रोजगार मिलते ही बनी आत्मनिर्भर, थमा महिलाओं का पलायन

एक समय कई गांव में परिवार के परिवार पलायन कर जाते.रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों तक सफर करते.कोविड के बाद माहौल बदला.रोजगार के लिए विकल्प मिले.धीरे-धीरे पलायन रुकने लगा.यहां  तक महिलाएं भी आत्मनिर्भर हुईं और परिवार का साथ देने लगीं.

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रोजगार मिलते ही बनी आत्मनिर्भर, थमा महिलाओं का पलायन

Poultry farm जहां बड़ी संख्या में अंडे प्रोड्यूस हो रहे (Image: Ravivar Vichar)  

MP के Raisen जिला अंतर्गत सिलवानी ब्लॉक में कई गांव में रोजगार की तलाश में परिवार के सभी सदस्य राजस्थान और महाराष्ट्र चले जाते.कोविड काल बीतने के बाद आजीविका मिशन के अधिकारियों ने यहां सर्वे किया.self help group का गठन किया.रोजगार पसंद का मिला और सैकड़ों परिवार का पलायन रुक गया.

Poultry Farming से बदले परिवारों के आर्थिक हालात 

रायसेन जिले में सिलवानी ब्लॉक में 8 पंचायतों के लगभग 33 गांव के लोग परिवार सहित पलायन करते.आजीविका मिशन की टीम ने इन परिवारों की समस्या को सुना.रोजगार में रूचि को समझा.और इसी आधार पर इस इलाके में Poultry farm के प्रोजेक्ट बनाए गए.

इस समूह और poultry farming से जुड़ीं मालती और लक्ष्मी बताती हैं-"हमें शुरू में महीने में केवल 10 दिन मजदूरी मिलती.पोल्ट्री फॉर्म खुल जाने से हमारी इनकम भी लगभग 10 हज़ार रुपए महीने हो ही जाती है.शेड की देखभाल हम खुद करते हैं.हमें अब मालिक का अहसास होता है."

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पोल्ट्री फॉर्म में लगातार मुर्गियों की देखभाल से सफल प्रोजेक्ट (Image: Ravivar Vichar)

आमापानी खुर्द में बने इस शेड में लगभग 9 हज़ार से ज्यादा अंडे मिल जाते हैं.

मक्का दाना-पानी वाली महिलाओं को भी मिला रोजगार 

मुर्गी पालन में उनके फीड के लिए इलाके की उन किसान दीदियों को ही तैयार किया जिनके घर खेती थी.मक्का उत्पादन का ठीक भाव नहीं मिलने से परेशान इन परिवारों ने कुक्कुट पालन के भोजन मक्का दाना तैयार किया.मिशन और प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट के लिए 8 लाख रुपए की यूनिट भी लगवाई.

Ajeevika Mission के DPM M.Raja बताते हैं-"यह जिले सफल प्रजेक्ट रहा.राष्ट्रीय पशुधन योजना अंतर्गत यहां मुर्गी शेड्स के 50 सेंटर्स बनाने का प्रोजेक्ट बनाया.40 लाख रुपए में यह शेड्स तैयार हुए.चूजे उपलब्ध करवाए गए.आगे मार्केट लिंकेज सहित और गाइड किया जाएगा."

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Poultry farm जिले में रोजगार का बड़ा केंद्र (Image: Ravivar Vichar)   

जिला प्रशासन और जिला पंचायत CEO के प्रयासों के बाद देखा गया कि इस रोजगार का लाभ 332 SHG की सदस्यों को मिला.पलायन रुका.यहां तक कि 383 महिलाएं अपने business से lakhpati didi की श्रेणी में आ गई.                                     

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