दिवाली आते से ही परिवार और दोस्तों के साथ मस्ती मज़ाक करने का मन हो ही जाता है. उनके घर जाना, उन्हें तौहफे देना, मिठाइयां खाना और खिलाना, और ख़ूब हसी ठिठोली करना. तौहफे देना तो हर कोई करता है. हर साल न जाने इतना प्लास्टिक लगता है इनकी रैपिंग में. इसीलिए इस साल हर के गिफ्ट्स दीजिए स्वयं सहायता समूह कि महिलाओं द्वारा बनाई गई recycled कपड़ों से बानी पोटलियां.
तौहफे देने के लिए महिलाएं बना रहीं कपड़ों की पोटलियां
Chandigarh municipal corporation की एक पहल में, सेक्टर 17 में municipal corporation के RRR (reduce, reuse recycle) केंद्र में दान किए गए अच्छी quality वाले कपड़ों से पोटली बैग बनाए जा रहे हैं. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) के तहत चलने वाले फैशन डिजाइनिंग पाठ्यक्रमों के प्रशिक्षुओं ने विभिन्न स्वयं सहायता समूहों (self help groups) की महिलाओं को इन पोटलियों को डिजाइन करना सिखाया.
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ये पोटलियां municipal corporation के sector 17 eco-friendly store 'Prarambh' में मिल रहीं है. सेक्टर-17 में आरआरआर केंद्र में पिछले कुछ महीनों में भारी संख्या में लोग आए हैं और नागरिकों ने समूहों को अच्छी quality के कपड़े, किताबे और electronics का सामान दिया है.
RRR stores में हो रही इन पोटलियों की बिकरी
इस RRR stores को स्थापित करने का एक प्रमुख उद्देश्य प्रयुक्त वस्तुओं की upcycling का प्रयास करना था. एक अधिकारी ने बताया "अपसाइक्लिंग या creative recycling by-products, waste materials, useless या unwanted products को कलात्मक या पर्यावरणीय मूल्य के साथ अधिक गुणवत्ता वाली नए products में बदलने की प्रक्रिया है."
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Municipal corporation ने circular economy का एक मॉडल विकसित किया है जिसमें स्टोर से अच्छी गुणवत्ता वाले कपड़ों का चयन किया गया है, और स्टोर को प्रति आइटम 1 रुपये का भुगतान किया गया है. इस कपड़े का उपयोग पोटली बनाने के लिए किया गया है जो SHGs के लिए रीसाइक्लिंग और आय सृजन दोनों में मदद कर रहा है.
Municipal corporation अपने RRR केंद्रों और 'Rupee stores' पर strict quality control करता है और केवल अच्छी गुणवत्ता वाली दान की गई वस्तुएं ही अधिकारियों द्वारा स्वीकार की जाती हैं. महिलाएं अपने इस प्रोजेक्ट के साथ सशक्तिकरण और स्वावलंबन की दिशा में ख़ुशी भरा कदम बढ़ा रहीं है.