बाल विवाह ठुकरा कर बनी आत्मनिर्भर

केवल 12 साल की उम्र में शादी होने के बाद बाल विवाह ठुकरा दिया. गरीब माता पिता के साथ रहकर आत्मनिर्भर बन गई. शहडोल जिले की यह महिला आज SHG की महिलाओं के लिए हिम्मत और मिसाल बन गई. समूह में शामिल होकर पूरी ज़िंदगी बदल गई.

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किसान महिलाओं को ट्रेनिंग देती नंदिनी मिश्रा (Image : Ravivar Vichar)

मध्य प्रदेश (MP) के शहडोल (Shahdol) जिले के छोटे से गांव उजरावरा (Ujravara) की रहने वाली जनक नंदिनी मिश्रा (Janak Nandini Mishra) आज महिलाओं में खासा चर्चित है. अपनी मेहनत और हिम्मत से एग्रीकल्चर फील्ड (Agriculture Field) में मास्टर हो गई. नंदनी की कहानी रोचक और प्रेरणदायी है.

मजदूरी छोड़ बनी ज़मीन मालकिन 

शहडोल (Shahdol) के व्योहारी ब्लॉक अंतर्गत उजरावरा गांव की जनक नंदनी मिश्रा (Janak Nandini Mishra) की कहानी भी कोई फ़िल्मी कहानी से कम नहीं. माता-पिता बहुत गरीब थे. बालविवाह ठुकरा कर ससुराल गई ही नहीं. माता-पिता के साथ खेत में मजदूरी करती.

 
नंदनी बताती है- "मैंने कुछ करने की ठानी. मां और मैं नारायण  स्वयं सहायता समूह (Self Help Group)में जुड़े. शुरू में 5 हजार का लोन लेकर गांव में आटा चक्की की मशीन डाली. लगभग एक से डेढ़ हजार रुपए महीने कमाई शुरू हुई. धीरे-धीरे कमाई बढ़ी. आजीविका मिशन के अधिकारियों ने कृषि से जुड़े कामकाज में ट्रेनिंग दिलवाई. और हमने 36 डिसमिल खेती की ज़मीन 80 हजार रुपए में खरीदी. मुझे ख़ुशी है कि मजदूरी छोड़ खेत मालकिन बन गई."

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ट्रेनिंग में प्रोडक्ट को समझाती नंदिनी मिश्रा  (Image: Ravivar Vichar)

18 जिले और 3 राज्यों में दे रही ट्रेनिंग

नंदनी शहडोल (Shahdol)  जिले से बाहर भी अपनी पहचान बना चुकी है. Agriculture Field में CRP मास्टर ट्रेनर बनकर नंदिनी ने प्रदेश के लगभग 18 जिले में Self Help Group की महिलाओं को एग्रीकल्चर की ट्रेनिंग दे चुकी है. व्योहारी ब्लॉक के ब्लॉक मैनेजर (BM) वृंदावन राठौर कहते हैं- "नारायण समूह से जुड़ी नंदिनी मिश्रा को ट्रेनिंग दी गई. उन्होंने मेहनत कर सभी तरह से अपने आप को ट्रेन किया."


शहडोल (Shahdol) के जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) विष्णुकांत विश्वकर्मा (Vishnukant Vishvakrma) ने बताया- "नंदिनी को कृषि और पालतू मवेशी आधारित सभी ट्रेनिंग दी गई. इसमें गोबर से खाद, जैविक खाद, जैविक दवाइयां, घरों में अनाज भंडारण करना सहित पशु टीकाकरण में ट्रेन है. जो जगह-जगह जाकर बताती है."

10 किमी पैदल चलना था मजबूरी

नंदिनी को यह सफलता बहुत संघर्ष के बाद मिली. नंदिनी आगे बताती है- "हमारे गांव में न रोड है न बसें चलती हैं. मैं अपने गांव से 10 किमी पैदल चल कर बस स्टॉप पर आती. मैंने ग्रेजुएट किया. फिर सामाजिक विज्ञान (MSW) में मास्टर्स किया. आर्थिक हालात सुधरे तो पिता का आंखों का ऑपरेशन करवाया. अब मेरे पास लेपटॉप, स्कूटी सहित कई साधन हो गए."

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खेती आधारित ट्रेनिंग देती नंदिनी मिश्रा  (Image: Ravivar Vichar)

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY SRLM), भोपाल  के स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर, कृषि (SPM) मनीष पंवार कहते हैं- "नंदिनी की मेहनत और सफलता पूरे प्रदेश में मिसाल बन चुकी है. नंदिनी को नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रूरल डेवलपमेंट हैदराबाद (NIRD Hyderabad) से training  दिलवाई गई. पंजाब,हरियाणा छत्तीसगढ़ सहित कई जगह ट्रेनिंग दे चुकी है."