"ये तो लड़की है, ये काम करना इसके बस की बात नहीं!" "लड़कों के कामों को लड़कियां कैसे कर सकती है?" "तुम एक औरत हो, अपनी हद में रहो." "कोर्ट कचहरी के चक्कर में औरतों को नहीं पड़ना चाहिए." ये सारी बातें हर उस महिला को समझाना नामुमकिन है जिसने सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज (First female judge of supreme court of india) बनने के ठान ली हो. बात हो रही है Justice M. Fatima Bibi की जो भारत देश के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा चुकी है. सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज है ये महिला.
भारत के supreme court की पहली फीमेल judge है फ़ातिमा
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1989 में उनकी ऐतिहासिक नियुक्ति एक milestone थी, जिसने साबित कर दिया कि महिलाएं न्यायपालिका के साथ सभी क्षेत्रों में टॉप पर है. 30 अप्रैल, 1927 को केरल के पथानमथिट्टा में जन्मी फातिमा बीबी एक ऐसे समाज में पली-बढ़ीं, जहां लड़की होना किसी जंग से काम नहीं था. फातिमा का education Trivandrum में पूरा हुआ. उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज से science में डिग्री हासिल की और बाद में Trivandrum के Government Law College से कानून के क्षेत्र में कदम रखा.
फ़ातिमा बीबी की पढ़ाई त्रिवेंद्रम से हुई
अपनी law की क्लास में 5 महिलाओं में से एक थीं फ़ातिमा. इसके बाद भी वे डरी नहीं और अपनी बाधाओं से लड़ने का फैसला किया. 1950 में, कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने Bar Council examination दी और अपने batch में top किया.
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वकील बनने के बाद, फातिमा बीबी ने 14 नवंबर, 1950 को केरल के lower courts से अपने career की शुरुआत की. समर्पण और परिश्रम से आगे बढ़ती गयी और आखिरकार अपने पेशे के top पर पहुंच गईं- भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश के रूप में. वे उस वक़्त supreme court की पहली जज बनी जब इस field पर पुरुषों का domination था.
फ़ातिमा बीबी के top judgements
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उनके कुछ बहुत important फैसलों में से "Scheduled Caste and Weaker Section Welfare Assn. vs. State of Karnataka" और "Assam Sillimanite Ltd. vs. Union of India" शामिल है. उनके term में सबसे ज़्यादा focus उन्होंने citizen rights और unconstitutional laws को ख़त्म करने किया.
फ़ातिमा बीबी रह चुकी है तमिलनाडु की गवर्नर
सुप्रीम कोर्ट से अपनी term end के बाद भी फातिमा बीबी ने National Human Rights Commission की सदस्य बनकर public service के प्रति अपना समर्पण जारी रखा. इसके अलावा वे तमिलनाडु की गवर्नर के रूप में भी काम कर चुकी है. इसके अलावा उन्होंने राजनीति में कदम रखा और 25 जनवरी, 1997 से तमिलनाडु की राज्यपाल के रूप में कार्य किया. अपने राजनीति के कार्यकाल में उन्होंने बहुत से pivotal decisions भी लिए.
न्यायमूर्ति फातिमा बीबी की extraordinary journey, केरल में उनके प्रारंभिक वर्षों से लेकर भारतीय न्यायिक प्रणाली में उनकी भूमिका तक, आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है. उनकी justice के लिए commitment, उनकी spirit और gender equality के लिए उनकी advocacy ने आज की lower castes और महिलाओं के लिए सशक्तिकरण और प्रगति की नयी राहें खोल दी है.