model india), जिसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) और world bank ने support किया, में पूरे ग्रामीण भारत में बहुत traction मिला है.
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Bank Sakhi model ग्रामीण क्षेत्रों एक gender centric revolution के रूप में तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस model में ज़्यादातर महिलाएं स्वयं सहायता समूह की है जो बैंकिंग सेवाओं को गांव की हर गली तक पहुंचाने में सक्षम हो रही है. कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के विभिन्न हिस्सों के अनुभव से समझ आता है कि female banking correspondents कितनी महत्वपूर्ण हैं. वे लोगों के लिए डिजिटल और traditional banking methods का उपयोग आसान बनाने में बड़ी भूमिका निभा रही है.
BC model में महिलाओं की भागेदारी है ज़रूरी
महिलाओं को BCs के रूप में रखने का निर्णय बैंक्स और सरकार द्वारा सोच-समझकर लिया गया था क्योंकि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) में ज़्यादातर महिलाएं हैं लेकिन फिर भी आश्चर्य की बात यह है कि अधिकांश बीसी एजेंट पुरुष थे. इसी mismatch को संभालने के लिए बैंक सखी कार्यक्रम (Bank sakhi program) शुरू किया गया. इसका उद्देश्य उन महिलाओं की सहायता करना है जो पहली बार बैंकिंग सेवाओं का उपयोग कर रही हैं.
1 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी इस प्रोग्राम से
इस मिशन की शुरुआत के बाद से, 1,00,000 से अधिक महिलाओं ने 20 राज्यों में, government और private,दोनों बैंकों से काम करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया है. इन महिलाओं के पास Micro-ATM device और smartphones जैसी technology भी है, जिसका उपयोग वे अपने ग्राहकों के लिए सुरक्षित डिजिटल लेनदेन के लिए करती हैं. पारंपरिक financial सेवाओं के अलावा, ये बैंक सखियाँ अपने ग्राहकों को डिजिटल भुगतान के फायदों के बारे में शिक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं है.
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बिहार, ओडिशा और मध्यप्रदेश इन राज्यों में बैंक सखियों की सफलता विशेष रूप से उल्लेखनीय रही है. बिहार में एक private बैंक के आंकड़ों के अनुसार, मार्च से जुलाई 2020 तक प्रत्येक 40 बैंक सखियों में से 33 ने प्रतिदिन कम से कम एक transaction पूरा किया. ऐसे ही ओडिशा में, government बैंक की 126 बैंक सखियों में से 90 ने कम से कम एक transaction किया.
लॉकडाउन के समय में भी बैंक सखियों के रूप में काम कर रही self help groups की महिलाओं ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने लोगों को सूचित करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) जैसे और भी योजनाओं में मिल रहे cash को आसानी से bank accounts में transfer करने में भी मदद की. उनके प्रयासों की बदौलत, प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) में खाता रखने वाली 200 मिलियन से अधिक महिलाओं को तीन महीनो तक 1500 रुपये मिले.
महिलाओं की संख्या को बढ़ाना है ज़रूरी
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भले ही भारत में महिला बीसी की गिनती बढ़ी है, लेकिन उनका प्रतिनिधित्व बेहद काम है. अप्रैल 2022 तक महिलाओं का percentage BC की संख्या में 10 प्रतिशत से भी कम था. इस असंतुलन को दूर करने के लिए, NRLM ने 'एक ग्राम पंचायत एक बीसी सखी' पहल की शुरुआत की. इसका लक्ष्य 2023-24 की समय सीमा तक प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम एक बैंक सखी की नियुक्ति को सुनिश्चित करना है. महिलाओं के काम करने के time से लेकर उनके qualifications तक ज़्यादातर हर चीज़ उनके लिए रुकावट बन जाती है. लेकिन अब बदलाव आ रहा है.
बैंक सखियों की समस्याओं से निपटने के तरीके
बैंक सखियों के सामने आने वाली समस्याओं से निपटने के कई तरीके है जैसे उन्हें काम करने के लिए पर्याप्त पैसा दिया जाए, यह सुनिश्चित किया जाए कि उन्हें सुरक्षा मिले और जब वे बैंक जाएं तो जोखिम को कवर किया जाए. सबसे महत्वपूर्ण बात है एक मजबूत और भरोसेमंद बैंकिंग प्रणाली होना ताकि बैंक सखी ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आसानी से मदद कर सकें.
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50,000 ग्राम पंचायतों में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 'समर्थ अभियान' की शुरुआत के दौरान, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने digital transaction को आगे बढ़ाने में बैंक सखियों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया. महिला बीसी मॉडल के लाभों को देखते हुए, बैंक सखियाँ भारत के डिजिटल वित्तीय समावेशन प्रयासों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं है. भारत में महिलाओं को आगे बढ़ाने और उन्हें financially independent बनाने की सरकार की कोशिश सफल ढंग से आगे बढ़ रही है. वह दिन अब दूर नहीं जब महिलाएं देश की वित्तीय साक्षरता का major हिस्सा बन जाएंगी.