बालाघाट जिले में स्वयं सहायता समूह (Self Help Group)की महिलाओं ने नक्सलवाद (Naxalites) से डरे बिना अपने दम पर कारोबार जमाया. सरकार की आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) योजना में काम किया. अपने हक़ के पैसे में से मिशन के सहायक प्रबंधक (ABM) ने रिश्वत मांगी. लोकायुक्त ने शिकायत के आधार पर रंगे हाथों पकड़ा.
जिस जिले का ज़िक्र मोदी ने किया उसे ही कर दिया शर्मिंदा
इस घटना की बात करने के पहले इतना समझ लीजिए कि आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित इस जिले की महिलाओं की मेहनत की ज़िक्र मन की बात में प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) कर चुके हैं.
मध्यप्रदेश (MP) के बालाघाट (Balaghat) जिले का चिचगांव. इस गांव को स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की मीना रंगडहाले ने अलग पहचान दिलाई. मीना ने जिस राइस मिल में मजदूरी की आज उस मिल की मालकिन है.
बालाघाट के चिचगांव की राईस मिल जिसका ज़िक्र पीएम मोदी ने किया था. (Image: Ravivar Vichar)
बालाघाट (Balaghat) की ही दूसरी उपलब्धि- लालबर्रा (Lalbarra) और बारासिवनी (Baraseoni) के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने इतनी मेहनत की कि सरकार ने उन्हें स्कूटी गिफ्ट की.
ऐसे कई उदाहरण हैं जहां की महिलाओं ने बालाघाट (Balaghat) को नई पहचान दी. इसी जिले की एक घटना ने सभी को शर्मिंदा (Sharminda) कर दिया.
3500 रुपए की रिश्वत की ज़िद
अब हालत यह है कि आजीविका मिशन के ही सहायक प्रबंधक (ABM) नरेंद्र सोनवाने स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) से काम करने के बदले रिश्वत मांगी. आखिर पकड़े गए.
जिले के पनबिहरी निवासी शीतला मां आजीविका स्वयं सहायता समूह की सचिव राजेश्वर पंचेश्वर ने लोकायुक्त (Lokayukt) में शिकायत की थी।राजेश्वर पंचेश्वर ने बताया- "सूमह के द्वारा साल 2022 में पंचायत चुनाव के दौरान चाय-नाश्ता एवं भोजन वितरण की व्यवस्था की गई थी. इस काम के खर्च का 57 हजार रुपए का भुगतान किया जाना था.लालबर्रा में पदस्थ मिशन के सहायक प्रबंधक नरेंद्र सोनवाने द्वारा 4 हजार रुपए की मांग की. मैंने यह रिश्वत (Bribe) की राशि सहायक प्रबंधक सोनवाने को दी. लोकायुक्त (Lokayukt) से पहले ही शिकायत करने से अधिकारी को पकड़ लिया."
मजदूरी से मेहनत तक का कठिन सफर
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY SRLM) ने लगभग 4 लाख से ज्यादा Self Help Group बना कर 60 लाख से ज्यादा महिलाओं को जोड़ा. हर स्तर पर शासन ने आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) में अधिकारी नियुक्त किए. सम्मान और सैलेरी लेते इन अधिकारियों पर भरोसा कर घरेलु महिलाएं या मजदूरी छोड़ मेहनत के कठिन रास्ते पर निकली. मेहनत से साबित किया वे सब कुछ कर सकती हैं.
अपनी मेहनत और समूह में तैयार प्रोडक्ट्स की बिक्री की रास्ते बताने की बजाए सहायक प्रबंधक सोनवाने ने रिश्वत मांग समूह की महिलाओं का भरोसा तोड़ा. यदि समूह की महिलाएं हिम्मत न दिखातीं तो न जाने कब तक आर्थिक शोषण का शिकार होतीं.
जरुरी है कि राज्य स्तर पर बैठे अधिकारी जिले स्तर पर सेवाएं दे रहे अधिकारियों को क्रॉस चेक करें. समूह में भरोसा बढ़ाए. नरेंद्र जैसे आरोपियों पर नकेल कसे. जिससे समूह की मेहनत की कमाई और भरोसा सुरक्षित रहे.