'कोरोना' एक ऐसा नाम बन चूका था 2020 में, जैसे अमीर-गरीब,राजा- रंक, सब घबरा गए थे. हर दिन दिल को तोड़ दीन वाली खबरें, अनगिनत मौत, और लोगों के जीवन का अंत. किसी का घर तो किसी का काम ख़त्म हो गया... किसी के घर में खाना तो किसी के घर में राशन आना बंद हो गया... परेशान सब थे, लेकिन इस महामारी के समय महिलाएं अपने घर को बचाने के लिए हर प्रयास कर रही थीं. इन्ही रियल लाइफ हीरोज़ में से एक थी रीकु दोवराह.
असम के एक छोटे से गांव लेपेटकाटा, डिब्रूगढ़ जिला, कि रीकु ने ठान लिया था कि वह इस महामारी के आगे नहीं हारेगी. लेकिन सवाल अभी भी वैसा ही था. ऐसा क्या किया जाए जिससे पूरे परिवार की जरूरतें पूरी भी हों, और परेशानी का सामना भी ना करना पड़े. रीकु के बेटे को डाउन सिंड्रोम जैसी रेयर बिमारी है. उसके खर्चे इतने होते हैं कि सब कुछ संभाल पाना नामुमकिन हो जाता है. वह परेशान थी, लेकिन उसने हार मानाने के बारे में कभी नहीं सोचा.
Image Credits: East Mojo
वो कहते हैं और किसी को इतनी शिद्दत से चाहो की पूरी कायनात तुम्हें मिलवाने की साजिश करने लगे. बस ऐसा ही कुछ हुआ रीकु दोवराह के साथ. उसके इलाक़े में एड एट एक्शन ने एकलौती कार्यक्रम आयोजित किया. नाम था एंटरप्राइज प्रमोशन फॉर सस्टेनेबल क्रिएटिव प्रोजेक्ट (EP4SD). रीकु ने जब इस कार्यक्रम में भाग लिया, तो वह समझ गई कि उसे क्या करना था.
असम की रीकु ने शुरू किया मशरूम का बिज़नेस
स्वयं सहायता समूह (SHG) की एक सक्रिय सदस्य होने के कारण रीकु इस तरह के हर कार्यक्रम में शामिल होती थी. लेकिन इस बार किस्मत पलटी और उसने मशरूम कल्टीवेशन से अपनी जिंदगी बदलने का फैसला कर लिया. मशरूम कल्टीवेशन कार्यक्रम 2021 के अंतर्गत एड एट एक्शन के, रीकु ने अपना नाम रजिस्टर करवा लिया. लागत कम और ज्यादा रिटर्न का सोच कर वह इस काम में जुट गई. हलाकि परिवार डरा हुआ था, लेकिन रीकु को खुद पर पूरा विश्वास था.
अपना पहला इन्वेस्टमेंट 450 रुपये कर करा और रिटर्न 1000 का मिला. वह बेहद खुश थी क्योंकि अब वह समझ गई थी कि यह बिज़नेस आसमान की ऊंचाइयों तक लेकर जाएगा. पहली फसल सिर्फ 250 ग्राम की हुई थी, लेकिन आज 40 किलो से ज्यादा की फसल उगा चुकी है रीकु. मशरूम के बिजनेस के हर महीने 5 से 6 हजार रुपये तक का मुनाफा हो रहा है. उसने अपने बिजनेस को बढ़ाते हुए 2 पिग्लेट्स और कुछ बकरियां भी खरीद ली हैं.
Image Credits- East Mojo
रीकु'स मशरूम है FSSAI सर्टिफाइड
एड एट एक्शन की मदद से उसने अपने मशरूम उत्पादन को खाद्य सुरक्षा और भारतीय मानक प्राधिकरण (FSSAI) के सर्टिफिकेट वाला व्यवसाय बना लिया है. रीकु दोवराह की प्रोडक्शन कंपनी का नाम है रीकु'स मशरूम. रीकु की कहानी उसके आस-पास के Self Help Group की महिलाओं को इतना प्रोत्साहन मिल रहा है, कि वे भी कार्यक्रमों से जुड़कर अपने जीवन को बदलने में लग गई हैं.
रीकु की कहानी दिल को छू लेने वाली है क्योंकि जब हर व्यक्ति अपनी किस्मत को लेकर रो रहा था, तब उसने इस मुकाम को हासिल किया. हर महिला में इतनी ताकत होती है कि वह जब चाहे तब अपनी किस्मत को पलट सके. बस उसी ताकत और हिम्मत का फ़ायदा उठाकर आज रीकु सारी SHG महिलाओं और लड़कियों के लिए मिसाल बन चुकी है.