बानसूर (Bansur), राजस्थान (Rajasthan) में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2023) के त्योहार पर महिला स्वयं सहायता समूह (Women self help groups) ने गाय के गोबर से भगवान गणेश की मूर्तियां (What material is Ganesha idol made of?) बनाई है.
Image Credits : Livspace
इन मूर्तियों में धार्मिक चिन्ह जैसे ओम, स्वास्तिक, शुभ लाभ, और तोरण शामिल हैं. इन सुंदर मूर्तियों (Ganpati Idol for Home Mandir) को स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बाजार में बेचकर अपनी आजीविका कमा रही हैं.
गाय के गोबर से SHGs बना रहे मूर्तियां
सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की महिलाओं (SHG Women) ने इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमा (eco friendly ganesh idol), दीपक, और अगरबत्ती बनाने के लिए एनआरएलएम (NRLM) से ट्रेनिंग ली है.
Image Credits : Prakratik Kisaan Parivar
गणेश प्रतिमाओं (Ganpati Murti for Ganesh Chaturthi) को बनाने के लिए गोबर (Cow dung meaning in english), तुलसी का बीज, और प्राकृतिक फूलों का इस्तेमाल (Innovative products from cow dung) किया गया है, जो पर्यावरण के अनुकूल हैं.
गाय के गोबर का उपयोग (Use of Cow Dung) पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) के साथ-साथ परंपरा निभाने के लिए भी किया गया है.
शुभ कामों के लिए गोबर का उपयोग
Self Help Groups की महिलाएं बताती हैं कि, "हिन्दू धर्म (Hinduism beliefs and practices) के अनुसार, गाय के गोबर (Cow dung meaning in Hindi) को शुभ माना जाता है (Why cow dung is Worshipped?), इसमें पंच तत्वों का प्रतिष्ठान (Panchagavya uses) होता है."
Image Credits : Bhaskar.com
गोबर में मां लक्ष्मी का वास होता है (cow dung spiritual meaning), और इसलिए शुभ कामों के लिए गोबर का उपयोग किया जाता है (Why cow dung is used in puja?), जिससे गणेश की प्रतिमा को भी शुभ माना जाता है.
मूर्ति में किया जा रहा घरेलु उत्पादों का इस्तेमाल
गणेश प्रतिमाओं (Ganesh Murti) को रंगने के लिए हल्दी, चुकंदर, पालक, और गाजर के रंगों का इस्तेमाल (Which colour Ganesha idol is good for home) किया गया है.
इन प्रतिमाओं को विसर्जन से पर्यावरण को नुक्सान भी नहीं पहुंचेगा (Cow dung benefits) और पानी पर भी रासायनिक रंगों का प्रभाव नहीं पड़ेगा (What are the benefits of cow dung Ganesha?). इन रंगों का इस्तेमाल SHG महिलाएं रंगोली बनाने में भी कर रही हैं.
Image Credits : Bhaskar.com
घरेलु सामग्री की आसानी से उपलब्धता होने और कम लागत से, ग्रामीण क्षेत्र के महिला self help groups नए रोजगार के अवसर पा कर स्वावलंबी बन रहे हैं.